लखनऊ: वरिष्ठ शिया धर्म गुरु और इमाम-ए-जुमा मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने ईद-उल-अजहा के अवसर पर लोगों से सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करने की अपील की है. मौलाना कल्बे जवाद ने सोमवार को मीडिया में बयान जारी कर देश भर के मुसलमानों से बक़रीद के मौके पर जानवर नहीं उपलब्ध होने की स्थिति में कुर्बानी के पैसों को गरीबों और जरूरतमन्दों को देने की भी बात कही है.
'डॉक्टरों की लें सलाह'
देश के बड़े शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने कोरोना काल में पड़ने वाली ईद-उल-अजहा के मौके पर बोलते हुए कहा कि बकरीद के अवसर पर सभी मुसलमान सरकार के दिशानिर्देशों और डॉक्टरों की सलाह का पालन करते हुए कुर्बानी का फरीजा अंजाम दें.
'अपनाएं सावधानी'
मौलाना ने अपने बयान में कहा कि पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस के कारण सबसे कठिन दौर से गुजर रही है और हमारा देश भारत भी इस खतरनाक वायरस से प्रभावित है. कोरोना रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. इसलिए देशवासियों को सभी संभावित सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि वह स्वयं इस घातक महामारी से सुरक्षित रहें और दूसरों के लिए भी खतरा साबित न हो.
'गरीबों और जरूरतमंदों की करें मदद'
मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि अगर कुर्बानी के लिए जानवर उपलब्ध न हो या किसी अन्य कारण से इस साल कुर्बानी संभव न हो तो उस पैसे से गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें. उन्होंने कहा कि ईद-उल-अजहा के अवसर पर मस्जिदों में नमाज के लिए न जाएं और घर पर ही नमाज अदा करें.
प्रतीकात्मक कुर्बानी पर जताया ऐतराज
मौलाना कल्बे जवाद ने सोमवार को अपने बयान में कहा कि जिन राज्यों में सरकार ने घोषणा की है कि मुसलमानों को प्रतीकात्मक कुर्बानी करना चाहिए, यह पूरी तरह से गलत है, क्योंकि इस्लाम में प्रतीकात्मक इबादत की जगह नहीं है. इबादत इस्लाम के बताए हुए नियम के अनुसार ही सही हो सकती है, वरना इबादत सही नहीं होगी. इसलिए जिन राज्यों में ऐसी घोषणाएं की गई हैं, उन पर राज्य सरकारें पुनर्विचार करें और कुर्बानी के फ़रीज़े की अदायगी को सुनिश्चित करें.
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मौलाना ने बताया कि ईद-उल-अजहा की नमाज 1 अगस्त को दोपहर 11 बजे दिन में ऑनलाइन आयोजित की जाएगी. लोग अपने घरों में नमाज अदा कर सकते हैं.