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लखनऊ के 400 से ज्यादा ज्वेलर्स को इनकम टैक्स ने भेजा नोटिस

नोटबंदी में कारोबार करना राजधानी लखनऊ के ज्वेलर्स को अब भारी पड़ता दिख रहा है. इनकम टैक्स विभाग ने सर्राफा कारोबारियों पर इनकम टैक्स बकाया का 50 गुना तक नोटिस थमा दिया है. इससे परेशान कारोबारी सरकार से हस्तक्षेप करने की गुहार लगा रहे हैं.

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ज्वेलर्स को मिला इनकम टैक्स का नोटिस
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Published : Jan 9, 2020, 8:38 PM IST

लखनऊ: राजधानी के 400 से ज्यादा ज्वेलर्स को आयकर विभाग ने नोटिस भेजा है. दरअसल इन कारोबारियों से विभाग ने 2017-18 में की गई बिक्री के आधार पर आय का ब्यौरा मांगा है. वहीं आयकर विभाग के अधिकारी भी इस मामले में कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हैं.

सैकड़ों ज्वेलर्स को मिला इनकम टैक्स का नोटिस.

एक ओर जहां आयकर विभाग इसे रूटीन कार्रवाई बता रहा है, तो वहीं सर्राफा व्यापारी इसे उत्पीड़न करार दे रहे हैं. इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (इब्जा) के प्रदेश अध्यक्ष अनुराग रस्तोगी का कहना है कि नोटबंदी वाले साल में उत्पन्न परिस्थितियों की वजह से उन्होंने ज्यादा बिक्री की, तो टैक्स भी ज्यादा चुकाया. अब उनसे हिसाब-किताब मांगा जा रहा है, जबकि उन्होंने जो माल बेचा वह उनकी बुक में दर्ज है और उसी बिक्री से उन्हें मुनाफा भी हुआ है. उनका कहना है कि आयकर की नोटिस से उनकी परेशानी बढ़ गई है. जो नोटिस मिला है, वह कई गुना ज्यादा किए गए आकलन के आधार पर है.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ: मार्च के बाद शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड में होगा बड़ा फेरबदल

व्यापारियों का कहना है कि वर्ष 2017-18 में लोगों की बिक्री अचानक बढ़ी, लेकिन बाद के वर्षों में ऐसा होना संभव नहीं था. सर्राफा कारोबारियों की परेशानी यह भी है कि अगर वह आयकर नोटिस के आधार पर मांगा गया टैक्स जमा करते हैं, तो उन्हें आय से भी कई गुना ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा. अगर वह अपील में जाते हैं तो नोटिस का 20 प्रतिशत जमा करने के बाद ही सुनवाई होगी. यह राशि भी कारोबारियों के लिए काफी ज्यादा है. पेनाल्टी जमा करने की सूरत में उन्हें 60% टैक्स, 25% सरचार्ज और 10% पेनाल्टी देनी होगी. यानी कुल भुगतान 95 प्रतिशत देय होगा. राजधानी लखनऊ में करीब 1750 सर्राफा कारोबारी हैं और इनमें से 400 से लेकर 600 लोगों तक नोटिस मिलने की जानकारी सामने आई है.

लखनऊ: राजधानी के 400 से ज्यादा ज्वेलर्स को आयकर विभाग ने नोटिस भेजा है. दरअसल इन कारोबारियों से विभाग ने 2017-18 में की गई बिक्री के आधार पर आय का ब्यौरा मांगा है. वहीं आयकर विभाग के अधिकारी भी इस मामले में कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हैं.

सैकड़ों ज्वेलर्स को मिला इनकम टैक्स का नोटिस.

एक ओर जहां आयकर विभाग इसे रूटीन कार्रवाई बता रहा है, तो वहीं सर्राफा व्यापारी इसे उत्पीड़न करार दे रहे हैं. इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (इब्जा) के प्रदेश अध्यक्ष अनुराग रस्तोगी का कहना है कि नोटबंदी वाले साल में उत्पन्न परिस्थितियों की वजह से उन्होंने ज्यादा बिक्री की, तो टैक्स भी ज्यादा चुकाया. अब उनसे हिसाब-किताब मांगा जा रहा है, जबकि उन्होंने जो माल बेचा वह उनकी बुक में दर्ज है और उसी बिक्री से उन्हें मुनाफा भी हुआ है. उनका कहना है कि आयकर की नोटिस से उनकी परेशानी बढ़ गई है. जो नोटिस मिला है, वह कई गुना ज्यादा किए गए आकलन के आधार पर है.

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व्यापारियों का कहना है कि वर्ष 2017-18 में लोगों की बिक्री अचानक बढ़ी, लेकिन बाद के वर्षों में ऐसा होना संभव नहीं था. सर्राफा कारोबारियों की परेशानी यह भी है कि अगर वह आयकर नोटिस के आधार पर मांगा गया टैक्स जमा करते हैं, तो उन्हें आय से भी कई गुना ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा. अगर वह अपील में जाते हैं तो नोटिस का 20 प्रतिशत जमा करने के बाद ही सुनवाई होगी. यह राशि भी कारोबारियों के लिए काफी ज्यादा है. पेनाल्टी जमा करने की सूरत में उन्हें 60% टैक्स, 25% सरचार्ज और 10% पेनाल्टी देनी होगी. यानी कुल भुगतान 95 प्रतिशत देय होगा. राजधानी लखनऊ में करीब 1750 सर्राफा कारोबारी हैं और इनमें से 400 से लेकर 600 लोगों तक नोटिस मिलने की जानकारी सामने आई है.

Intro:लखनऊ. नोटबंदी में कारोबार करना राजधानी लखनऊ के ज्वेलर को भारी पड़ रहा है इनकम टैक्स विभाग ने सर्राफा कारोबारियों पर इनकम टैक्स बकाया का 50 गुना तक नोटिस थमा दिया है. इससे परेशान कारोबारी सरकार से हस्तक्षेप की गुहार लगा रहे हैं.


Body:राजधानी लखनऊ के 400 से ज्यादा ज्वेलर इन दिनों इनकम टैक्स अधिकारियों को देखकर थरथर कांप रहे हैं। इसकी वजह कारोबारियों को आयकर का मिला वह नोटिस है जिसमें उनसे वर्ष दो 2017- 18 में की गई बिक्री के आधार पर आय का ब्यौरा मांगा गया है ।आयकर विभाग के अधिकारी भी इस मामले में कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हैं लेकिन अनौपचारिक बातचीत में वह मान रहे हैं यह रूटीन काम है ।सर्राफा कारोबारियों से उनके आयकर संबंधी विवरण मांगे गए हैं जो पहले भी मांगे जाते रहे हैं ।

आयकर विभाग भले इसे रूटीन कार्यवाही करार दे रहा है लेकिन सर्राफा व्यापारी इसे उत्पीड़न करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि जब उन्होंने नोट बंदी वाले साल में उत्पन्न परिस्थितियों की वजह से ज्यादा बिक्री की तो टैक्स भी ज्यादा चुकाया ।अब उनसे हिसाब -किताब मांगा जा रहा है जबकि उन्होंने जो माल बेचा वह उनकी बुक में दर्ज है और उसी बिक्री से उन्हें मुनाफा हुआ है । आयकर की नोटिस से उनकी परेशानी बढ़ गई है। जो नोटिस मिला है वह कई गुना ज्यादा किए गए आकलन के आधार पर है। वर्ष 2017-18 में लोगों की बिक्री अचानक बढ़ी लेकिन बाद के वर्षों में ऐसा होना संभव नहीं था। सर्राफा कारोबारियों की परेशानी यह भी है कि अगर वह आयकर नोटिस के आधार पर मांगा गया टैक्स जमा करते हैं तो उन्हें आय से भी कई गुना ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा और अगर अपील में जाते हैं तो नोटिस का 20 प्रतिशत जमा करने के बाद ही सुनवाई होगी । यह राशि भी कारोबारियों के लिए काफी ज्यादा है। पेनाल्टी जमा करने की सूरत में उन्हें 60% टैक्स 25% सरचार्ज और 10% पेनाल्टी देनी होगी यानी कुल भुगतान 95 प्रतिशत होगा। राजधानी लखनऊ में लगभग 1750 सर्राफा कारोबारी हैं और इनमें से 400 से लेकर 600 लोगों तक नोटिस मिलने की जानकारी मिल रही है।


बाइट/ अनुराग रस्तोगी, प्रदेश अध्यक्ष इंडिया बुलियन एसोसिएशन (इब्जा)

पीटीसी अखिलेश तिवारी

9653003408


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