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पर्वतीय समाज ने रामलीला प्रांगण में किया होली नृत्य और गायन प्रोग्राम

राजधानी लखनऊ में पर्वतीय समाज की महिलाओं और पुरुषों ने महानगर में स्थित पर्वतीय रामलीला मैदान के प्रांगण में पर्वतीय परंपराओं के साथ नृत्य और गायन का प्रोग्राम किया. इस दौरान पर्वतीय समाज की महिलाओं और पुरुषों ने संगीत के साथ खूब होली गायन किया.

पर्वतीय समाज ने रामलीला प्रांगड में किया होली नृत्य और गायन प्रोग्राम
पर्वतीय समाज ने रामलीला प्रांगड में किया होली नृत्य और गायन प्रोग्राम
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Published : Mar 16, 2021, 9:40 PM IST

लखनऊ: पर्वतीय समाज की महिलाओं और पुरुषों ने महानगर में स्थित पर्वतीय रामलीला मैदान के प्रांगण में पर्वतीय परंपराओं के साथ नृत्य और गायन का प्रोग्राम किया. इस दौरान पर्वतीय समाज की महिलाओं और पुरुषों ने संगीत के साथ खूब होली गायन किया. पुरुषों ने महिलाओं के द्वारा संगीत और गायन पर होली नृत्य किया और महिलाओं ने भी खूब बढ़-चढ़कर पुरुषों की अपेक्षा इसमें हिस्सा लिया.

पर्वतीय महासभा परिषद के सचिव महेंद्र सिंह रावत ने बताया कि बसंत पंचमी के बाद से ही पर्वतीय समाज के लोग होली का आगमन मानते हैं और तभी से छोटे-मोटे प्रोग्राम भी करते रहते हैं. इसके साथ ही आज लखनऊ में पर्वती समाज के लोगों ने खड़ी होली और बैठी होली पर्वती संस्कृति के तौर तरीकों से मनाई. उनका एक उद्देश्य है कि पर्वती समाज की सभ्यता के साथ समाज के लोगों को जोड़ना. इसी के मद्देनजर यह प्रोग्राम रखा गया है, जहां पुरुष और महिलाएं सभी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

संगीत प्रभारी सरोज ने बताया कि पर्वतीय समाज में होली का तौर तरीका पौराणिक है, जिसमें दो प्रकार की होलियां मनाई जाती हैं. एक खड़ी होली, जो पुरुष खुले मंच पर नृत्य के साथ गायन करते हैं और दूसरी बैठी होली, जिसमें किसी बंद कमरे के अंदर होली गायन के साथ संगीत नृत्य किए जाते हैं. इसी के साथ ही उन्होंने पारंपारिक तौर पर एक होली गाकर सुनाई. पर्वतीय समाज के बारे में पारंपारिक जानकारी के तौर पर मोहन जी ने होली का गायन सुनाया, जिन्होंने बड़ी सरलता के साथ वहां की पारंपरिक होली का बखान किया.

लखनऊ: पर्वतीय समाज की महिलाओं और पुरुषों ने महानगर में स्थित पर्वतीय रामलीला मैदान के प्रांगण में पर्वतीय परंपराओं के साथ नृत्य और गायन का प्रोग्राम किया. इस दौरान पर्वतीय समाज की महिलाओं और पुरुषों ने संगीत के साथ खूब होली गायन किया. पुरुषों ने महिलाओं के द्वारा संगीत और गायन पर होली नृत्य किया और महिलाओं ने भी खूब बढ़-चढ़कर पुरुषों की अपेक्षा इसमें हिस्सा लिया.

पर्वतीय महासभा परिषद के सचिव महेंद्र सिंह रावत ने बताया कि बसंत पंचमी के बाद से ही पर्वतीय समाज के लोग होली का आगमन मानते हैं और तभी से छोटे-मोटे प्रोग्राम भी करते रहते हैं. इसके साथ ही आज लखनऊ में पर्वती समाज के लोगों ने खड़ी होली और बैठी होली पर्वती संस्कृति के तौर तरीकों से मनाई. उनका एक उद्देश्य है कि पर्वती समाज की सभ्यता के साथ समाज के लोगों को जोड़ना. इसी के मद्देनजर यह प्रोग्राम रखा गया है, जहां पुरुष और महिलाएं सभी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.

संगीत प्रभारी सरोज ने बताया कि पर्वतीय समाज में होली का तौर तरीका पौराणिक है, जिसमें दो प्रकार की होलियां मनाई जाती हैं. एक खड़ी होली, जो पुरुष खुले मंच पर नृत्य के साथ गायन करते हैं और दूसरी बैठी होली, जिसमें किसी बंद कमरे के अंदर होली गायन के साथ संगीत नृत्य किए जाते हैं. इसी के साथ ही उन्होंने पारंपारिक तौर पर एक होली गाकर सुनाई. पर्वतीय समाज के बारे में पारंपारिक जानकारी के तौर पर मोहन जी ने होली का गायन सुनाया, जिन्होंने बड़ी सरलता के साथ वहां की पारंपरिक होली का बखान किया.

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