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ज्ञानवापी मामले में अब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पैरवी को आगे आया...ये है तैयारी

वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के मामले की पैरवी के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आगे आया है. जल्द ही बोर्ड की ओर से एक कमेटी का गठन किया जाएगा. आगे बोर्ड की लीगल टीम इस मामले की पैरवी करेगी.

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ज्ञानवापी मस्जिद का मामला.
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Published : May 18, 2022, 5:42 PM IST

Updated : May 18, 2022, 7:15 PM IST

लखनऊः वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का मामला इस समय बेहद चर्चा में है. सर्वे टीम द्वारा मस्जिद के वज़ूखाने में शिवलिंग मिलने की बात कहे जाने के बाद से चर्चाएं तेज हो गईं हैं. इस पूरे प्रकरण में मुस्लिम पक्षकार की ओर से वज़ूखाने में मिले शिवलिंग को टूटा हुआ फव्वारा बताया जा रहा है. अब इस पूरे मामले के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने नाराजगी दर्ज कराई है.

बोर्ड की ओर से पहले एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा गया कि ज्ञानवापी मस्जिद और उसके परिसर में सर्वे का आदेश और अफवाहों के आधार पर वजूखाना बंद करना अन्याय पर आधारित है. मुसलमान इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा. इस बयान से ही आशंकाए लगाई जा रही थी कि बोर्ड इस तरह के मामलों में कोई पहल कर सकता है. इसके फौरन बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जिम्मेदार लोगों ने ज्वलंत मुद्दों पर वर्चुअल मीटिंग की.

अध्यक्षता मौलाना राबे हसनी नदवी ने की. उनके साथ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य असदुद्दीन ओवैसी, मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली समेत कई लोग मौजूद रहे. वर्चुअल मीटिंग में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोर्ड ने फैसला लिया. तय किया गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद में बोर्ड की तरफ से एक लीगल कमेटी बनेगी. कानूनी तौर पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ज्ञानवापी मामले में एक कमेटी बनाएगा और यह मामला इन्तिज़ामिया कमेटी से टेकओवर करेगा. इसके बाद कोर्ट में आगे की कार्रवाई बोर्ड की तरफ से बनाई गई लीगल टीम करेगी. अगले दो-तीन दिनों के भीतर दिल्ली में एक बैठक बुलाकर लीगल कमेटी का गठन किया जाएगा.

मौलाना सूफियान निजामी ने यह जानकारी दी.

यह भी तय हुआ कि ज्ञानव्यापी के साथ ही मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद और कर्नाटक की टीपू सुल्तान मस्जिद में भी इंतजामिया कमेटी को साथ लेकर बोर्ड की तरफ से लीगल टीम बनाई जाएगी. यही टीम सभी मस्जिदों के लिए कोर्ट में जरूरत पड़ने पर पैरवी करेगी. साथ ही बोर्ड ने इस बात पर भी नाराजगी जताई है कि अयोध्या के मामले के बाद से जानबूझकर मस्जिदों के मुद्दे उठाए जा रहे हैं जो सही नहीं हैं.

बोर्ड ने यह भी कहा है कि सभी ऐतिहासिक मस्जिदों में जुमे की नमाज के दौरान लोगों को उस मस्जिद से जुड़े हुए तमाम पहलुओं के बारे में जानकारी दी जाए. बोर्ड ने कहा है कि कभी कुतुबमीनार, कभी ताजमहल तो कभी किसी और जगह के नाम पर मस्जिदों को लेकर मामले उठाए जा रहे हैं. यह मुद्दे समाज में हिंदू मुस्लिम भाईचारे को खत्म कर रहे हैं इसलिए इन मामलों में बोर्ड आगे आकर कानूनी तौर पर लड़ाई लड़ेगा.

मदनी बोले, ज्ञानवापी मस्जिद का मामला सांप्रदायिक तत्वों की शरारत
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद का मामला सांप्रदायिक तत्वों की शरारत की वजह से इन दिनों सार्वजनिक और न्यायिक स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है. कुछ असमाजिक तत्व और पक्षपाती मीडिया इसे भावनात्मक लबादे में लपेटकर दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रही है. इन परिस्थितियों में जमीयत उलेमा-ए-हिंद भारत के सभी लोगों, विशेषकर भारत के मुसलमानों से सहानुभूतिपूर्वक अपील करती है. मौलाना ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद जैसे मुद्दे को सड़क पर न लाया जाए और सभी प्रकार के सार्वजनिक प्रदर्शनों से बचा जाए. इसके साथ ही मौलाना ने अपील में कहा कि इस मामले में मस्जिद इंतिजामिया कमेटी एक पक्षकार के रूप में विभिन्न अदालतों में मुकदमा लड़ रही है. उनसे उम्मीद है कि वे इस मामले को अंत तक मजबूती से लड़ेंगे. देश के अन्य संगठनों से अपील है कि वे इसमें सीधे हस्तक्षेप न करें, जो भी सहायता करनी है, वह अप्रत्यक्ष रूप से इंतिजामिया कमेटी की की जाए. उलेमा, वक्ताओं और गणमान्य व्यक्तियों और टीवी पर बहस करने वालों से अपील है कि वह टीवी डिबेट और बहस में भाग लेने से परहेज करें. यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए सार्वजनिक डिबेट में भड़काऊ बहस और सोशल मीडिया पर भाषणबाजी किसी भी तरह से देश और मुसलमानों के हित में नहीं है.


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लखनऊः वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का मामला इस समय बेहद चर्चा में है. सर्वे टीम द्वारा मस्जिद के वज़ूखाने में शिवलिंग मिलने की बात कहे जाने के बाद से चर्चाएं तेज हो गईं हैं. इस पूरे प्रकरण में मुस्लिम पक्षकार की ओर से वज़ूखाने में मिले शिवलिंग को टूटा हुआ फव्वारा बताया जा रहा है. अब इस पूरे मामले के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने नाराजगी दर्ज कराई है.

बोर्ड की ओर से पहले एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा गया कि ज्ञानवापी मस्जिद और उसके परिसर में सर्वे का आदेश और अफवाहों के आधार पर वजूखाना बंद करना अन्याय पर आधारित है. मुसलमान इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा. इस बयान से ही आशंकाए लगाई जा रही थी कि बोर्ड इस तरह के मामलों में कोई पहल कर सकता है. इसके फौरन बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जिम्मेदार लोगों ने ज्वलंत मुद्दों पर वर्चुअल मीटिंग की.

अध्यक्षता मौलाना राबे हसनी नदवी ने की. उनके साथ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य असदुद्दीन ओवैसी, मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली समेत कई लोग मौजूद रहे. वर्चुअल मीटिंग में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोर्ड ने फैसला लिया. तय किया गया है कि ज्ञानवापी मस्जिद में बोर्ड की तरफ से एक लीगल कमेटी बनेगी. कानूनी तौर पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ज्ञानवापी मामले में एक कमेटी बनाएगा और यह मामला इन्तिज़ामिया कमेटी से टेकओवर करेगा. इसके बाद कोर्ट में आगे की कार्रवाई बोर्ड की तरफ से बनाई गई लीगल टीम करेगी. अगले दो-तीन दिनों के भीतर दिल्ली में एक बैठक बुलाकर लीगल कमेटी का गठन किया जाएगा.

मौलाना सूफियान निजामी ने यह जानकारी दी.

यह भी तय हुआ कि ज्ञानव्यापी के साथ ही मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद और कर्नाटक की टीपू सुल्तान मस्जिद में भी इंतजामिया कमेटी को साथ लेकर बोर्ड की तरफ से लीगल टीम बनाई जाएगी. यही टीम सभी मस्जिदों के लिए कोर्ट में जरूरत पड़ने पर पैरवी करेगी. साथ ही बोर्ड ने इस बात पर भी नाराजगी जताई है कि अयोध्या के मामले के बाद से जानबूझकर मस्जिदों के मुद्दे उठाए जा रहे हैं जो सही नहीं हैं.

बोर्ड ने यह भी कहा है कि सभी ऐतिहासिक मस्जिदों में जुमे की नमाज के दौरान लोगों को उस मस्जिद से जुड़े हुए तमाम पहलुओं के बारे में जानकारी दी जाए. बोर्ड ने कहा है कि कभी कुतुबमीनार, कभी ताजमहल तो कभी किसी और जगह के नाम पर मस्जिदों को लेकर मामले उठाए जा रहे हैं. यह मुद्दे समाज में हिंदू मुस्लिम भाईचारे को खत्म कर रहे हैं इसलिए इन मामलों में बोर्ड आगे आकर कानूनी तौर पर लड़ाई लड़ेगा.

मदनी बोले, ज्ञानवापी मस्जिद का मामला सांप्रदायिक तत्वों की शरारत
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद का मामला सांप्रदायिक तत्वों की शरारत की वजह से इन दिनों सार्वजनिक और न्यायिक स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है. कुछ असमाजिक तत्व और पक्षपाती मीडिया इसे भावनात्मक लबादे में लपेटकर दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रही है. इन परिस्थितियों में जमीयत उलेमा-ए-हिंद भारत के सभी लोगों, विशेषकर भारत के मुसलमानों से सहानुभूतिपूर्वक अपील करती है. मौलाना ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद जैसे मुद्दे को सड़क पर न लाया जाए और सभी प्रकार के सार्वजनिक प्रदर्शनों से बचा जाए. इसके साथ ही मौलाना ने अपील में कहा कि इस मामले में मस्जिद इंतिजामिया कमेटी एक पक्षकार के रूप में विभिन्न अदालतों में मुकदमा लड़ रही है. उनसे उम्मीद है कि वे इस मामले को अंत तक मजबूती से लड़ेंगे. देश के अन्य संगठनों से अपील है कि वे इसमें सीधे हस्तक्षेप न करें, जो भी सहायता करनी है, वह अप्रत्यक्ष रूप से इंतिजामिया कमेटी की की जाए. उलेमा, वक्ताओं और गणमान्य व्यक्तियों और टीवी पर बहस करने वालों से अपील है कि वह टीवी डिबेट और बहस में भाग लेने से परहेज करें. यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए सार्वजनिक डिबेट में भड़काऊ बहस और सोशल मीडिया पर भाषणबाजी किसी भी तरह से देश और मुसलमानों के हित में नहीं है.


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Last Updated : May 18, 2022, 7:15 PM IST
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