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गर्भपात की अनुमति के लिए हाईकोर्ट पहुंची नाबालिग रेप पीड़िता, डॉक्टरों के पैनल से जांच के आदेश - latest court orders

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष याचिका दाखिल कर एक रेप पीड़िता ने गर्भपात की अनुमति मांगी है.

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नाबालिग रेप पीड़िता गर्भपात की अनुमति के लिए पहुंची- हाईकोर्ट कोर्ट ने डॉक्टरों का पैनल बनाकर परीक्षण के दिए आदेश
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Published : Jul 1, 2022, 10:04 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष याचिका दाखिल कर एक रेप पीड़िता ने गर्भपात की अनुमति मांगी है. पीड़िता आठ माह की गर्भवती है. न्यायालय ने याचिका पर बाराबंकी के सीएमओ को तीन विशेषज्ञ डाक्टरों का पैनल बनाकर निःशुल्क परीक्षण कराने का आदेश दिया है. न्यायालय ने मेडिकल रिपेार्ट भी सील्ड कवर में तलब की है. मामले की अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी.

न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव प्रथम की अवकाशकालीन पीठ ने 29 जून को इस सम्बंध में पीड़िता व उसकी मां की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है. न्यायालय ने मेडिकल बोर्ड से नाबालिग लड़की व उसके भ्रूण की स्थिति तथा पीड़िता की मानसिक स्थिति के बारे में स्पष्ट रिपेार्ट देने का आदेश बोर्ड को दिया है. न्यायालय ने बोर्ड की इस पर भी राय मांगी है कि यदि नाबालिग अपने गर्भ में आए बच्चे को जन्म देती है तो उसे किस मानसिक स्थिति से गुजरना पड़ेगा.

दरअसल, बाराबंकी के कुर्सी थाना क्षेत्र के इस मामले में पीड़िता के साथ उसके गांव आने जाने वाले एक रिश्तेदार ने सम्बंध बना लिए. बाद में पीड़िता की मां ने गत 4 जून को लड़के के खिलाफ सिर्फ छेड़छाड़ की रिपोर्ट लिखाई. विवेचना के दौरान पता चला कि नाबालिग के पेट में गर्भ है. इसके बाद मामले में रेप की धारा भी बढ़ा दी गई.

इस बीच पीड़िता की मां व खुद पीड़िता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कोर्ट से गर्भ गिराने की अनुमति मांगी. याचियों की ओर से कहा गया कि मेडिकल में आया है कि नाबालिग आठ सप्ताह की गर्भवती है. नियमतः 21 सप्ताह तक के गर्भ को गिराने की अनुमति दी जा सकती है. कहा गया कि यदि नाबालिग को गर्भ गिराने की अनुमति न दी गई तो उससे जन्मे बच्चे के साथ साथ स्वयं पीड़ित नाबालिग के सामाजिक एवं मानसिक स्थिति पर गहरा कुठाराघात होगा. कोर्ट ने सुनवाई के बाद सीएमओ बाराबंकी को मेडिकल बोर्ड गठित कर रिपेार्ट प्रेषित करने का आदेश दे दिया. रिपेार्ट आने के बाद कोर्ट गर्भ गिराने की अनुमति देने पर 6 जुलाई को विचार करेगी.

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लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष याचिका दाखिल कर एक रेप पीड़िता ने गर्भपात की अनुमति मांगी है. पीड़िता आठ माह की गर्भवती है. न्यायालय ने याचिका पर बाराबंकी के सीएमओ को तीन विशेषज्ञ डाक्टरों का पैनल बनाकर निःशुल्क परीक्षण कराने का आदेश दिया है. न्यायालय ने मेडिकल रिपेार्ट भी सील्ड कवर में तलब की है. मामले की अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी.

न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव प्रथम की अवकाशकालीन पीठ ने 29 जून को इस सम्बंध में पीड़िता व उसकी मां की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है. न्यायालय ने मेडिकल बोर्ड से नाबालिग लड़की व उसके भ्रूण की स्थिति तथा पीड़िता की मानसिक स्थिति के बारे में स्पष्ट रिपेार्ट देने का आदेश बोर्ड को दिया है. न्यायालय ने बोर्ड की इस पर भी राय मांगी है कि यदि नाबालिग अपने गर्भ में आए बच्चे को जन्म देती है तो उसे किस मानसिक स्थिति से गुजरना पड़ेगा.

दरअसल, बाराबंकी के कुर्सी थाना क्षेत्र के इस मामले में पीड़िता के साथ उसके गांव आने जाने वाले एक रिश्तेदार ने सम्बंध बना लिए. बाद में पीड़िता की मां ने गत 4 जून को लड़के के खिलाफ सिर्फ छेड़छाड़ की रिपोर्ट लिखाई. विवेचना के दौरान पता चला कि नाबालिग के पेट में गर्भ है. इसके बाद मामले में रेप की धारा भी बढ़ा दी गई.

इस बीच पीड़िता की मां व खुद पीड़िता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कोर्ट से गर्भ गिराने की अनुमति मांगी. याचियों की ओर से कहा गया कि मेडिकल में आया है कि नाबालिग आठ सप्ताह की गर्भवती है. नियमतः 21 सप्ताह तक के गर्भ को गिराने की अनुमति दी जा सकती है. कहा गया कि यदि नाबालिग को गर्भ गिराने की अनुमति न दी गई तो उससे जन्मे बच्चे के साथ साथ स्वयं पीड़ित नाबालिग के सामाजिक एवं मानसिक स्थिति पर गहरा कुठाराघात होगा. कोर्ट ने सुनवाई के बाद सीएमओ बाराबंकी को मेडिकल बोर्ड गठित कर रिपेार्ट प्रेषित करने का आदेश दे दिया. रिपेार्ट आने के बाद कोर्ट गर्भ गिराने की अनुमति देने पर 6 जुलाई को विचार करेगी.

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