ETV Bharat / state

बचपन से चश्मिश बन रहे 75 फीसदी बच्चे - बच्चों के स्वास्थ्य पर मोबाइल का प्रभाव

छोटी उम्र में बच्चों के फोन इस्तेमाल करने वाले आंकड़े चौंकाने वाले हैं. मोबाइल या टीवी स्क्रीन पर ज्यादा से ज्यादा समय बीताने के कारण बच्चों की आंखों पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है. इससे वे बचपन से ही चश्मिश बन जाते हैं. पढ़िए ये रिपोर्ट...

मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे बच्चे.
मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे बच्चे.
author img

By

Published : Apr 6, 2021, 10:19 AM IST

लखनऊ: आज के दौर में बच्चे ज्यादा से ज्यादा समय मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं. महज एक साल के बच्चे को मोबाइल के यूट्यूब से कार्टून और मोबाइल में गेम्स एप्लीकेशन के बारे में सब कुछ पता होता है और परिजनों को इस बात पर गर्व होता है. बच्चे के रोने या जिद करने पर माता-पिता उन्हें मोबाइल दे देते हैं, लेकिन डिवाइस का उन पर क्या दुष्प्रभाव पड़ रहा है, इसकी उन्हें खबर नहीं होती.

मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे बच्चे.

75 फीसदी बच्चे बचपन से चश्मिश बन रहे
वर्तमान में करीब 75 फीसदी बच्चे बचपन से ही चश्मिश बन जाते हैं. इसकी वजह यही है कि बचपन से ही बच्चे टेलीविजन और मोबाइल की स्क्रीन पर ज्यादा से ज्यादा समय बीता रहे हैं. उससे उनके रेटिना पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है. कामकाजी महिलाएं बच्चों से फ्री होने के लिए उन्हें मोबाइल पकड़ा देती हैं या फिर टीवी के सामने बैठा देती हैं.

आंखों पर पड़ रहा दुष्प्रभाव.
आंखों पर पड़ रहा दुष्प्रभाव.

एक दौर ऐसा था, जब परिवार में बच्चों की चहलकदमी रहती थी, लेकिन आज के दौर में सब खो गया है. बच्चे खेलने-कूदने के लिए बाहर नहीं जाते हैं. घर में ही मोबाइल पर सारा समय बीताते हैं. वीडियो गेम या फिर मोबाइल गेम खेला करते हैं. बच्चे 10 मिनट से ज्यादा भी स्क्रीन पर फोकस करते हैं तो उनके दिमाग पर असर पड़ता है. मोबाइल का फोकस उनकी आंखों और दिमाग पर प्रभाव डालता है. वहीं मोबाइल का वाइब्रेशन उनकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ को प्रभावित करता है.

मानसिक विकास पर पड़ता है प्रभाव
सिविल अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मोहम्मद अत्थर कहते हैं कि जितना संभव हो सके, बच्चों को मोबाइल से दूर रखना चाहिए. इससे बच्चों के स्वास्थ्य सहित मस्तिष्क और आंख पर दुष्प्रभाव पड़ता है. इन्हीं सब कारणों से 75 फीसदी बच्चों को बचपन में ही चश्मा लग जाता है. बच्चों के खाने-पीने का ख्याल रखना चाहिए. जंक फूड नहीं देना चाहिए. बच्चों को मोबाइल देने के बजाय प्ले ग्राउंड में ले जाएं, ताकि बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास हो सके.

सिविल अस्पताल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. जया माथुर ने बताया कि कोई भी माता-पिता यह नहीं चाहते कि उनका बच्चा मोबाइल का इस्तेमाल करे. कठिन परिस्थितियों में जब महिलाएं समय नहीं निकल पाती हैं और उनके ऊपर जिम्मेदारी ज्यादा होती है. उस समय वह बच्चों को बहलाने के लिए मोबाइल पकड़ा देती हैं. हालांकि बच्चों को जब एक बार आदत हो जाती है तो फिर आदत को छुड़ाना मुश्किल हो जाता है.

जानें बच्चों पर क्या पड़ता है दुष्प्रभाव-

  • रेटिना पर रोशनी पढ़ने से आखें कमजोर हो जाना.
  • आंखों में सूखेपन की समस्या होना.
  • शारीरिक और मानसिक विकास का रूक जाना.
  • बचपन से ही सिर में दर्द बना रहना.
  • आंखें लाल हो जाना.
  • कभी-कभी मोतियाबिंद का भी कारण बन जाता है.

लखनऊ: आज के दौर में बच्चे ज्यादा से ज्यादा समय मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं. महज एक साल के बच्चे को मोबाइल के यूट्यूब से कार्टून और मोबाइल में गेम्स एप्लीकेशन के बारे में सब कुछ पता होता है और परिजनों को इस बात पर गर्व होता है. बच्चे के रोने या जिद करने पर माता-पिता उन्हें मोबाइल दे देते हैं, लेकिन डिवाइस का उन पर क्या दुष्प्रभाव पड़ रहा है, इसकी उन्हें खबर नहीं होती.

मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे बच्चे.

75 फीसदी बच्चे बचपन से चश्मिश बन रहे
वर्तमान में करीब 75 फीसदी बच्चे बचपन से ही चश्मिश बन जाते हैं. इसकी वजह यही है कि बचपन से ही बच्चे टेलीविजन और मोबाइल की स्क्रीन पर ज्यादा से ज्यादा समय बीता रहे हैं. उससे उनके रेटिना पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है. कामकाजी महिलाएं बच्चों से फ्री होने के लिए उन्हें मोबाइल पकड़ा देती हैं या फिर टीवी के सामने बैठा देती हैं.

आंखों पर पड़ रहा दुष्प्रभाव.
आंखों पर पड़ रहा दुष्प्रभाव.

एक दौर ऐसा था, जब परिवार में बच्चों की चहलकदमी रहती थी, लेकिन आज के दौर में सब खो गया है. बच्चे खेलने-कूदने के लिए बाहर नहीं जाते हैं. घर में ही मोबाइल पर सारा समय बीताते हैं. वीडियो गेम या फिर मोबाइल गेम खेला करते हैं. बच्चे 10 मिनट से ज्यादा भी स्क्रीन पर फोकस करते हैं तो उनके दिमाग पर असर पड़ता है. मोबाइल का फोकस उनकी आंखों और दिमाग पर प्रभाव डालता है. वहीं मोबाइल का वाइब्रेशन उनकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ को प्रभावित करता है.

मानसिक विकास पर पड़ता है प्रभाव
सिविल अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मोहम्मद अत्थर कहते हैं कि जितना संभव हो सके, बच्चों को मोबाइल से दूर रखना चाहिए. इससे बच्चों के स्वास्थ्य सहित मस्तिष्क और आंख पर दुष्प्रभाव पड़ता है. इन्हीं सब कारणों से 75 फीसदी बच्चों को बचपन में ही चश्मा लग जाता है. बच्चों के खाने-पीने का ख्याल रखना चाहिए. जंक फूड नहीं देना चाहिए. बच्चों को मोबाइल देने के बजाय प्ले ग्राउंड में ले जाएं, ताकि बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास हो सके.

सिविल अस्पताल की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. जया माथुर ने बताया कि कोई भी माता-पिता यह नहीं चाहते कि उनका बच्चा मोबाइल का इस्तेमाल करे. कठिन परिस्थितियों में जब महिलाएं समय नहीं निकल पाती हैं और उनके ऊपर जिम्मेदारी ज्यादा होती है. उस समय वह बच्चों को बहलाने के लिए मोबाइल पकड़ा देती हैं. हालांकि बच्चों को जब एक बार आदत हो जाती है तो फिर आदत को छुड़ाना मुश्किल हो जाता है.

जानें बच्चों पर क्या पड़ता है दुष्प्रभाव-

  • रेटिना पर रोशनी पढ़ने से आखें कमजोर हो जाना.
  • आंखों में सूखेपन की समस्या होना.
  • शारीरिक और मानसिक विकास का रूक जाना.
  • बचपन से ही सिर में दर्द बना रहना.
  • आंखें लाल हो जाना.
  • कभी-कभी मोतियाबिंद का भी कारण बन जाता है.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.