लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के कार्यकाल को चार साल पूरे हो गए हैं. मेट्रो के लिहाज से देखा जाए तो इन चार सालों में लखनऊ मेट्रो चार कदम भी आगे नहीं बढ़ी. जहां पर मेट्रो का निर्माण कार्य थमा था, आज भी वहीं तक सीमित रह गई है. हालांकि, सरकार ने इस कार्यकाल में दो अन्य शहरों में मेट्रो की नींव जरूर रखी है. जहां पर तेजी से निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन लखनऊ वासियों को पूरे शहर में मेट्रो की सौगात देने में सरकार विफल हुई है. चारबाग से बसंत कुंज के लिए इतने सालों में भी बजट पास नहीं हो पाया, जिससे शहर वासियों को इन रूटों पर भी मेट्रो की सुविधा उपलब्ध हो पाती.
छह साल पहले लखनऊ में पहली बार मेट्रो की नींव रखी गई थी. 27 सितंबर 2014 को साढ़े आठ किलोमीटर की दूरी के लिए निर्माण कार्य शुरू हुआ था. तीन साल पहले कमर्शियल रन शुरू हुआ. आधे शहर में मेट्रो दौड़ रही है, लेकिन आधे शहर का काम पिछले चार साल से अधर में ही लटका हुआ है. शहर में मेट्रो के संचालन को हरी झंडी योगी सरकार में दिखाई गई, लेकिन पूर्ववर्ती सरकार के मुखिया अखिलेश यादव यह दावा करते रहे कि उनकी सरकार में ही मेट्रो का निर्माण शुरू हुआ. मेट्रो संचालन के लिए तैयार हुई, योगी सरकार फीता काटकर इसका श्रेय ले रही है.
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इस वजह से सेकंड फेज का रुका काम
चारबाग से बसंत कुंज के बीच मेट्रो के निर्माण का काम शायद इसी वजह से योगी सरकार ने नहीं शुरू कराया, क्योंकि लखनऊ में पहले से ही मेट्रो का संचालन हो रहा है. इसे चुनाव में भुनाया नहीं जा सकता. ऐसे में दो अन्य शहरों आगरा व गोरखपुर में नए सिरे से मेट्रो का निर्माण कार्य शुरू कराकर सरकार चुनावी साल में अपने चुनावी एजेंडे में दो शहरों को शामिल करने की फिराक में है. सरकार इन दोनों शहरों में मेट्रो की नींव रखकर वोट बैंक को अपनी तरफ आकर्षित करेगी.
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2017 में शहर वासियों को मिला था मेट्रो का तोहफा
2017 में लखनऊ वासियों को पहली बार मेट्रो में सफर का तोहफा मिला था. वर्तमान में 22.87 किलोमीटर रूट पर 22 स्टेशन के साथ लखनऊ मेट्रो चौधरी चरण सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट मेट्रो स्टेशन से मुंशीपुलिया तक दौड़ रही है. चारबाग से बसंत कुंज के बीच दूसरे फेज का काम शुरू होना है, लेकिन योगी सरकार के चार साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी मेट्रो के दूसरे चरण का काम अधर में ही लटका हुआ है.