लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रतापगढ़ के जिला व सत्र न्यायालय द्वारा एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह गोपाल के विरुद्ध जमानत खारिज किए जाने सम्बंधी सुनवाई पर रोक लगा दी है. मामला अक्षय प्रताप सिंह द्वारा कथित तौर पर गलत पते पर असलहे का लाइसेंस प्राप्त करने का है. न्यायालय ने जिला जज से याची की ओर से दाखिल स्थानान्तरण अर्जी पर आख्या भी मांगी है. मामले की अगली सुनवाई 9 मई के सप्ताह में होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता की एकल पीठ ने अक्षय प्रताप सिंह की ओर से दाखिल स्थानान्तरण याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को पारित किया. याचिका पर बहस करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एचजीएस परिहार का कहना था कि मजिस्ट्रेट कोर्ट ने याची को 23 मार्च 2022 को इस मामले में दोष सिद्ध करते हुए सात वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी. उक्त निर्णय के विरूद्ध सत्र अदालत के समक्ष अपील पर याची को जमानत मिल गई. उक्त अपील 20 अप्रैल को सुनवाई के लिए नियत थी. उस दिन याची के अधिवक्ता घर में श्राद्ध होने के कारण वह पेश नहीं हो सके व इस आधार पर याची की ओर से से सुनवाई टालने की मांग की गई.
कहा गया कि उस दिन एक वरिष्ठ अधिवक्ता की मृत्यु हो जाने के कारण बार एसोसिएशन ने भी न्यायिक कार्य से विरत रहने का प्रस्ताव पारित कर रखा था. हालांकि सत्र अदालत इससे संतुष्ट नहीं हुई व अगली सुनवाई के लिए 22 अप्रैल की तिथि नियत कर दी. साथ ही आदेश में टिप्पणी भी की कि याची सुनवाई से बचते हुए, उसको मिली जमानत का वह दुरूपयेाग कर रहा है. सत्र अदालत ने याची को तलब करते हुए, यह स्पष्ट करने को कहा कि उसकि जमानत क्यों न खारिज की जाए.
इसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है और साथ ही अपील को किसी और अदालत में स्थांनातरित करने की मांग की गई है. राज्य सरकार की ओर से याचिका की पोषणीयता पर सवाल खङे किए गए. न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात 20 अप्रैल के उक्त आदेश पर रोक लगा दिया. उल्लेखनीय है कि अक्षय प्रताप सिंह के खिलाफ प्रतापगढ़ के कोतवाली थाने पर वर्ष 1997 में केस लिखाया गया था कि उसने फर्जी पते पर असलहे का लाइसेंस हासिल कर लिया था. इस मामले में उसे निचली अदालत ने सजा सुनाई थी.
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