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लॉकडाउन: पशुपालक परेशान, दूध बिकना बंद, पशु आहार के दाम हुए दोगुने - lockdown in india

लॉकडाउन का असर पशुओं और पशु पालकों पर भी दिखने लगा है. बाजारों में दूध की खपत नहीं होने और पशु आहार नहीं मिलने के कारण पशु पालकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

milk business being affected in lockdown
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Published : Apr 10, 2020, 12:55 PM IST

लखनऊ: लॉकडाउन का असर अब पशुओं पर भी दिखने लगा है. बाजार बंद होने के कारण ग्रामीणों को पशु आहार का इंतजाम करना मुश्किल होता जा रहा है. जैसे-तैसे पशु आहार का इंतजाम हो भी रहा है तो वो भी दोगुनी कीमत देनी पड़ रही है. जो दुग्ध उत्पादक के लिए एक बड़ी समस्या का सबब बनता जा रहा.

लॉकडाउन में पशु पालकों पर दोहरी मार.

दूध की नहीं हो रही खपत-

लॉकडाउन के कारण अब बाजारों में दूध की खपत कम हो गयी है. जिसके कारण अब पशु पालक और दूध देने वाले पशुओं के बच्चों को ही दूध पीने के लिए छोड़ने लगे हैं.

चुनी-चोकर के बढ़े दाम-
पशु पालकों और किसानों का कहना है कि चुनी और चोकर जो बाजार में पहले 900 से लेकर ₹1000 प्रति 50 किलो की दर से बिक रहा था. लॉकडाउन होने के बाद से अब वह 1300 से लेकर 1500 रुपये में मिलने लगा है. बाजारों के भाव दोगुना हो चुके है.

किसानों ने कहा-

पशु आहार का बाजार भाव अत्यधिक बढ़ गया है. किसान अपना तैयार दूध लेकर मंडियों में जाते थे या गांव से दूध खरीद कर ले जाने वालों को दूध बेचते थे. लेकिन अब उनके पास खरीदार नहीं आ रहे हैं. पशु आहार महंगा होने की वजह से लाभ के बजाय घाटा हो रहा है.

वहीं दूसरे किसान नवांबर सिंह यादव ने बताया कि गांव के कई किसानों का दूध लेकर वह लखनऊ की मंडी में आते थे, लेकिन अब केवल अपने घर में तैयार होने वाले दूध को ही लेकर आते हैं. पशु आहार महंगा होने की वजह से किसानों को दोहरी मार पड़ रही है.

इसे भी पढ़ें- सरकारी मदद की आस में शिल्पकार, दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे परिवार

वहीं धावां गांव के किसान कंचन प्रदीप ने बताय कि उनके घर में डेढ़ सौ लीटर दूध प्रतिदिन तैयार हो रहा है, लेकिन कोई बाजार नहीं है. घर में भी इतने लोग नहीं है कि सारे दूध की खपत हो सके. ऐसे में पशुओं को ही दूध पिलाना पड़ रहा है. पशु आहार की उपलब्धता अलग से सिरदर्द बनी हुई है.

लखनऊ: लॉकडाउन का असर अब पशुओं पर भी दिखने लगा है. बाजार बंद होने के कारण ग्रामीणों को पशु आहार का इंतजाम करना मुश्किल होता जा रहा है. जैसे-तैसे पशु आहार का इंतजाम हो भी रहा है तो वो भी दोगुनी कीमत देनी पड़ रही है. जो दुग्ध उत्पादक के लिए एक बड़ी समस्या का सबब बनता जा रहा.

लॉकडाउन में पशु पालकों पर दोहरी मार.

दूध की नहीं हो रही खपत-

लॉकडाउन के कारण अब बाजारों में दूध की खपत कम हो गयी है. जिसके कारण अब पशु पालक और दूध देने वाले पशुओं के बच्चों को ही दूध पीने के लिए छोड़ने लगे हैं.

चुनी-चोकर के बढ़े दाम-
पशु पालकों और किसानों का कहना है कि चुनी और चोकर जो बाजार में पहले 900 से लेकर ₹1000 प्रति 50 किलो की दर से बिक रहा था. लॉकडाउन होने के बाद से अब वह 1300 से लेकर 1500 रुपये में मिलने लगा है. बाजारों के भाव दोगुना हो चुके है.

किसानों ने कहा-

पशु आहार का बाजार भाव अत्यधिक बढ़ गया है. किसान अपना तैयार दूध लेकर मंडियों में जाते थे या गांव से दूध खरीद कर ले जाने वालों को दूध बेचते थे. लेकिन अब उनके पास खरीदार नहीं आ रहे हैं. पशु आहार महंगा होने की वजह से लाभ के बजाय घाटा हो रहा है.

वहीं दूसरे किसान नवांबर सिंह यादव ने बताया कि गांव के कई किसानों का दूध लेकर वह लखनऊ की मंडी में आते थे, लेकिन अब केवल अपने घर में तैयार होने वाले दूध को ही लेकर आते हैं. पशु आहार महंगा होने की वजह से किसानों को दोहरी मार पड़ रही है.

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वहीं धावां गांव के किसान कंचन प्रदीप ने बताय कि उनके घर में डेढ़ सौ लीटर दूध प्रतिदिन तैयार हो रहा है, लेकिन कोई बाजार नहीं है. घर में भी इतने लोग नहीं है कि सारे दूध की खपत हो सके. ऐसे में पशुओं को ही दूध पिलाना पड़ रहा है. पशु आहार की उपलब्धता अलग से सिरदर्द बनी हुई है.

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