लखनऊः राजधानी लखनऊ को मेडिकल हब के तौर पर जाना जाता है. यहां पर बड़े पैमाने पर सरकारी अस्पताल हैं, जहां पर ओपीडी की सुविधा है, लेकिन तमाम सरकारी अस्पतालों में ओपीडी की सुविधा होने के बावजूद अधिक मरीज होने से दबाव रहता है. दबाव के चलते अस्पतालों में अव्यवस्थाएं देखी जाती हैं.
ओपीडी हैं कम
लखनऊ के केजीएमयू, बलरामपुर, लोहिया सिविल अस्पताल में ओपीडी की सुविधा उपलब्ध है. इन अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज पहुंचते हैं. केजीएमयू में 20 ओपीडी हैं पर सामान्य दिनों में यहां पर रोज लगभग 5000 लोग इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. कोरोना संक्रमण के दौर में करीब 2000 लोग रोज इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं. वहीं बलरामपुर में 12, लोहिया संस्थान में 10 व सिविल में 8 ओपीडी हैं. यहां पर भी ओपीडी की तुलना में अत्याधिक मरीजों का दबाव रहता है.
![पर्चा बनवाने के लिए भीड़](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-luc-01-lucknow-gov-hospital-opd-reality-pkg-7200985_31122020165625_3112f_01945_659.jpg)
इलाज कराने में सबसे बड़ी समस्या लंबी लाइनें
लखनऊ के सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में इलाज कराने पहुंचने वाले मरीजों की सबसे बड़ी समस्या पर्चा बनवाने के लिए लगने वाली लंबी लाइन है. ओपीडी में दिखाने से पहले पर्चा बनवाने के लिए मरीजों को लंबी लाइन लगानी पड़ती है. उसके बाद फिर डॉक्टर के कमरे के सामने घंटों इंतजार करना पड़ता है. मरीजों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह लंबी लाइन ही होती है. इसका बड़ा कारण ओपीडी की अपेक्षा मरीजों की संख्या अधिक होना है.
पर्चा बनवाने में समस्याएं
केजीएमयू हो, बलरामपुर सिविल या फिर लोहिया, यहां पर इलाज कराने वाले लोगों को पर्चा बनवाने व डॉक्टर को दिखाने में समस्या होती है. अस्पतालों में सहायता काउंटर की कमी के चलते लोगों को भटकना पड़ता है. जो लोग पहली बार आते हैं, उन्हें पता ही नहीं होता है कि रजिस्ट्रेशन काउंटर कहां है और सिर्फ एक बार दिखाने के लिए पर्चा कहां बनेगा.
लॉकडाउन के बाद अब फिर से ओपीडी में बढ़ने लगा दबाव
कोरोना संक्रमण को लेकर लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान लखनऊ के सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या निर्धारित कर दी गई थी. इसके चलते कम संख्या में मरीज अस्पताल पहुंच रहे थे. वहीं अब जब लॉकडाउन खत्म हो गया है और कोरोना वायरस के मामलों में कमी दर्ज की गई है तो एक बार फिर से राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में दबाव बढ़ने लगा है.