लखनऊ : नगर निगम कर्मचारियों ने गुरुवार को अपनी कई मांगो को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. प्रदेश सरकार से नाराज नगर निगम कर्मचारी लखनऊ नगर निगम कार्यालय पर धरने पर बैठ गए. उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने कहा कि यह धरना सिर्फ चेतावनी है, यदि उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो और बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा ने बताया कि प्रदेशभर के नगर निगम कर्मचारी बीते कई वर्षो से अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे हैं. इसके बावजूद सरकार की तरफ से इन कर्मचारियों की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया है.
संगठन की ओर से दैनिक वेतन, धारा 108, संविदा तत्काल स्थायीकरण, आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को समय से वेतन और पद के अनुरूप मानदेय के मुद्दे को उठाया जा रहा है. इस आंदोलन को कई अन्य कर्मचारी संगठनों से भी समर्थन मिल रहा है. सिर्फ लखनऊ नगर निगम ही नहीं प्रदेश के अन्य नगर निगमों में भी कर्मचारियों ने इस आंदोलन के समर्थन में अपनी नाराजगी दर्ज कराई है. शशि कुमार मिश्रा ने कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगे नहीं मांगी तो आगामी 27 अगस्त को बड़ा आंदोलन किया जाएगा.
नगर निगम कर्मचारी संघ द्वारा की गईं ये मांगे
- वेतन विसंगति, पदोन्नति, संवर्गों का पुनर्गठन/ऊंचीकरण एवं विनियमितीकरण के साथ-साथ राज्य कर्मचारियों की तरह लिपिक संवर्ग किया जाए. राजस्व संवर्ग (अकेन्द्रीयित) के पद धारकों को 50% सहायक राजस्व निरीक्षक के पदों पर पदोन्नति/पुनर्गठन संबंधी मामले पर तत्काल निर्णय लिया जाए.
- कंप्यूटर ऑपरेटर, चालक संवर्ग, प्राविधिक संवर्ग, सेनेटरी सुपरवाइजर, प्रकाश निरीक्षक, स्टोर कीपर, आशुलिपिक, वर्क सुपरवाइजर एवं प्लंबर, ट्रेसर ड्राफ्टमैन, शिक्षक, विधि अधिकारी जैसे प्रकरणों में पूर्व में भेजे गए प्रस्तावों को प्रभावी किया जाए.
- सफाई कर्मचारी संवर्ग में पूरी सेवा में कम से कम 3 पदोन्नति के अवसर प्रदान करें. 31 दिसंबर 2001 तक नियुक्त दैनिक वेतन/ संविदा/ वर्क चार्ज कर्मचारियों का विनियमितीकरण के संबंध में जारी आदेशों का पालन किया जाए. जल संस्थान/जलकल कर्मचारियों को 250 रुपये नगर निगम भत्ता दिया जाना सुनिश्चित किया जाए.
- निकायों की जन्म/ मृत्यु पंजीयन प्रणाली को और मजबूत करने के लिए लिपिक पद नाम सृजित किया जाए. वैक्सीनेटर के साथ-साथ ऐसे संवर्ग के कर्मी, जो वर्तमान में मृत संवर्ग पर कार्यरत है. उन्हें उसी वेतनमान में समायोजित किया जाए.
- राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली धनराशि बढ़ी हुई आबादी एवं बढ़े हुए कार्य क्षेत्र के अनुसार किया जाए. इस धनराशि से सभी प्रकार की कटौती को तत्काल बंद किया जाना चाहिए.
- 74 वां संविधान संशोधन पूर्णता प्रभावी किया जाए एवं स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र में निकाय कर्मचारियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए.
निकाय कर्मचारियों को जल कर, सीवर कर और भवन कर से मुक्त किया जाए.
कितना है प्रदेश में कार्यरत कर्मचारियों का आंकड़ा ?
नगर निगम | 17 |
नगर पालिका | 204 |
नगर निकाय | 665 |
स्थाई कर्मचारी | 1 लाख 23 हजार 660 |
लिपिकीय संवर्ग के कर्मचारियों की संख्या | 60 हजार से अधिक |
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