लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी में शहर साफ करने के चक्कर में नगर निगम आम लोगों की छवि गंदी करने में जुटा है. खुले में पेशाब करने या फिर थूकने पर निगम जुर्माना तो कर ही रहा है. साथ ही उनकी वीडियो बना कर सोशल मीडिया में भी वायरल कर रहा है. इसको लेकर मानवाधिकार एक्टिविस्ट और वकील विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है यह कृत्य खुलेआम निजिता के अधिकार का हनन है. निगम गलती करने पर जुर्माना तो कर सकता है, लेकिन उनका माफी मांगते हुए और कान पकड़वा कर वीडियो बनाने का अधिकार नहीं है.
बता दें, नगर निगम ने जी20 और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद शहर की खूबसूरती बनाए रखने के लिए राजधानी में अभियान शुरू किया है. जिसे थूकना मना है नाम दिया गया है. इसके तहत लोगों को सार्वजनिक स्थल में पान मसाला खा कर थूकने पर जागरूक तो किया ही जाएगा, बल्कि 250 रुपये का चालान भी किया जा रहा है. निगम के अधिकारियों के मुताबिक ऐसे लोग जो खुले में पेशाब करते या थूकते मिलेंगे उन्हें पीकू खिताब से भी नवाजा जा रहा है. हालांकि इस अभियान की मियाद 23 फरवरी से एक मार्च तक रखी गई है. नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह के मुताबिक अब तक 82 लोगों से चालाना वसूल कर उन्हें पीकू खिताब दिया गया है.
इस बीच नगर निगम ऐसे लोगों के वीडियो भी सोशल मीडिया में पोस्ट कर रहा है, जो खुले में थूकते मिल रहे हैं, जिसका अब विरोध होने लगा है. दरअसल, सोशल मीडिया नगर निगम विभाग ने कई वीडियो और फोटो पोस्ट किए हैं. इनमें वे लोग दिख रहे हैं, जिन्हें नगर निगम कर्मचारियों ने खुले में थूकते पकड़ा और चालान किया था. नगर निगम कर्मचारियों ने उनसे वीडियो के सामने कान पकड़वा माफी मंगवाई और वीडियो बना कर सोशल मीडिया में पोस्ट कर दिया. यही नहीं कई ऐसी तस्वीरें हैं, जिसमें थूकने वालों को फूलों का माला पहनाया गया और तस्वीर वायरल कर दी गई. ये वीडियो और फोटो नगर निगम के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स से पोस्ट की गई हैं.
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रिंस लेनिन नगर निगम द्वारा लोगों के इस तरह वीडियो वायरल करने पर आपत्ति जताते हुए कहते हैं कि यह साफतौर पर निजिता के अधिकार का हनन है. सरकारी विभाग गलती करने पर जुर्माना कर सकती है, चालान कर सकते हैं, इसका उन्हें अधिकार है, लेकिन इस तरह उनका वीडियो बना कर समाज में प्रसारित करना गैर कानूनी है. लेनिन कहते हैं कि वर्ष 2019 के अंत में लखनऊ में सीएए एनआरसी को लेकर हुए उपद्रव में दोषी उपद्रवियों के पोस्टर सरकार द्वारा सड़क चौराहों पर लगाए गए थे. इस पर पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगाई और फिर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा था कि उन्हें आरोपियों का पोस्टर लगाने का अधिकार किस कानून के तहत मिला है? लेनिन कहते है कि ऐसे में साफ है कि नगर निगम द्वारा प्रसारित किए जा रहे वीडियो को हम पोस्टर कांड से जोड़ कर देख सकते हैं और दोनों ही कृत्य गैर कानूनी हैं.
राज्य मिशन निदेशक नगरीय नेहा शर्मा के मुताबिक जी20 के लिए पूरे प्रदेश को सजाया गया था और स्वच्छ अभियान चलाया गया था, लेकिन कुछ लोग थूक कर सड़कों को गंदा किया जा रहा था. जिस पर आगरा और लखनऊ में पीकू अभियान चलाया गया है. जहां 250 रुपये जुर्माना किया जा रहा है. सोशल मीडिया में पीकू अभियान के तहत थूकते हुए पकड़े गए लोगों की तस्वीर और वीडियो पोस्ट किए जाने पर लखनऊ के नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह की मानें तो ये नच कांसेप्ट के तहत मात्र है, वीडियो में दिखने वाले लोग उन्हीं के कर्मचारी हैं. हमारा विभाग लोगों की निजता का ख्याल रखता है.
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