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लखनऊ: लॉकडाउन में मस्जिदों के इमाम के सामने भी खड़ी हुई परेशानियां

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इस बार मस्जिद के इमामों की ईद फीकी नजर आ रही है. कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन लागू होने के बाद तरावीह की नमाज अदा कराने वाले इमामों को उपहार नहीं मिल पा रहा है.

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लॉकडाउन में मस्जिद के इमाम परेशान.
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Published : May 16, 2020, 10:21 AM IST

लखनऊ: राजधनी में कोरोना वायरस को देखते हुए जहां लॉकडाउन और बढ़ाया गया है तो वहीं रोजगार भी ठप हो गया है. जिसके चलते मस्जिदों के इमाम के सामने भी परेशानियां अब खड़ी हो गई हैं. रमजान महीना लॉकडाउन में गुजरने के चलते मस्जिदों में तरावीह की नमाज नहीं अदा हो रही है. इस वजह से इमामों को हदिया यानी उपहार नहीं मिला, जिससे उनकी रोजी रोटी पर भी संकट खड़ा हो गया है.

लॉकडाउन में मस्जिद के इमाम परेशान.

रमजान का चांद दिखने के बाद से ही मस्जिदों में तरावीह की नमाज का दौर शुरू हो जाया करता है, जिसमें हजारों की तादाद में मुसलमान इमाम के पीछे तरावीह की नमाज अदा किया करते थे. लॉकडाउन के चलते मस्जिदों में ताला है और लोग अपने घरों में इबादत के साथ तरावीह की नमाज भी अदा कर रहे है. ऐसे में तरावीह की नमाज अदा कराने के बाद लोग इमाम को खुशी के तौर पर पैसे और कपड़े देते थे, जिससे इमाम का पूरे साल का गुजारा हो जाया करता था, लेकिन इस वर्ष ऐसा न होने के चलते मस्जिदों के इमाम भी मायूस हैं.

मस्जिद की कमेटी और इलाके के लोगों से अपील करता हूं, कि वह इस साल भी हर साल की तरह हदिया अपनी मस्जिदों के इमाम को दें, जिससे इमाम के सामने खड़ी हो रही परेशानियों को दूर किया जा सके.
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, मुस्लिम धर्मगुरु

लखनऊ: राजधनी में कोरोना वायरस को देखते हुए जहां लॉकडाउन और बढ़ाया गया है तो वहीं रोजगार भी ठप हो गया है. जिसके चलते मस्जिदों के इमाम के सामने भी परेशानियां अब खड़ी हो गई हैं. रमजान महीना लॉकडाउन में गुजरने के चलते मस्जिदों में तरावीह की नमाज नहीं अदा हो रही है. इस वजह से इमामों को हदिया यानी उपहार नहीं मिला, जिससे उनकी रोजी रोटी पर भी संकट खड़ा हो गया है.

लॉकडाउन में मस्जिद के इमाम परेशान.

रमजान का चांद दिखने के बाद से ही मस्जिदों में तरावीह की नमाज का दौर शुरू हो जाया करता है, जिसमें हजारों की तादाद में मुसलमान इमाम के पीछे तरावीह की नमाज अदा किया करते थे. लॉकडाउन के चलते मस्जिदों में ताला है और लोग अपने घरों में इबादत के साथ तरावीह की नमाज भी अदा कर रहे है. ऐसे में तरावीह की नमाज अदा कराने के बाद लोग इमाम को खुशी के तौर पर पैसे और कपड़े देते थे, जिससे इमाम का पूरे साल का गुजारा हो जाया करता था, लेकिन इस वर्ष ऐसा न होने के चलते मस्जिदों के इमाम भी मायूस हैं.

मस्जिद की कमेटी और इलाके के लोगों से अपील करता हूं, कि वह इस साल भी हर साल की तरह हदिया अपनी मस्जिदों के इमाम को दें, जिससे इमाम के सामने खड़ी हो रही परेशानियों को दूर किया जा सके.
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, मुस्लिम धर्मगुरु

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