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जनता की समस्याओं के निवारण के लिए सांसदों का संसद जाना है जरुरी: डॉ. मंजू दीक्षित - संसद

संसद में सांसदों की बढ़ती अनुपस्थिति पर कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. मंजू दीक्षित ने कहा कि कि संसद में सांसदों की उपस्थिति आवश्यक है, लेकिन जनता के बीच जाकर उनकी समस्या सुनना भी जरुरी है.

सांसदों के संसद न जाने पर क्या बोली कांग्रेस प्रवक्ता
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Published : Mar 14, 2019, 10:04 PM IST

लखनऊ: बड़ी पार्टियों के बड़े नेता संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा रहे हैं. जिसके चलते जनता की समस्याएं जस की सत बनी हुई है. इस सवाल पर कांग्रेस का कहना है कि संसद में सांसदों की उपस्थिति अति आवश्यक है , लेकिन जनता के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुननी भी जरुरी है.

सांसदों के संसद न जाने पर क्या बोली कांग्रेस प्रवक्ता

जनता अपना बहुमूल्य मत देकर अपना मनपसंद जनप्रतिनिधि तो चुन लेती है. लेकिन जनता की समस्याओं को उठाने के लिए जनप्रतिनिधि संसद जाना पसंद नहीं करते, जिससे जनता की समस्याएं जस की तस रह जाती हैं.

सभी निर्वाचित सांसदों के लिए संसद में कम से कम राष्ट्रीय औसत 80 परसेंट उपस्थिति दर्ज कराना आवश्यक है. जिससे वे जनता की समस्याओं को सदन के पटल पर रख सकें. लेकिन जब भाजपा,कांग्रेस और सपा जैसी बड़ी पर्टियों के नेता ही संसद से दूरी बना ले तो अन्य दलों से क्या उम्मीद की जा सकती है.

इस पूरे मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता डॉ मंजू दीक्षित का कहना है कि संसद में सांसदों की उपस्थिति आवश्यक है , लेकिन यह भी जरूरी है कि वह जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुने और उनका निराकरण करें.

लखनऊ: बड़ी पार्टियों के बड़े नेता संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा रहे हैं. जिसके चलते जनता की समस्याएं जस की सत बनी हुई है. इस सवाल पर कांग्रेस का कहना है कि संसद में सांसदों की उपस्थिति अति आवश्यक है , लेकिन जनता के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुननी भी जरुरी है.

सांसदों के संसद न जाने पर क्या बोली कांग्रेस प्रवक्ता

जनता अपना बहुमूल्य मत देकर अपना मनपसंद जनप्रतिनिधि तो चुन लेती है. लेकिन जनता की समस्याओं को उठाने के लिए जनप्रतिनिधि संसद जाना पसंद नहीं करते, जिससे जनता की समस्याएं जस की तस रह जाती हैं.

सभी निर्वाचित सांसदों के लिए संसद में कम से कम राष्ट्रीय औसत 80 परसेंट उपस्थिति दर्ज कराना आवश्यक है. जिससे वे जनता की समस्याओं को सदन के पटल पर रख सकें. लेकिन जब भाजपा,कांग्रेस और सपा जैसी बड़ी पर्टियों के नेता ही संसद से दूरी बना ले तो अन्य दलों से क्या उम्मीद की जा सकती है.

इस पूरे मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता डॉ मंजू दीक्षित का कहना है कि संसद में सांसदों की उपस्थिति आवश्यक है , लेकिन यह भी जरूरी है कि वह जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुने और उनका निराकरण करें.

Intro:
कांग्रेस ने माना- जनता की आवाज उठाने जनप्रतिनिधियों को जाना चाहिए संसद

लखनऊ। जनता अपना बहुमूल्य मत देकर आपका मनपसंद जनप्रतिनिधि तो चुनती है, लेकिन जनता की समस्याओं को उठाने के लिए जनप्रतिनिधि संसद जाना पसंद नहीं करते, जिससे जनता की समस्याएं जस की तस रह जाती हैं। बड़ी पार्टियों के बड़े नेता ही संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा रहे हैं ऐसे में उनकी पार्टी के अन्य सांसद भी दिलचस्पी कैसे लेंगे? इस सवाल पर कांग्रेसी नेता यह तो मानते हैं कि जनता की आवाज उठाने के लिए सांसदों का संसद में जरूर जाना चाहिए, लेकिन नेताओं की व्यस्तता को भी इसकी एक बड़ी वजह मानते हैं।


Body:संसद में सभी निर्वाचित सांसदों के लिए नियम है कि वे संसद में कम से कम राष्ट्रीय औसत 80 परसेंट उपस्थिति जरूर दर्ज कराएं जिससे वे जनता की समस्याओं को सदन के पटल पर रख सकें, उनका निराकरण करा सकें, लेकिन बड़े नेता ही इस 80 परसेंट की उपस्थिति के आंकड़े से काफी दूर हैं। भाजपा हो या फिर कांग्रेस, सपा हो या फिर अन्य कोई दल। इनके बड़े नेता नेताओं को जनता के मुद्दे सदन में रखने के लिए समय नहीं है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अमेठी से सांसद राहुल गांधी की बात की जाए तो इनकी भी सदन में उपस्थिति 80 परसेंट से काफी कम रही है। उनकी उपस्थिति सिर्फ 52 परसेंट रही।


Conclusion:कांग्रेस की प्रवक्ता डॉ मंजू दीक्षित का कहना है कि यह सही है कि संसद में सांसदों की उपस्थिति होनी चाहिए, लेकिन यह भी जरूरी है कि वह जनता के बीच जाकर जमीन पर उतर कर जनता की समस्याओं को सुने और उनका निराकरण करें, पहले यही जरूरी होता है। जनता अपना मनपसंद का जनप्रतिनिधि इसीलिए चुनती है। ऐसा नहीं है कि सांसद संसद नहीं जाते हैं जब जरूरत होती है तो वह संसद भी जाते हैं लेकिन बड़े नेताओं की इतनी उपस्थिति हो पाना संभव नहीं होता है। उन्हें विभिन्न कार्यों को निपटाना होता है। हालांकि उन्होंने यह जरूर माना कि सांसदों को संसद में
ज्यादा से ज्यादा अपनी उपस्थिति दर्ज करानी चाहिए। इसी तरह कांग्रेस के प्रदेश सचिव शैलेंद्र तिवारी का भी कहना है कि जनता अपना मनपसंद का जनप्रतिनिधि इसलिए चुनती है कि उनकी समस्याओं का निराकरण हो सके, ऐसे में जनप्रतिनिधियों को संसद जरूर जाना चाहिए। वे जाते भी हैं लेकिन जो नहीं जाते हैं उन्हें जनता ही जवाब भी दे देती है।
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