लखनऊ: सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों को महिलाओं के हवाले करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार अब मनरेगा भी महिलाओं के हवाले करने जा रही है. सरकार ने शत प्रतिशत मनरेगा में महिला मेट की नियुक्ति करने का फैसला किया है. इसके लिए 21000 महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश में जल्द ही मनरेगा से होने वाले कार्यों की शत-प्रतिशत निगरानी महिलाएं करेंगी. इसके लिए एक लाख महिला मेट को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. 21000 महिला मेट प्रशिक्षण ले रही हैं. 40000 महिला में इसके बाद प्रशिक्षित किया जाएंगा. इन्हें मनरेगा से होने वाले कार्यों को नापने इसका लेखा-जोखा रखने के साथ-साथ मजदूरों से काम लेने के तौर-तरीके सिखाए जा रहे हैं. मनरेगा में काम कर रही 50 हजार महिलाओं को श्रम विभाग की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए ग्राम विकास विभाग उनका श्रम विभाग में पंजीकरण कराने जा रहा है.
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सेल्फ ऐड उपकरण
ग्राम विकास आयुक्त अवधेश कुमार तिवारी ने ईटीवी को बताया कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को से उनकी जरूरत के हिसाब से उपकरण और संसाधन मुहैया कराए जाएंगे. इसके लिए काम शुरू कर दिया गया है. शुरुआती दौर में ही 40000 महिलाओं को इसका लाभ मिलेगा. उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे ग्राम सभाओं में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान खाली हो रही हैं उन्हें स्वयं सहायता समूह को आवंटित कराया जा रहा है. यह प्रक्रिया तब तक चलती रहेगी जब तक शत-प्रतिशत दुकाने स्वयं सहायता समूह के हवाले न कर दी जाएं.
मनरेगा से होगा चकरोड का विकास
ग्राम विकास आयुक्त ने बताया कि उत्तर प्रदेश के सभी गांव में चकरोड की पटाई का कार्य मनरेगा से कराया जाएगा. इसके लिए राजस्व विभाग से बात कर चकरोड अवैध कब्जे से मुक्त कराई जाएगी. उन्होंने बताया कि गांव में महिला सशक्तिकरण यह दिशा में मनरेगा और स्वयं सहायता समूह मील के पत्थर साबित हो रहे हैं. इसके सहारे शत प्रतिशत महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की योजना है.