लखनऊ: सांसद कौशल किशोर ने किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय पर राज्य सरकार द्वारा बनाई गई कोविड-19 नियंत्रण नीति के उल्लंघन का आरोप लगाया है. जिसका प्रतिकूल प्रभाव मरीजों के इलाज पर पड़ रहा है.
आईसीएमआर के दिशा निर्देश नहीं मान रहे केजीएमयू के अधिकारी
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में सांसद ने कहा है कि आईसीएमआर ने कोविड लक्षण रहित चिकित्सकों एवं अन्य चिकित्सा कर्मियों के कोविड टेस्ट कराने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, लेकिन केजीएमयू ने इसे अपने 22 अप्रैल के नए आदेश माध्यम से मना कर दिया. केजीएमयू के जो चिकित्सक एक साल से कोविड मरीजों का इलाज बड़ी ईमानदारी व लगन से कर रहे हैं, उन्हें अब अपनी व परिवार की कोविड जांच के लिए फीवर क्लिनिक से परामर्श एवं विभागाध्यक्ष से अनुमोदन लेना होगा.
धनात्मक चिकित्सकों एवं कर्मचारियों को ड्यूटी पर आने का जारी कर दिया आदेश
सांसद ने कहा कि भारत सरकार के स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा होम आइसोलेशन के सम्बंध में स्पष्ट किया है कि कोविड धनात्मक होने के 10 दिनों पश्चात तथा पिछले 3 दिनों बुखार न आने की स्थिति में समाप्त माना जाएगा. अगले 7 दिनों तक रोगी घर में ही रहकर अपने स्वास्थ्य का अनुश्रवण करेंगे, लेकिन केजीएमयू के संदर्भित आदेश में ही कोविड लक्षण रहित चिकित्सकों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को धनात्मक रहने के बाद भी टेस्ट के दस दिन के तुरंत बाद ड्यूटी पर आने का आदेश जारी किया गया है.
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चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों के साथ अन्याय कर रहा है केजीएमयू
सांसद ने पत्र में लिखा है कि केजीएमयू का संदर्भित आदेश संक्रमण काल में सेवाएं दे रहे चिकित्सकों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के साथ अन्याय है. कोविड प्रबंधन में लगे अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय नीति के विरुद्ध निर्णयों के कारण ही केजीएमयू के कई प्रोफेसर, चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी व उनके परिवार के लोग संक्रमित होकर आईसीयू में भर्ती हैं तथा कई असमायिक मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं.
ड्यूटी में लाई जाए पारदर्शिता
सांसद ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि कोविड प्रबंधन में राष्ट्रीय/राजकीय नीति का पूर्ण अनुपालन एवं चिकित्सकों आदि की औचित्यपूर्ण ड्यूटी में पारदर्शिता हेतु केजीएमयू, लखनऊ को प्रभावी निर्देश देने दे.