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अलीगढ़ जहरीली शराब कांड के बाद मिथाइल अल्कोहल को किया गया जहर घोषित

अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर भूसरेड्डी ने मिथाइल अल्कोहल को लेकर सख्त दिशा निर्देश जारी किए हैं. साथ ही उत्तर प्रदेश में मिथाइल अल्कोहल विष अधिनियम के तहत जहर घोषित किया गया है.

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मिथाइल अल्कोहल.
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Published : Jun 7, 2021, 10:02 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश में मिथाइल अल्कोहल विष अधिनियम के तहत जहर घोषित किया गया है. जिसके दृष्टिगत मिथाइल अल्कोहल के कब्जे और बिक्री के लिए लाइसेंस और परमिट जारी करने का प्रावधान किया गया है. इसके लिए जिलाधिकारी को लाइसेंस जारी करने के रूप में अधिकृत किया गया है. नियमों के तहत मजिस्ट्रेट के अलावा, पुलिस अधिकारी, राजस्व अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी और आबकारी तथा उद्योग के अधिकारी, जो निरीक्षक के पद से नीचे नहीं हैं, को इन लाइसेंसों के निरीक्षण करने का अधिकार दिया गया है.

अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर भूसरेड्डी ने बताया है कि मिथाइल अल्कोहल के प्रयोग पर कड़ी निगरानी रखने के आदेश जारी किए गए हैं. यदि मिथाइल अल्कोहल के उत्पादन के लिए लाइसेंस प्राप्त इकाइयों के अलावा कोई अन्य इस कारोबार में संलिप्त पाया जाता है तो ऐसी इकाई के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. मिथाइल अल्कोहल के उत्पादन, भंडारण और बिक्री की गहन निगरानी की जाएगी.

अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने बताया कि मिथाइल अल्कोहल से बनी अवैध शराब के सेवन से मौत होने पर, बड़ी मात्रा में अवैध शराब बरामद होने की स्थिति में स्थानीय आबकारी व पुलिस अधिकारियों व कर्मियों की जवाबदेही तय की जाएगी. अवैध शराब की गतिविधियों में शामिल पाए जाने वालों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट और एनएसए लगाया जाएगा. साथ ही उनकी संपत्ति को जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी. अतिरिक्त प्रत्येक व्यक्ति जो किसी भूमि या भवन का स्वामी है या ऐसे स्वामी का प्रबंधक है, जहां पर किसी नशीले पदार्थ का अवैध निर्माण होता है तो लेखपाल या चैकीदार, जिसके अधिकार क्षेत्र में ऐसी भूमि या भवन स्थित है, मजिस्ट्रेट या आबकारी पुलिस या राजस्व विभाग के किसी अधिकारी को तुरंत सूचना देने के लिए बाध्य हैं.

इसे भी पढ़ें- Aligarh Hooch Tragedy: ऋषि शर्मा की सेल्समैन से शराब माफिया बनने की कहानी

टैंकरों पर सफेद अक्षरों में लिखा होगा मिथाइल एल्कोहल

अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर भूसरेड्डी मिथाइल अल्कोहल को लेकर सख्त दिशा निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने बताया मिथाइल अल्कोहल के टैंक और कंटेनरों पर स्पष्ट रूप से मिथाइल अल्कोहल अंकित किया जाएगा. मिथाइल अल्कोहल का परिवहन करने वाले टैंकरों पर मोटे तथा सफेद अक्षरों में विषैला पदार्थ परिवहन किए जाने सम्बन्धी सूचना और कानूनी चेतावनी तथा दोनों तरफ उसके विष होने सम्बन्धी चिन्ह अंकित किया जाना अनिवार्य किया गया है. टैंकर से मिथाइल अल्कोहल की चोरी न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए टैंकरों को ठीक से सील किया जाएगा और इसकी पुष्टि के बाद ही टैंकर भेजा जाएगा.

मौत का नशा बेचने वालों पर होगी सख्त सजा

आबकारी अधिनियम की संशोधित धारा- 60 (क) की व्याख्या करते हुए अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति नशे की आड़ में कोई हानिकारक पदार्थ बेचता है और इससे मृत्यु या गंभीर अपंगता होती है तो उसे मौत या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. साथ ही दस लाख रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है. जो पांच लाख रुपये से कम नहीं होगा.

इसे भी पढ़ें- Aligarh Liquor Case: जानिए... कच्ची शराब कैसे हो जाती है जहरीली

अवैध शराब को लेकर आबकारी विभाग ने की लोगों से अपील

अपर मुख्य सचिव ने आम जनता से अवैध स्रोतों से शराब न खरीदने की अपील की है. ऐसी शराब मिथाइल अल्कोहल या डिनेचर्ड स्प्रिट से बनी हो सकती है. जिसके पीने से आंख की रोशनी जा सकती है. यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है. इस संबंध में सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे समय-समय पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और समाचार पत्रों में इस संबंध में चेतावनी जारी करें.

लखनऊः उत्तर प्रदेश में मिथाइल अल्कोहल विष अधिनियम के तहत जहर घोषित किया गया है. जिसके दृष्टिगत मिथाइल अल्कोहल के कब्जे और बिक्री के लिए लाइसेंस और परमिट जारी करने का प्रावधान किया गया है. इसके लिए जिलाधिकारी को लाइसेंस जारी करने के रूप में अधिकृत किया गया है. नियमों के तहत मजिस्ट्रेट के अलावा, पुलिस अधिकारी, राजस्व अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी और आबकारी तथा उद्योग के अधिकारी, जो निरीक्षक के पद से नीचे नहीं हैं, को इन लाइसेंसों के निरीक्षण करने का अधिकार दिया गया है.

अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर भूसरेड्डी ने बताया है कि मिथाइल अल्कोहल के प्रयोग पर कड़ी निगरानी रखने के आदेश जारी किए गए हैं. यदि मिथाइल अल्कोहल के उत्पादन के लिए लाइसेंस प्राप्त इकाइयों के अलावा कोई अन्य इस कारोबार में संलिप्त पाया जाता है तो ऐसी इकाई के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. मिथाइल अल्कोहल के उत्पादन, भंडारण और बिक्री की गहन निगरानी की जाएगी.

अपर मुख्य सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने बताया कि मिथाइल अल्कोहल से बनी अवैध शराब के सेवन से मौत होने पर, बड़ी मात्रा में अवैध शराब बरामद होने की स्थिति में स्थानीय आबकारी व पुलिस अधिकारियों व कर्मियों की जवाबदेही तय की जाएगी. अवैध शराब की गतिविधियों में शामिल पाए जाने वालों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट और एनएसए लगाया जाएगा. साथ ही उनकी संपत्ति को जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी. अतिरिक्त प्रत्येक व्यक्ति जो किसी भूमि या भवन का स्वामी है या ऐसे स्वामी का प्रबंधक है, जहां पर किसी नशीले पदार्थ का अवैध निर्माण होता है तो लेखपाल या चैकीदार, जिसके अधिकार क्षेत्र में ऐसी भूमि या भवन स्थित है, मजिस्ट्रेट या आबकारी पुलिस या राजस्व विभाग के किसी अधिकारी को तुरंत सूचना देने के लिए बाध्य हैं.

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टैंकरों पर सफेद अक्षरों में लिखा होगा मिथाइल एल्कोहल

अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर भूसरेड्डी मिथाइल अल्कोहल को लेकर सख्त दिशा निर्देश जारी किए हैं. उन्होंने बताया मिथाइल अल्कोहल के टैंक और कंटेनरों पर स्पष्ट रूप से मिथाइल अल्कोहल अंकित किया जाएगा. मिथाइल अल्कोहल का परिवहन करने वाले टैंकरों पर मोटे तथा सफेद अक्षरों में विषैला पदार्थ परिवहन किए जाने सम्बन्धी सूचना और कानूनी चेतावनी तथा दोनों तरफ उसके विष होने सम्बन्धी चिन्ह अंकित किया जाना अनिवार्य किया गया है. टैंकर से मिथाइल अल्कोहल की चोरी न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए टैंकरों को ठीक से सील किया जाएगा और इसकी पुष्टि के बाद ही टैंकर भेजा जाएगा.

मौत का नशा बेचने वालों पर होगी सख्त सजा

आबकारी अधिनियम की संशोधित धारा- 60 (क) की व्याख्या करते हुए अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति नशे की आड़ में कोई हानिकारक पदार्थ बेचता है और इससे मृत्यु या गंभीर अपंगता होती है तो उसे मौत या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है. साथ ही दस लाख रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है. जो पांच लाख रुपये से कम नहीं होगा.

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अवैध शराब को लेकर आबकारी विभाग ने की लोगों से अपील

अपर मुख्य सचिव ने आम जनता से अवैध स्रोतों से शराब न खरीदने की अपील की है. ऐसी शराब मिथाइल अल्कोहल या डिनेचर्ड स्प्रिट से बनी हो सकती है. जिसके पीने से आंख की रोशनी जा सकती है. यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है. इस संबंध में सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे समय-समय पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और समाचार पत्रों में इस संबंध में चेतावनी जारी करें.

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