लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पॉलिटेक्निक के 2 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं की परीक्षाएं मजाक बनकर रह गई है. छात्र बार-बार यह सवाल उठा रहे हैं कि उनकी परीक्षाएं कब होंगी? लेकिन, जिम्मेदारों के पास इसका कोई जवाब नहीं है. बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन के सचिव सुनील सोनकर का कहना है कि उनके स्तर पर तैयारियां की जा रही है. 90% तक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और जल्द ही परीक्षाओं का कार्यक्रम घोषित किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश में राजकीय सरकारी सहायता प्राप्त और निजी पॉलिटेक्निक संस्थानों की संख्या 1,417 है. इनमें प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं की सीटें 1,30,000 से ज्यादा है. प्रदेशभर के इन पॉलिटेक्निक संस्थानों में जुलाई 2021 की सेमेस्टर/वार्षिक परीक्षाएं अभी तक नहीं हो पाई है. बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन की तरफ से पूर्व में 22 जुलाई से यह परीक्षाएं कराने का फैसला लिया गया था. लेकिन परीक्षा शुरू होने के चंद दिन पहले इसे स्थगित कर दिया गया.
अचानक परीक्षाओं को निरस्त करने के बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन के प्रस्ताव को लेकर सवाल खड़े होने लगे. प्रदेश में हंगामा हुआ तो अचानक परिषद की ओर से प्रैक्टिकल परीक्षाएं कराने की घोषणा कर दी गई. इन परीक्षाओं की अंतिम तिथि भी 5 अगस्त यानी गुरुवार है. बावजूद अभी तक परीक्षाओं को लेकर जिम्मेदार कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए हैं.
शासन की तरफ से एकेटीयू की तर्ज पर पॉलिटेक्निक की परीक्षाओं को भी ऑनलाइन कराने का फैसला लिया गया है. पेपर बहुविकल्पीय प्रश्नों पर आधारित होगा. जिसे छात्र-छात्राएं अपने घर ,साइबर कैफे या कॉलेज में बैठ कर दे सकेंगे.
इस पूरे मामले में हो रही देरी के चलते जिम्मेदारों पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. जानकारों की माने तो, इस परीक्षा को कराने के लिए एजेंसी का निर्धारण किया जा रहा है. अभी तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है. इसमें शासन के स्तर पर बैठे हुए कई अधिकारियों के कारण प्रक्रिया प्रभावित होने की बात भी सामने आ रही है.
जिम्मेदारों के स्तर पर चल रहे इस खेल का खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है. असल में कई छात्र छात्राएं इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि उनका परीक्षा हो जाए और उन्हें काम करने का मौका मिले. कई निजी संस्थानों के छात्र-छात्राओं को प्लेसमेंट मिल चुका है लेकिन वह फिर परीक्षाओं का इंतजार कर रहे. नाम न छापने की शर्त पर एक छात्र ने कहा कि जिम्मेदारों के स्तर पर हो रही इस लापरवाही के कारण उनकी नौकरियां तक फंसी हुई है.
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