लखनऊ : राजधानी लखनऊ में शासन सत्ता की नाक के सामने स्वच्छ भारत अभियान का मजाक उड़ाया जा रहा है. शहर की तमाम काॅलोनियों-मोहल्लों की सड़कों पर कूड़े के ढेर लगे हैं. डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का बंद हो चुका है. इससे शहरभर में जगह-जगह कूड़े के डंपिंग यार्ड बन गए हैं. नगर निगम के अधिकारियों का दावा है कि आने वाले कुछ समय में यह व्यवस्था पूरी तरह से व्यवस्थित हो जाएगी.
बता दें, कुछ समय पहले राजधानी लखनऊ में चीन की कंपनी इकोग्रीन का टेंडर निरस्त करने का फैसला किया गया था और यह दावा किया गया था कि अब नगर निगम प्रशासन अपने स्तर पर पेटी ठेकेदारों के माध्यम से कूड़ा उठाने और कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था कराएगा. बहरहा अभीतक यह काम व्यवस्थित नहीं हो पाया है. इससे शहर में जगह-जगह कूड़े के बड़े-बड़े ढेर नगर निगम प्रशासन के कामकाज की पोल खोल रहे हैं. नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह का कहना है कि नई कंपनी के चयन की प्रक्रिया चल रही है. आने वाले 1 से 2 महीने में इस काम को कर लिया जाएगा. इसके बाद पूरे शहर में साफ-सफाई बेहतर होगी. हालांकि अभी नगर निगम प्रशासन अपने स्तर पर सफाई अभियान को व्यवस्थित कर रहा है.
पार्षद अमित चौधरी कहते हैं कि चीनी कंपनी का टेंडर निरस्त करने के बाद दावा किया गया था कि नए तरीके से कूड़ा उठान की व्यवस्था कराई जाएगी. इसके बावजूद फिर पेटी ठेकेदारों के माध्यम से काम कराया जा रहा है. भले ही कंपनी का काम हटा दिया गया है, लेकिन माफिया पेटी ठेकेदारों से जो काम कराया जा रहा है वह भी पूरी तरह से बदहाली का शिकार हो रहा है. रोजाना कूड़ा उठाने की व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. हमारा वार्ड मुख्यमंत्री से संबंधित है. मुख्यमंत्री आवास भी इसी वार्ड में आता है, लेकिन हर तरफ अव्यवस्था दिखती है.
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