लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि ग्राम पंचायत के पैसों अथवा सम्पत्ति का दुरूपयोग होने पर इसे सरचार्ज के तौर पर प्रधान व उप-प्रधान इत्यादि से वसूला जा सकता है. न्यायालय ने इसके साथ ही बाराबंकी के जिलाधिकारी को इसी प्रकार के एक मामले में कार्रवाई के आदेश दिए हैं. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने बाराबंकी निवासी मैकूलाल की जनहित याचिका पर दिया.
याचिका में कहा गया है कि याची ने जुलाई 2019 से अगस्त 2019 के बीच बाराबंकी के नंदरासी ग्राम पंचायत के प्रधान व तत्कालीन सचिव के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें साक्ष्यों के साथ जिलाधिकारी को भेजीं, लेकिन उन पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई. इस पर न्यायालय ने यूपी पंचायत अधिनियम की धारा 27 को स्पष्ट करते हुए कहा कि उक्त धारा के अंतर्गत ग्राम पंचायत की चल-अथवा अचल सम्पत्ति, जिसकी जिम्मेदारी प्रधान, उप-प्रधान, सदस्य, सरपंच सदस्य व सहायक सरपंच अथवा पंच पर होती है, का दुरूपयोग होने पर उक्त पदाधिकारियों में से जो अनिवार्य जांच के उपरांत जिम्मेदार पाया जाए, उससे सरचार्ज के तौर पर वसूली की जा सकती है.
न्यायालय ने उक्त आदेश के साथ ही याचिका को निस्तारित करते आदेश दिया है कि याची दो सप्ताह में अपनी शिकायत के सम्बंध में नया प्रत्यावेदन जिलाधिकारी को देगा, जिसे जिलाधिकारी तीन माह में निर्णित करेंगे.