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हिंदू-मुसलमान करने वाली किसी भी पार्टी से हमारी बातचीत नहीं: सपा प्रवक्ता

आगामी विधानसभा चुनाव 2022 (Assembly Election 2022) के लिए सभी पार्टियां छोटे-छोटे दलों से गठबंधन कर रही हैं. इसी बीच सपा प्रवक्ता व एमएलसी ने साफ किया कि उनकी पार्टी कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी. हिंदू-मुसलमान करने वाली किसी भी पार्टी से उनकी पार्टी की बातचीत नहीं है.

जानकारी देते सपा एमएलसी.
जानकारी देते सपा एमएलसी.
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Published : Aug 1, 2021, 4:46 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) कई छोटे दलों के साथ गठबंधन कर रही है. उन्हें साथ लेकर विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) के मैदान में उतरने को तैयार है, लेकिन समाजवादी पार्टी ने साफ कर दिया है कि किसी भी कीमत पर उनका कांग्रेस पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की एआईएमआईएम (All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen) के साथ समझौता नहीं होगा. पार्टी के प्रवक्ता कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन का सवाल पैदा नहीं होता और ओवैसी अपना चुनाव लड़ने आए हैं, अपना चुनाव लड़ें. समाजवादी पार्टी इन दोनों दलों से गठबंधन नहीं करने वाली.

जानकारी देते सपा एमएलसी.
छोटे दलों की मदद से बड़े करिश्मे की उम्मीद
उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी ऐसी पार्टी बनकर उभरी है, जिसके साथ तमाम छोटे दल खुद-ब-खुद गठबंधन करना चाह रहे हैं. समाजवादी पार्टी भी ऐसे दलों को अपने साथ लेकर सत्ता की कुर्सी तक पहुंचना चाहती है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने पहले ही एलान कर दिया था कि वे इस बार विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) के लिए किसी भी बड़े दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगे. ऐसे में कांग्रेस पार्टी के समाजवादी पार्टी के साथ एक बार फिर गठबंधन करने का सपना पहले ही टूट चुका है.

अब तक जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोक दल, कृष्णा पटेल की अपना दल, शरद पवार की एनसीपी, महान दल और अन्य कुछ छोटे दल खुलकर समाजवादी पार्टी के साथ आ चुके हैं. अभी आम आदमी पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. इसी बीच असदुद्दीन ओवैसी ने भी बयान दिया था कि समाजवादी पार्टी के साथ आ सकते हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी नहीं चाहती है कि असदुद्दीन ओवैसी सपा के साथ आए.

सपा ने विधानसभा और लोकसभा में किया था गठबंधन
समाजवादी पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन किया था, जिससे सपा को जबरदस्त घाटा हुआ था. वहीं कांग्रेस पार्टी को भी काफी नुकसान हुआ था. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने मायावती की बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन कर लिया और इसका नतीजा यह हुआ कि जमीन चाट चुकी बसपा को एक बार फिर संजीवनी मिल गई. करीब 10 सांसद जीतकर बहुजन समाज पार्टी फिर से जिंदा हो गई. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव सिर्फ अपना परिवार ही जिता पाए. ऐसे में इस बार अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव में किसी भी बड़े दल के साथ गठबंधन न करने की ठान चुके हैं.

मिलकर लड़ेंगे, सांप्रदायिक ताकतों का सूपड़ा साफ करेंगे
सपा प्रवक्ता ने बताया कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि हम किसी भी बड़े दल से गठबंधन नहीं करने जा रहे हैं, जो भी दल समाजवादी विचारधारा को मानने वाले होंगे, संविधान में विश्वास रखते हैं, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर में विश्वास है, ऐसे छोटे दलों के साथ गठबंधन करेंगे. हिंदू-मुस्लिम करने वाली पार्टियों से कोई समझौता नहीं होगा. हम सांप्रदायिक ताकतों का मिलकर सूपड़ा साफ करेंगे. ओवैसी की अपनी पार्टी है, वह अपना चुनाव लड़ेंगे.
इसे भी पढ़ें- ब्राह्मण राजनीति पर क्या सोचती है यूपी की जनता, सुनें

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) कई छोटे दलों के साथ गठबंधन कर रही है. उन्हें साथ लेकर विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) के मैदान में उतरने को तैयार है, लेकिन समाजवादी पार्टी ने साफ कर दिया है कि किसी भी कीमत पर उनका कांग्रेस पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की एआईएमआईएम (All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen) के साथ समझौता नहीं होगा. पार्टी के प्रवक्ता कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन का सवाल पैदा नहीं होता और ओवैसी अपना चुनाव लड़ने आए हैं, अपना चुनाव लड़ें. समाजवादी पार्टी इन दोनों दलों से गठबंधन नहीं करने वाली.

जानकारी देते सपा एमएलसी.
छोटे दलों की मदद से बड़े करिश्मे की उम्मीद
उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी ऐसी पार्टी बनकर उभरी है, जिसके साथ तमाम छोटे दल खुद-ब-खुद गठबंधन करना चाह रहे हैं. समाजवादी पार्टी भी ऐसे दलों को अपने साथ लेकर सत्ता की कुर्सी तक पहुंचना चाहती है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने पहले ही एलान कर दिया था कि वे इस बार विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) के लिए किसी भी बड़े दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगे. ऐसे में कांग्रेस पार्टी के समाजवादी पार्टी के साथ एक बार फिर गठबंधन करने का सपना पहले ही टूट चुका है.

अब तक जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोक दल, कृष्णा पटेल की अपना दल, शरद पवार की एनसीपी, महान दल और अन्य कुछ छोटे दल खुलकर समाजवादी पार्टी के साथ आ चुके हैं. अभी आम आदमी पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. इसी बीच असदुद्दीन ओवैसी ने भी बयान दिया था कि समाजवादी पार्टी के साथ आ सकते हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी नहीं चाहती है कि असदुद्दीन ओवैसी सपा के साथ आए.

सपा ने विधानसभा और लोकसभा में किया था गठबंधन
समाजवादी पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन किया था, जिससे सपा को जबरदस्त घाटा हुआ था. वहीं कांग्रेस पार्टी को भी काफी नुकसान हुआ था. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने मायावती की बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन कर लिया और इसका नतीजा यह हुआ कि जमीन चाट चुकी बसपा को एक बार फिर संजीवनी मिल गई. करीब 10 सांसद जीतकर बहुजन समाज पार्टी फिर से जिंदा हो गई. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव सिर्फ अपना परिवार ही जिता पाए. ऐसे में इस बार अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव में किसी भी बड़े दल के साथ गठबंधन न करने की ठान चुके हैं.

मिलकर लड़ेंगे, सांप्रदायिक ताकतों का सूपड़ा साफ करेंगे
सपा प्रवक्ता ने बताया कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि हम किसी भी बड़े दल से गठबंधन नहीं करने जा रहे हैं, जो भी दल समाजवादी विचारधारा को मानने वाले होंगे, संविधान में विश्वास रखते हैं, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर में विश्वास है, ऐसे छोटे दलों के साथ गठबंधन करेंगे. हिंदू-मुस्लिम करने वाली पार्टियों से कोई समझौता नहीं होगा. हम सांप्रदायिक ताकतों का मिलकर सूपड़ा साफ करेंगे. ओवैसी की अपनी पार्टी है, वह अपना चुनाव लड़ेंगे.
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