लखनऊ: गाय ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक स्वावलंबन का आधार हैं. देसी गायों की नस्ल के संरक्षण को प्रोत्साहित किया जा रहा है. ब्रीड़िग में बदलाव कर दो किलो दूध देने वाली देसी गाय 20 किलो दूध देगी, ऐसा प्रयास बरेली में किया जा रहा है. पराग में पशुपालकों के सहयोग की बहुत आवश्यकता है. सरकार दुग्ध उत्पादकों को समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित करायेगी. प्रदेश में दुग्ध सहकारिता के माध्यम से पशुपालन एवं दुग्ध व्यवसाय को कृषि के सहयोगी व्यवसाय के रुप में अपनाया जा रहा है. इसमें 70 से 80 प्रतिशत भूमिहीन, लघु और सीमान्त कृषकों की सहभागिता है. ये बातें सोमवार को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह (Milk Development Minister Dharampal Singh) ने कहीं.
उन्होंने इस मौके पर गोकुल पुरस्कार और नंद बाबा पुरस्कार से सैकड़ों दुग्ध उत्पादकों को सम्मानित भी किया. दुग्ध मंत्री ने कहा कि पशुपालन एक बड़ी आय का बड़ा जरिया बन सकता है. इस मौके पर दुग्ध मंत्री ने उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले 145 दुग्ध उत्पादकों को पुरस्कृत किया. वर्ष 2020-21 के 53 और वर्ष 2021-22 के 59 दुग्ध उत्पादकों को गोकुल पुरस्कार और वर्ष 2021-22 के 33 जनपद स्तरीय दुग्ध उत्पादकों को नन्दबाबा पुरस्कार से सम्मानित किया. पराग की ब्रान्डिंग के लिए टी-शर्ट और कप का अनावरण भी किया गया. साथ ही पीसीडीएफ ने पराग ब्रांड के दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों को पूरे प्रदेश में उपभोक्ताओं तक आर्डर डिलीवरी करने वाले पांच पराग मित्रों को प्रचार-प्रसार सामग्री भी वितरित की.
गोकुल पुरस्कार के अंतर्गत लखीमपुर-खीरी निवासी वेलवा मोती समिति के वरुण सिंह को पहला पुरस्कार प्रदान किया गया. बदायूं के रहने वाले कुआं डांडा दुग्ध समिति के हरविलास सिंह को दूसरा पुरस्कार मिला. इन दोनों दुग्ध उत्पादकों को वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन के लिए सम्मानित किया गया. नंदबाबा पुरस्कार के तहत मथुरा निवासी भूड़ासानी दुग्ध समिति के हरेन्द्र सिंह को राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किया गया. दुग्ध मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि पुरस्कार एक विधा है और हमारी प्राचीन सभ्यता का हिस्सा भी है.
वर्तमान में दुग्ध व्यवसाय शहरी एवं ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार का सशक्त माध्यम बन चुका है. यह किसानों और पशुपालकों की आय दोगुना करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में अपनी बड़ी भूमिका का निर्वहन कर रहा है. 33 महिला लाभार्थियों को पुरस्कार प्राप्त हुआ है जो दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी का एक सशक्त उदाहरण है. अपर मुख्य सचिव, पशुधन एवं दुग्ध विकास, डा. रजनीश दुबे ने कहा कि उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में देश में प्रथम स्थान पर है. प्रति पशु उत्पादकता को बढ़ाने की दिशा में विशेष ध्यान देने की जरूरत है. दुग्ध उत्पादकों के हित में प्रदेश सरकार विभिन्न कार्यक्रम संचालित कर रही है, जिसमें कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम का लाभ और तकनीकी निवेश की सुविधा दुग्ध उत्पादकों को उनके द्वार पर ही उपलब्ध कराई जा रही है.
बता दें कि प्रदेश में सहकारिता के माध्यम से दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए साल 2001-02 में प्रदेश सरकार ने गोकुल पुरस्कार वितरण की व्यवस्था शुरू की थी. प्रत्येक जिले में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले एक दुग्ध उत्पादक को नकद पुरस्कार के साथ पीतल धातु पर गाय के साथ दूध पीता हुआ बछड़ा और श्रीकृष्ण की मूर्ति प्रतीक चिन्ह के रूप में दी जाती है. प्रदेश स्तर पर पहला स्थान पाने वाले को दो लाख, द्वितीय पुरस्कार 1.50 लाख और जिला स्तर पर 51,000 की धनराशि दी जाती है. वित्तीय वर्ष 2020-21 के 53 लाभार्थियो को और वित्तीय वर्ष 2021-22 के 59 लाभार्थियों को गोकुल पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है.
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