लखनऊ: राजधानी के 400 से ज्यादा ज्वेलर्स को आयकर विभाग ने नोटिस भेजा है. दरअसल इन कारोबारियों से विभाग ने 2017-18 में की गई बिक्री के आधार पर आय का ब्यौरा मांगा है. वहीं आयकर विभाग के अधिकारी भी इस मामले में कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हैं.
एक ओर जहां आयकर विभाग इसे रूटीन कार्रवाई बता रहा है, तो वहीं सर्राफा व्यापारी इसे उत्पीड़न करार दे रहे हैं. इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (इब्जा) के प्रदेश अध्यक्ष अनुराग रस्तोगी का कहना है कि नोटबंदी वाले साल में उत्पन्न परिस्थितियों की वजह से उन्होंने ज्यादा बिक्री की, तो टैक्स भी ज्यादा चुकाया. अब उनसे हिसाब-किताब मांगा जा रहा है, जबकि उन्होंने जो माल बेचा वह उनकी बुक में दर्ज है और उसी बिक्री से उन्हें मुनाफा भी हुआ है. उनका कहना है कि आयकर की नोटिस से उनकी परेशानी बढ़ गई है. जो नोटिस मिला है, वह कई गुना ज्यादा किए गए आकलन के आधार पर है.
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व्यापारियों का कहना है कि वर्ष 2017-18 में लोगों की बिक्री अचानक बढ़ी, लेकिन बाद के वर्षों में ऐसा होना संभव नहीं था. सर्राफा कारोबारियों की परेशानी यह भी है कि अगर वह आयकर नोटिस के आधार पर मांगा गया टैक्स जमा करते हैं, तो उन्हें आय से भी कई गुना ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा. अगर वह अपील में जाते हैं तो नोटिस का 20 प्रतिशत जमा करने के बाद ही सुनवाई होगी. यह राशि भी कारोबारियों के लिए काफी ज्यादा है. पेनाल्टी जमा करने की सूरत में उन्हें 60% टैक्स, 25% सरचार्ज और 10% पेनाल्टी देनी होगी. यानी कुल भुगतान 95 प्रतिशत देय होगा. राजधानी लखनऊ में करीब 1750 सर्राफा कारोबारी हैं और इनमें से 400 से लेकर 600 लोगों तक नोटिस मिलने की जानकारी सामने आई है.