लखनऊ: भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को मारने के लिए माफिया डॉन और पूर्वांचल के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के लाइट मशीन गन खरीदने की कहानी फिर सुर्खियां बटोर रही हैं. ऐसे में आज हम आपको मुख्तार अंसारी के काले साम्राज्य का वो सच बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय को मारने के लिए 17 साल पहले मुख्तार ने कैसे एलएमजी कांड साजिश रची, कैसे उसने लाइट मशीन गन खरीदने के लिए जेल के अंदर से ही प्लानिंग की. इस पूरे मामले का खुलासा किया है एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के तत्कालीन प्रभारी और पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र कुमार सिंह ने.
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'सेना से चोरी एलएमजी खरीदना चाहता था मुख्तार'
डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह के मुताबिक, मुख्तार के गनर ने अपने रिश्तेदार और सेना के भागौड़े बाबूलाल यादव के जरिए लाइट मशीन गन मुख्तार तक पहुंचाने की प्लानिंग की थी. बाबूलाल ने फौज से एलएमजी चुराई थी.
मुख्तार का गनर- घनश्याम से.
रिसीवर- घनश्याम खारवार.
मुख्तार का गनर- हां एक सैकेंड में दौड़कर जाइए और फौरन बात कराइए.
रिसीवर- ठीक है.
मुख्तार का गनर- एलएमजी है.
रिसीवर- हां.
मुख्तार का गनर- एलएमजी है.
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गनर ने मुख्तार अंसारी तक एलएमजी पहुंचाने की पूरी साजिश रची
गिरफ्तार के बाद मुख्तार अंसारी के गनर मुन्नर ने अपने बयान कहा था कि बाबूलाल मेरा रिश्तेदार फौज में था, उसने मुझे बोला था कि फौज से वो एक एलएमजी चोरी करके भागा है. मैंने सोचा हम लोग इसे बेच देंगे, अच्छे पैसे मिल जाएंगे. ऐसी चीज कोई भला आदमी तो खरीदता नहीं तो मैंने सोचा मुख्तार अंसारी से बात किया जाए. मैने बाबूलाल को मुख्तार अंसारी का नंबर दिया था. एलएमजी और कारतूस को दो प्लास्टिक की बोरियों में डालकर अपने घर के पीछे मकान में छिपा दिए थे, वहां कोई जाता नहीं था. मैं फोन से सौदा कर रहा था, एक करोड़ रुपए में बेचने की बात चल रही थी. बाबूलाल ने मुझे बताया था कि 25-1-2004 को पैसे मिल जाएंगे. लेकिन, 25-1-2004 की सुबह वो (बाबूलाल) घर पर आया, मैंने आवाज पर दरवाजा खोला तो पुलिसवाले थे. मैं घबरा गया पुलिस वालों ने मुझे पकड़ लिया. बाबूलाल पहले से ही पुलिस को सब बता चुका था. शुरू में मैने पुलिस को बहुत मना किया रौब भी दिखाया. लेकिन, पुलिसवाले सब जान कर आए थे, फिर मुझे उन्हें वो दोनों प्लास्टिक की बोरी, जिसमें एक में एलएमजी और एक में मैगजीन के कारतूस रखे थे, देने पड़े.
मुख्तार अंसारी को था डर, कहीं बृजेश सिंह तक ना पहुंच जाए एलएमजी
मुख्तार ने अपने गुर्ग से भी एलएमजी जल्द से जल्द पहुंचाने की बात कही थी, क्योंकि मुख्तार को डर था कि कहीं एलएमजी उससे पहले उसके दुश्मन बृजेश सिंह तक ना पहुंच जाए.
वर्ष 2004 में मुख्तार और उसके गुर्गे की बातचीत...
मुख्तार अंसारी- इस लाइन में इतना देर नहीं किया जाता, अगर वो बिक जाएगा, दुश्मन के पास चला जाएगा, सोचो तुम्हारे भाई का क्या होगा.
मुख्तार का गुर्गा- दुश्मन के भाई के पास कैसे जाएगा. दुश्मन के भाई के पास जाने से हम रोक देंगे. वहां पर नहीं जाएगा.
मुख्तार अंसारी- नहीं...बात कर रहे हैं.
मुख्तार का गुर्गा- नहीं सही है.
मुख्तार अंसारी- जल्दी करो कैसे भेंट होगी
मुख्तार का गुर्गा- भेंट होगी, मुजाहिद की वजह से गड़बड़ हो गया.
मुख्तार अंसारी- जल्दी पैसा देकर लौट आया जाए.
मुख्तार का गुर्गा- ठीक है हम अभी तुंरत जाते हैं.
पूरे मामले का खुलासा करने वाले पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह की माने तो उन्होंने मुख्तार की आवाज होने की पुष्टि भी की. हालांकि मुख्तार इस बात को नकारता रहा. पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने कहा कि मैंने मुख्तार अंसारी को फोन पर बात करते हुए सुना है और मेरी जानकारी के मुताबिक ये आवाज मुख्तार अंसारी की थी.