लखनऊः यूपी में एमएलसी की सीटें खाली होते ही बीजेपी में दो नामों की चर्चा खूब होती है. यूपी में विधान परिषद की रिक्त 12 सीटों के लिए चुनाव आयोग के नोटिफिकेशन जारी करते ही इस बार फिर पार्टी में दोनों नामों की चर्चा शुरू हो गई है. पार्टी के ज्यादातर कार्यकर्ताओं का इन दोनों नेताओं के प्रति सहानुभूति भी है. लेकिन बार-बार चर्चाओं के बावजूद उनके एमएलसी नहीं बन पाने पर लोगों के मन में सवाल भी उठ रहे हैं.
एसएलसी के लिए बीजेपी के दो नामों पर चर्चा इन नेताओं के नाम पर होती हैं चर्चाएंउत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रदेश कार्यालय के प्रभारी भारत दीक्षित और कार्यालय सह प्रभारी चौधरी लक्ष्मण का नाम एक बार फिर से चर्चा में है. पिछले चार दशक से यह दोनों नेता भाजपा की सेवा में लगे हैं. भारत दीक्षित ने तो अपना घर भी नहीं बसाया. वह पार्टी के लिए पूर्णकालिक तौर पर काम कर रहे हैं. इस बार उम्मीद है कि पार्टी नेतृत्व की नजर इन पर भी पड़ेगी.
30 जनवरी को खाली हो रही 12 सीटेंदरअसल, यूपी विधान परिषद की 30 जनवरी को 11 सीटें खाली हो रही हैं. वहीं एक सीट पहले से खाली है. विधान परिषद की इन 12 सीटों में से सबसे अधिक समाजवादी पार्टी के पास छह सीटें हैं. भारतीय जनता पार्टी के पास तीन और बहुजन समाज पार्टी के पास दो सीटें हैं. एक सीट बसपा से नाता तोड़ने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी के पास है. जानकारों का मानना है कि विधायकों की संख्या के आधार पर भारतीय जनता पार्टी 12 में से 10 सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है.
एमएलसी चुनाव के लिए नोटिफिकेशन चुनाव समिति की बैठक में हुई चर्चालंबी कतार की वजह से बीजेपी के भीतर 10 सीटों पर जगह बना पाना नेताओं के लिए बेहद मुश्किल काम है. माना जा रहा है के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, योगी सरकार में उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा और लक्ष्मण आचार्य को फिर से विधान परिषद भेजने पर आम सहमति है. इसके अलावा पार्टी अन्य नामों पर जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को साधने का प्रयास करेगी. बीते सोमवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, यूपी बीजेपी प्रभारी राधामोहन सिंह और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की मौजूदगी में चुनाव समिति की बैठक में विभिन्न नामों पर चर्चा की गई. समिति ने स्वतंत्र देव सिंह को संभावित नामों की सूची केंद्र को भेजने के लिए अधिकृत किया है. अंतिम निर्णय केंद्रीय चुनाव समिति की होगी.
जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधेगी बीजेपीपार्टी सूत्रों की मानें तो प्रदेश अध्यक्ष, डिप्टी सीएम और लक्ष्मण आचार्य के अलावा भाजपा के प्रदेश महामंत्री व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन जेपीएस राठौर का नाम महत्वपूर्ण है. संगठन में अच्छी पैठ होने की वजह से माना जा रहा है कि राठौर को पार्टी विधान परिषद जरूर भेजेगी. प्रदेश महामंत्री और पूर्व सांसद प्रियंका रावत का नाम भी लिया जा रहा है. दलित परिवार की प्रियंका रावत को विधान परिषद भेजने से पार्टी एक तीर से दो लक्ष्य साधना चाह रही है.
इन नेताओं की भी खुल सकती है किस्मत
यूपी बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी को भी पार्टी विधान परिषद भेज सकती है. इनके कार्यकाल में बीजेपी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत का इतिहास रचा. वाजपेयी के संघर्षों से राज्य की तत्कलीन अखिलेश यादव की कुर्सी हिल गयी थी. डॉ वाजपेयी 2017 में विधान सभा चुनाव हार गए थे. तब से उन्हें कभी राज्यसभा, तो कभी विधान परिषद के लिए इनका नाम लिया जाता है. लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ. अब एक बार फिर उनके नाम पर पार्टी में चर्चा हो रही है. उनकी इमानदार छवि होने के नाते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उन्हें पसंद करते हैं. इसके अलावा दो और नाम बराबर सुर्खियों में रहता है. लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष संतोष सिंह और दया शंकर सिंह. दयाशंकर सिंह की पत्नी योगी सरकार में मंत्री होने के नाते इनकी उम्मीद कम हो जाती है. लेकिन पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष सिंह दावा मजबूत बताया जा रहा है. करीब दो दशक से पार्टी की सेवा में लगे संतोष सिंह की किस्मत इस बार खुल सकती है.
दूसरे नामों पर भी चर्चाएं तेज
इसके अलावा पिछड़े नेताओं में अमरपाल मौर्य काफी प्रभावशाली नेता के रूप में उभर रहे हैं. कार्य कुशलता की वजह से पार्टी ने उन्हें प्रदेश मंत्री से सीधे महामंत्री के पद पर प्रमोट किया है. मौर्य का संगठन के साथ ही पार्टी के कई कद्दावर नेताओं के साथ भी अच्छा तालमेल है. लिहाजा उनके नाम पर सरकार से लेकर संगठन तक के लोग सहमत बताए जा रहे हैं. इसके अलावा अंजुला माहौर, महेश श्रीवास्तव, धर्मेंद्र सिंह, डॉ चंद्रमोहन, हरीश चंद्र श्रीवास्तव, मानवेंद्र सिंह, वीरेंद्र सिंह जैसे नाम शामिल हैं.