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एनआरएचएम से कई गुना बड़ा है जल जीवन मिशन घोटाला : सांसद संजय सिंह - lucknow news

सांसद संजय सिंह ने गोमतीनगर स्थित कार्यालय पर आयोजित एक प्रेसवार्ता के दौरान भाजपा पर निशाना साधा. संजय सिंह ने जल जीवन मिशन में करोड़ों के घोटाले को नआरएचएम से कई गुना बड़ा घोटाला बताया.

सांसद संजय सिंह
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Published : Sep 23, 2021, 10:43 PM IST

लखनऊ: आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी और सांसद संजय सिंह ने गुरुवार को एक बार फिर बीजेपी सरकार पर बड़ा हमला बोला है. संजय सिंह ने कहा कि जल जीवन मिशन में करोड़ों का घोटाला हुआ है. इसे एनआरएचएम से कई गुना बड़ा घोटाला बताया. उन्होंने कहा कि मिशन का काम करने वाली सभी 21 कंपनियां समीक्षा बैठक में फेल पाई गई हैं. आम आदमी पार्टी के गोमतीनगर स्थित कार्यालय पर आयोजित एक प्रेसवार्ता के दौरान सांसद संजय सिंह ने यह आरोप लगाए. उनका कहना है कि इन सभी आरोपों को मिशन के अधिकारी खुद ही प्रमाणित कर रहे हैं.

सांसद संजय सिंह का कहना है कि पहले मिशन के इंजीनियरों ने अपनी चिट्ठियों में लिखा कि कैसे स्वीकृत दरों से 30 से 40 प्रतिशत ज्यादा दरों पर टेंडर दिए गए हैं. यही नहीं उनकी चिट्ठियों से ये भी साफ हो गया है कि कैसे उनकी वित्तीय शक्तियों को भी आनन फानन में आदेश जारी करके 1 करोड़ से 5 करोड़ तक कर दिया गया. संजय सिंह ने ये भी बताया कि कैसे इंजीनियरों की चिट्ठियों के दबाव में मिशन के अधिशाषी निदेशक अखण्ड प्रताप सिंह ने बीती 21 अगस्त को जल निगम के प्रबंध निदेशक को एक पत्र लिखकर विभाग द्वारा स्वीकृत दरों की नई सूची मंगाया मतलब जिन बढ़ी दरों पर काम बांटे गए, उसको सही ठहराने के लिए जल निगम से ही दरों को संशोधित करा के बढ़ी दरों के बराबर लाने के भरसक प्रयास किए गए.

सांसद संजय सिंह का कहना है, 'मेरे आरोपों पर मंत्री महेंद्र सिंह ने सफाई दी थी कि मिशन में काम अव्वल दर्जे का हो रहा है और काम की गुणवत्ता मापने के लिए उन्होंने थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन कराने के भी निर्देश दिए थे, लेकिन यहां तो थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन के काम में भी घोटाला हो गया. जहां अन्य राज्यों में 0.5 परसेंट तक में टीपीआई का काम कराया जा रहा है. वहीं यहां करीब 1.33 प्रतिशत की ज्यादा दरों पर कराया जा रहा है मतलब इस काम में भी हजारों का घोटाला किया गया'.

संजय सिंह ने बताया कि बुंदेलखंड क्षेत्र में पेयजल का काम करने वाली 21 कंपनियों में प्रमुख हैं एल एंड टी, एनसीटी, जीवीपा आर लिमिटेड, मेधा इंजीनियरिंग लिमिटेड, वीपीआरएपीएल प्राइवेट लिमिटेड, जेएमसी, दारा इंजीनियरिंग, जैन कंस्ट्रक्शन, बृज इंजीनियरिंग, बैन्को कंस्ट्रक्शन, यूनीप्रो प्राइवेट लिमिटेड, एनके गुप्ता प्राइवेट लिमिटेड, गायत्री लिमिटेड, बृजगोपाल प्राइवेट लिमिटेड, पीएनसी प्राइवेट लिमिटेड, आईएचपी लिमिटेड, जीए इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, रामकी बावा प्राइवेट लिमिटेड और मल्टी अर्बन प्राइवेट लिमिटेड. इन सभी कंपनियों के कामकाज को लेकर राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के अध्यक्ष एवं प्रमुख सचिव नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बीती 25 अगस्त को ग्रामीण जलापूर्ति विभाग और जल जीवन मिशन के अन्तर्गत प्रदेश में क्रियान्वित हो रही प्रथम एवं द्वितीय चरण की विभिन्न पाइप पेयजल योजनाओं की समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई. इस बैठक में सभी परियोजनाओं की एजेंसी वार प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा में पाया गया कि सभी कंपनियों का कार्य संतोषजनक नहीं है. कंपनियां या तो काम में रूचि नहीं ले रही हैं या फिर समय और गुणवत्ता के साथ समझौता कर रही हैं. ऐसे में न सिर्फ परियोजनाओं का समय बढ़ रहा है बल्कि उसकी लागत में भी भारी बढ़ोत्तरी हो रही है, जिसका खामियाजा मिशन को उठाना पड़ रहा है.

संजय सिंह ने कहा कि उनके खुलासे के बाद अनुराग श्रीवास्तव समीक्षा बैठक कर रहे हैं, जबकि सच तो ये है कि इस काम में सभी राज्य की बाहर की कंपनियों को काम दिए गए. राज्य के किसी भी ठेकेदार और कंपनी को इन कामों को करने का काम नहीं दिया. मतलब साफ है कि मोटा कमीशन लेकर राज्य की बाहर की कंपनियों को काम बांटे गए. संजय सिंह ने जल जीवन मिशन में हो रहे महाघोटाले की सीबीआई जांच कराने की मांग दोहराई है.

लखनऊ: आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी और सांसद संजय सिंह ने गुरुवार को एक बार फिर बीजेपी सरकार पर बड़ा हमला बोला है. संजय सिंह ने कहा कि जल जीवन मिशन में करोड़ों का घोटाला हुआ है. इसे एनआरएचएम से कई गुना बड़ा घोटाला बताया. उन्होंने कहा कि मिशन का काम करने वाली सभी 21 कंपनियां समीक्षा बैठक में फेल पाई गई हैं. आम आदमी पार्टी के गोमतीनगर स्थित कार्यालय पर आयोजित एक प्रेसवार्ता के दौरान सांसद संजय सिंह ने यह आरोप लगाए. उनका कहना है कि इन सभी आरोपों को मिशन के अधिकारी खुद ही प्रमाणित कर रहे हैं.

सांसद संजय सिंह का कहना है कि पहले मिशन के इंजीनियरों ने अपनी चिट्ठियों में लिखा कि कैसे स्वीकृत दरों से 30 से 40 प्रतिशत ज्यादा दरों पर टेंडर दिए गए हैं. यही नहीं उनकी चिट्ठियों से ये भी साफ हो गया है कि कैसे उनकी वित्तीय शक्तियों को भी आनन फानन में आदेश जारी करके 1 करोड़ से 5 करोड़ तक कर दिया गया. संजय सिंह ने ये भी बताया कि कैसे इंजीनियरों की चिट्ठियों के दबाव में मिशन के अधिशाषी निदेशक अखण्ड प्रताप सिंह ने बीती 21 अगस्त को जल निगम के प्रबंध निदेशक को एक पत्र लिखकर विभाग द्वारा स्वीकृत दरों की नई सूची मंगाया मतलब जिन बढ़ी दरों पर काम बांटे गए, उसको सही ठहराने के लिए जल निगम से ही दरों को संशोधित करा के बढ़ी दरों के बराबर लाने के भरसक प्रयास किए गए.

सांसद संजय सिंह का कहना है, 'मेरे आरोपों पर मंत्री महेंद्र सिंह ने सफाई दी थी कि मिशन में काम अव्वल दर्जे का हो रहा है और काम की गुणवत्ता मापने के लिए उन्होंने थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन कराने के भी निर्देश दिए थे, लेकिन यहां तो थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन के काम में भी घोटाला हो गया. जहां अन्य राज्यों में 0.5 परसेंट तक में टीपीआई का काम कराया जा रहा है. वहीं यहां करीब 1.33 प्रतिशत की ज्यादा दरों पर कराया जा रहा है मतलब इस काम में भी हजारों का घोटाला किया गया'.

संजय सिंह ने बताया कि बुंदेलखंड क्षेत्र में पेयजल का काम करने वाली 21 कंपनियों में प्रमुख हैं एल एंड टी, एनसीटी, जीवीपा आर लिमिटेड, मेधा इंजीनियरिंग लिमिटेड, वीपीआरएपीएल प्राइवेट लिमिटेड, जेएमसी, दारा इंजीनियरिंग, जैन कंस्ट्रक्शन, बृज इंजीनियरिंग, बैन्को कंस्ट्रक्शन, यूनीप्रो प्राइवेट लिमिटेड, एनके गुप्ता प्राइवेट लिमिटेड, गायत्री लिमिटेड, बृजगोपाल प्राइवेट लिमिटेड, पीएनसी प्राइवेट लिमिटेड, आईएचपी लिमिटेड, जीए इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, रामकी बावा प्राइवेट लिमिटेड और मल्टी अर्बन प्राइवेट लिमिटेड. इन सभी कंपनियों के कामकाज को लेकर राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के अध्यक्ष एवं प्रमुख सचिव नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बीती 25 अगस्त को ग्रामीण जलापूर्ति विभाग और जल जीवन मिशन के अन्तर्गत प्रदेश में क्रियान्वित हो रही प्रथम एवं द्वितीय चरण की विभिन्न पाइप पेयजल योजनाओं की समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई. इस बैठक में सभी परियोजनाओं की एजेंसी वार प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा में पाया गया कि सभी कंपनियों का कार्य संतोषजनक नहीं है. कंपनियां या तो काम में रूचि नहीं ले रही हैं या फिर समय और गुणवत्ता के साथ समझौता कर रही हैं. ऐसे में न सिर्फ परियोजनाओं का समय बढ़ रहा है बल्कि उसकी लागत में भी भारी बढ़ोत्तरी हो रही है, जिसका खामियाजा मिशन को उठाना पड़ रहा है.

संजय सिंह ने कहा कि उनके खुलासे के बाद अनुराग श्रीवास्तव समीक्षा बैठक कर रहे हैं, जबकि सच तो ये है कि इस काम में सभी राज्य की बाहर की कंपनियों को काम दिए गए. राज्य के किसी भी ठेकेदार और कंपनी को इन कामों को करने का काम नहीं दिया. मतलब साफ है कि मोटा कमीशन लेकर राज्य की बाहर की कंपनियों को काम बांटे गए. संजय सिंह ने जल जीवन मिशन में हो रहे महाघोटाले की सीबीआई जांच कराने की मांग दोहराई है.

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