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लखनऊ: गाढ़ी कमाई खर्च कर भी मजदूरों को नहीं मिल रही अपनी मंजिल - लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में राजस्थान और यूपी में बसों को लेकर जारी तनातनी के बीच प्रवासी मजदूरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं राजस्थान से आने वाले मजदूरों से वाहन मनमाना पैसा वसूल रहे हैं.

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लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को नहीं मिल रही मंजिल.
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Published : May 21, 2020, 1:31 PM IST

लखनऊ: भाजपा और कांग्रेस की सियासत के बीच उत्तर प्रदेश में बसों का संचालन प्रभावित हो रहा है. राजस्थान की सीमा पर दोनों पार्टियों की राजनीति में मजदूर पिस रहा है. अपना पैसा लगाकर मजदूर अपनी गृहस्थी के साथ घर लौटने को मजबूर हैं. लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर राजस्थान से बिहार जाने वाले कुछ मजदूरों से ईटीवी भारत ने बात की तो सभी ने अपनी आपबीती सुनाई. उनका कहना है कि जयपुर में कोई बस की व्यवस्था ही नहीं थी ऐसे में अपने घर बिहार तक जाने के लिए वाहन बुक किया था. वाहन वाले ने 36 हजार रुपये वसूल लिए और लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर उतार कर भाग गया.

लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को नहीं मिल रही मंजिल.

बिहार के रहने वाले सूरज राजस्थान की राजधानी जयपुर की एक स्पोर्टलाइन कंपनी में काम करते हैं. उनके महीने का वेतन 8000 है, लेकिन अपने घर पहुंचने के लिए उन्हें अपना आधा वेतन किराए के रूप में चुकाना पड़ा. वहीं दूसरे मजदूर पावन का भी हाल ऐसा ही है. घर में कोई कमाने वाला नहीं था, पिता की मृत्यु हो चुकी है, इसलिए हजारों किलोमीटर दूर जयपुर में जाकर नौकरी की. वेतन के रूप में सिर्फ 8000 रुपए प्रति महीने मिलते हैं, लेकिन लॉकडाउन हुआ और काम बंद हो गया.

इन मजदूरों की तरह विभिन्न राज्यों से आने वाले तमाम मजदूरों को इसी तरह की समस्याओं से परेशान होना पड़ रहा है. उन्हें अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा भी खर्च करना पड़ रहा है और मंजिल भी नहीं मिल रही.

लखनऊ: भाजपा और कांग्रेस की सियासत के बीच उत्तर प्रदेश में बसों का संचालन प्रभावित हो रहा है. राजस्थान की सीमा पर दोनों पार्टियों की राजनीति में मजदूर पिस रहा है. अपना पैसा लगाकर मजदूर अपनी गृहस्थी के साथ घर लौटने को मजबूर हैं. लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर राजस्थान से बिहार जाने वाले कुछ मजदूरों से ईटीवी भारत ने बात की तो सभी ने अपनी आपबीती सुनाई. उनका कहना है कि जयपुर में कोई बस की व्यवस्था ही नहीं थी ऐसे में अपने घर बिहार तक जाने के लिए वाहन बुक किया था. वाहन वाले ने 36 हजार रुपये वसूल लिए और लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर उतार कर भाग गया.

लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को नहीं मिल रही मंजिल.

बिहार के रहने वाले सूरज राजस्थान की राजधानी जयपुर की एक स्पोर्टलाइन कंपनी में काम करते हैं. उनके महीने का वेतन 8000 है, लेकिन अपने घर पहुंचने के लिए उन्हें अपना आधा वेतन किराए के रूप में चुकाना पड़ा. वहीं दूसरे मजदूर पावन का भी हाल ऐसा ही है. घर में कोई कमाने वाला नहीं था, पिता की मृत्यु हो चुकी है, इसलिए हजारों किलोमीटर दूर जयपुर में जाकर नौकरी की. वेतन के रूप में सिर्फ 8000 रुपए प्रति महीने मिलते हैं, लेकिन लॉकडाउन हुआ और काम बंद हो गया.

इन मजदूरों की तरह विभिन्न राज्यों से आने वाले तमाम मजदूरों को इसी तरह की समस्याओं से परेशान होना पड़ रहा है. उन्हें अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा भी खर्च करना पड़ रहा है और मंजिल भी नहीं मिल रही.

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