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लॉकडाउन: किसानों का सहारा बनीं खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां, 90% से ज्यादा इकाइयां शुरू

यूपी सरकार ने किसानों की समस्याओं को समझते हुए खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के संचालन पर जोर दिया है. इसी क्रम में प्रदेश में लॉकडाउन के कारण बंद हुईं लगभग 90 प्रतिशत खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को शुरू कराया जा चुका है.

खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को कराया गया शुरू.
खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को कराया गया शुरू.
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Published : May 12, 2020, 6:30 PM IST

लखनऊ: लॉकडाउन में प्रदेश के किसान बाजार में कृषि उत्पादों का बेहतर मूल्य न मिलने से परेशान हैं. साग-सब्जी से लेकर दुग्ध उत्पाद तक किसी का भी बाजार मूल्य ठीक नहीं है. ऐसे में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों से ही किसानों को उम्मीद बंधी हुई है. प्रदेश सरकार ने इसे समझते हुए खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के संचालन पर सर्वाधिक जोर दिया है. प्रदेश सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को किसानों से सीधे कृषि उत्पाद खरीदने की छूट भी दे दी है.

खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को कराया गया शुरू.

'प्रदेश सरकार ने बंद पड़ी प्रसंस्करण इकाइयों को चालू कराने के दिए निर्देश'
लॉकडाउन के दौरान जहां अन्य उद्योग-धंधे बंद पड़े हुए हैं, वहीं सरकार ने कृषि क्षेत्र में संचालन की अनुमति दी है. इसके साथ ही खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को भी संचालन की अनुमति दे दी है. प्रदेश सरकार ने उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण अधिकारियों को निर्देश भी दिया है कि वह बंद पड़ी प्रसंस्करण इकाइयों को तत्काल चालू कराएं.

'90% से ज्यादा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को कराया गया शुरू'

उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण के निदेशक एसबी शर्मा के अनुसार पिछले दिनों में 90% से ज्यादा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को शुरू कराया जा चुका है. जो इकाइयां मजदूरों के पलायन या अन्य कारणों से बंद हैं उन्हें भी जल्द से जल्द संचालित करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने यह भी बताया कि जिन प्रसंस्करण इकाइयों के मजदूर होली के अवकाश की वजह से अपने गांव में फंसे थे, उन्हें विशेष अनुमति देकर काम पर वापस बुलाया गया है.

'संसाधनों के अभाव में उत्पादक अपना माल नहीं पहुंचा पा रहे बाजार'

सरकार की विशेष अनुमति मिलने के बाद प्रदेश की खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां तो संचालित की जा रही हैं, लेकिन छोटे और कुटीर उद्योग के तौर पर काम करने वालों को बाजार खुलने का इंतजार है. संसाधनों के अभाव में ऐसे उत्पादक अपना माल बाजार तक पहुंचा नहीं पा रहे हैं.

गृह उद्योग संचालित करने वाली राजधानी लखनऊ की अर्चना पांडे ने बताया कि उन्हें सबसे ज्यादा बिक्री विभिन्न सरकारी विभागों की ओर से आयोजित होने वाली प्रदर्शनी में मिलती है. ऐसी प्रदर्शनी में ही उन्हें दर्जनों बार श्रेष्ठ कार्य के लिए पुरस्कृत और सम्मानित भी किया जा चुका है. ऐसे में उनकी तमन्ना है कि लॉकडाउन खुले जिससे उन्हें प्रदर्शनी में अपने उत्पाद बेचने का मौका मिले.

लॉकडाउन के दौरान खोली गई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां
प्रदेश में कुल 351 दाल प्रसंस्करण इकाई हैं. जो लॉकडाउन के कारण बंद हो गई थीं. लॉकडाउन के दौरान इनमें से 269 इकाइयों को संचालित किया गया. वहीं प्रदेश में गेहूं उत्पाद प्रसंस्करण की कुल 989 इकाइयां हैं, जिनमें से 7 मई तक 931 इकाइयों को संचालित किया जा चुका है. इसी तरह तिलहन उत्पाद से संबंधित 456 प्रसंस्करण इकाइयों में से लॉकडाउन के दौरान 431 इकाइयां संचालित की जा रही हैं.

लखनऊ: लॉकडाउन में प्रदेश के किसान बाजार में कृषि उत्पादों का बेहतर मूल्य न मिलने से परेशान हैं. साग-सब्जी से लेकर दुग्ध उत्पाद तक किसी का भी बाजार मूल्य ठीक नहीं है. ऐसे में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों से ही किसानों को उम्मीद बंधी हुई है. प्रदेश सरकार ने इसे समझते हुए खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के संचालन पर सर्वाधिक जोर दिया है. प्रदेश सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को किसानों से सीधे कृषि उत्पाद खरीदने की छूट भी दे दी है.

खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को कराया गया शुरू.

'प्रदेश सरकार ने बंद पड़ी प्रसंस्करण इकाइयों को चालू कराने के दिए निर्देश'
लॉकडाउन के दौरान जहां अन्य उद्योग-धंधे बंद पड़े हुए हैं, वहीं सरकार ने कृषि क्षेत्र में संचालन की अनुमति दी है. इसके साथ ही खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को भी संचालन की अनुमति दे दी है. प्रदेश सरकार ने उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण अधिकारियों को निर्देश भी दिया है कि वह बंद पड़ी प्रसंस्करण इकाइयों को तत्काल चालू कराएं.

'90% से ज्यादा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को कराया गया शुरू'

उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण के निदेशक एसबी शर्मा के अनुसार पिछले दिनों में 90% से ज्यादा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को शुरू कराया जा चुका है. जो इकाइयां मजदूरों के पलायन या अन्य कारणों से बंद हैं उन्हें भी जल्द से जल्द संचालित करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने यह भी बताया कि जिन प्रसंस्करण इकाइयों के मजदूर होली के अवकाश की वजह से अपने गांव में फंसे थे, उन्हें विशेष अनुमति देकर काम पर वापस बुलाया गया है.

'संसाधनों के अभाव में उत्पादक अपना माल नहीं पहुंचा पा रहे बाजार'

सरकार की विशेष अनुमति मिलने के बाद प्रदेश की खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां तो संचालित की जा रही हैं, लेकिन छोटे और कुटीर उद्योग के तौर पर काम करने वालों को बाजार खुलने का इंतजार है. संसाधनों के अभाव में ऐसे उत्पादक अपना माल बाजार तक पहुंचा नहीं पा रहे हैं.

गृह उद्योग संचालित करने वाली राजधानी लखनऊ की अर्चना पांडे ने बताया कि उन्हें सबसे ज्यादा बिक्री विभिन्न सरकारी विभागों की ओर से आयोजित होने वाली प्रदर्शनी में मिलती है. ऐसी प्रदर्शनी में ही उन्हें दर्जनों बार श्रेष्ठ कार्य के लिए पुरस्कृत और सम्मानित भी किया जा चुका है. ऐसे में उनकी तमन्ना है कि लॉकडाउन खुले जिससे उन्हें प्रदर्शनी में अपने उत्पाद बेचने का मौका मिले.

लॉकडाउन के दौरान खोली गई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां
प्रदेश में कुल 351 दाल प्रसंस्करण इकाई हैं. जो लॉकडाउन के कारण बंद हो गई थीं. लॉकडाउन के दौरान इनमें से 269 इकाइयों को संचालित किया गया. वहीं प्रदेश में गेहूं उत्पाद प्रसंस्करण की कुल 989 इकाइयां हैं, जिनमें से 7 मई तक 931 इकाइयों को संचालित किया जा चुका है. इसी तरह तिलहन उत्पाद से संबंधित 456 प्रसंस्करण इकाइयों में से लॉकडाउन के दौरान 431 इकाइयां संचालित की जा रही हैं.

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