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वैक्सीनेशन में झोल: डबल डोज के बाद सिंगल डोज के लिए आ रहा मैसेज

राजधानी लखनऊ में वैक्सीन की डबल डोज ले चुके लाभर्थियों के मोबाइल पर सिंगल डोज का मैसेज आ रहा है. वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जिनके पास वैक्सीनेशन के सर्टिफिकेट में सेंटर का नाम और डोज का भी नाम गलत लिखकर आ रहा है.

वैक्सीनेशन
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Published : Jul 17, 2021, 8:51 PM IST

लखनऊ: यूपी में वैक्सीनेशन में गजब का झोल चल रहा है. डबल डोज लगवा चुके लाभर्थियों के मोबाइल पर सिंगल डोज का मैसेज आ रहा है. कई लोगों की पहली डोज का रिकॉर्ड गायब है. ऐसे में वैक्सीन का प्रमाणपत्र डाउनलोड न होने से लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

यूपी में 15 जनवरी से कोरोना वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया गया था. इसके तहत पहले हेल्थ वर्करों के टीकाकरण का फैसला लिया गया. इसके बाद फ्रंट लाइन वर्करों का वैक्सीनेशन शुरू किया गया. तीसरे चरण में 60 वर्ष से ऊपर और 45 साल से अधिक उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन किया गया. चौथे चरण में 45 साल से ज्यादा के सभी लोगों को वैक्सीनेशन में शामिल किया गया. पांचवें चरण में 18 साल से ऊपर सभी के टीकाकरण को हरी झंडी दी गई. वहीं सरकार ने 31 दिसम्बर तक 18 वर्ष से अधिक सभी का टीकाकरण करने का फैसला किया है.

यूपी में शुरुआत में कोविन पोर्टल बेपटरी रहा. ऐसे में सेंटरों पर ऑफलाइन ब्यौरा दर्ज कर लाभार्थियों को टीका लगा दिया. उन्हें पहली डोज का वैक्सीनेशन कार्ड भी दे दिया गया. मगर पोर्टल पर रिकॉर्ड अपडेट नहीं किया गया. ऐसे में अब 84 दिन बाद दूसरी डोज लेने वाले तमाम लोगों को पहली डोज का ही मैसेज आ रहा है. ऐसे में सेकेंड डोज का प्रमाणपत्र डाउनलोड नहीं हो पा रहा है. इससे कई लोगों की विदेश यात्रा पर ब्रेक लग गया है. वहीं स्वास्थ्य विभाग के पास ऐसे लाभार्थियों का कोई ब्योरा नहीं है. उन्हें 84 दिन बाद दोबारा स्लॉट बुक करा कर अपडेट कराने का हवाला दिया जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- पांच मिनट में महिला को लगा दी कोरोना वैक्सीन की डबल डोज, बिगड़ी तबीयत

यूपी में वैक्सीन का संकट छाया हुआ है. अचानक केंद्र बंद होने से सेंटर पर पहुंचे लोगों ने हंगामा किया. बीते मंगलवार को 4887 केंद्रों पर टीका लगा. बुधवार को घटकर 2904 केंद्र रह गए, गुरुवार को फिर 4227 केंद्र हुए, शुक्रवार को 3669 सेंटरों पर टीकाकरण हुआ. शनिवार को 2996 केंद्रों पर टीकाकरण शुरू किया गया. आम दिनों में 6 हजार केंद्रों पर टीका लगता था. वैक्सीन संकट के चलते 45 पार के लोगों का ऑन द स्पॉट पंजीकरण बंद कर दिया गया है. शनिवार को 4 करोड़ टीका लगाने का रिकॉर्ड पार कर दिया गया. 12 बजे तक 4 करोड़ 13 हजार लोगों को डोज दी गई. शुरुआत में कोविन पोर्टल में भी दिक्कत थी. ऐसे में कई लोगों का रिकॉर्ड ऑनलाइन अपडेट नहीं हो सका. ऐसे कितने लोग हैं, इसका अभी कोई रिकॉर्ड नहीं है. हालांकि यह लोग दोबारा तय समय में स्लॉट बुक करके रिकॉर्ड अपडेट करा सकते हैं.

राजधानी में कोवैक्सीन केवल सिविल अस्पताल, लोकबंधु अस्पताल और आरएलबी में ही लगती है. बाकि अन्य सेंटर्स पर कोविशील्ड लगती है. यहां तक कि ऐशबाग ईदगाह में भी कोविशील्ड लगाई जाती है. लेकिन, ऐसे कई मामले सामने आ रहे है जहां सर्टिफिकेट में दूसरे सेंटर का नाम लिखा आ रहा है. पहले तो बिना वैक्सीन लगे ही वैक्सीन लगने के मैसेज की शिकायतें आ रही थी. सिविल अस्पताल में कार्यरत एक कर्मचारी ने बताया कि इस तरह के करीब 10-12 मामले आ चुके हैं, जिसमें कोवैक्सीन की सेकेंड डोज तो सिविल में लगी है लेकिन, सर्टिफिकेट में ऐशबाग ईदगाह लिखा आ रहा है. वो भी कोवैक्सीन लगाने का, जबकि वहां पर केवल कोविशील्ड ही लगती है.

इस मामले को लेकर वैक्सीनेशन नोडल इंचार्ज डॉ. एमके सिंह ने बताया कि कई बार पोर्टल पर डोज का डाटा अपडेट नहीं होता है. चूंकि पोर्टल पर बैक डेट में एंट्री नहीं हो सकती, इसलिए कई मामलों में डेट आगे-पीछे हो जाती है. लेकिन, अगर सेंटर बदल गया और एक सेंटर को लेकर मामले ज्यादा आ रहे हैं, तो मामले को दिखाया जायेगा.

लखनऊ: यूपी में वैक्सीनेशन में गजब का झोल चल रहा है. डबल डोज लगवा चुके लाभर्थियों के मोबाइल पर सिंगल डोज का मैसेज आ रहा है. कई लोगों की पहली डोज का रिकॉर्ड गायब है. ऐसे में वैक्सीन का प्रमाणपत्र डाउनलोड न होने से लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

यूपी में 15 जनवरी से कोरोना वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया गया था. इसके तहत पहले हेल्थ वर्करों के टीकाकरण का फैसला लिया गया. इसके बाद फ्रंट लाइन वर्करों का वैक्सीनेशन शुरू किया गया. तीसरे चरण में 60 वर्ष से ऊपर और 45 साल से अधिक उम्र के लोगों का वैक्सीनेशन किया गया. चौथे चरण में 45 साल से ज्यादा के सभी लोगों को वैक्सीनेशन में शामिल किया गया. पांचवें चरण में 18 साल से ऊपर सभी के टीकाकरण को हरी झंडी दी गई. वहीं सरकार ने 31 दिसम्बर तक 18 वर्ष से अधिक सभी का टीकाकरण करने का फैसला किया है.

यूपी में शुरुआत में कोविन पोर्टल बेपटरी रहा. ऐसे में सेंटरों पर ऑफलाइन ब्यौरा दर्ज कर लाभार्थियों को टीका लगा दिया. उन्हें पहली डोज का वैक्सीनेशन कार्ड भी दे दिया गया. मगर पोर्टल पर रिकॉर्ड अपडेट नहीं किया गया. ऐसे में अब 84 दिन बाद दूसरी डोज लेने वाले तमाम लोगों को पहली डोज का ही मैसेज आ रहा है. ऐसे में सेकेंड डोज का प्रमाणपत्र डाउनलोड नहीं हो पा रहा है. इससे कई लोगों की विदेश यात्रा पर ब्रेक लग गया है. वहीं स्वास्थ्य विभाग के पास ऐसे लाभार्थियों का कोई ब्योरा नहीं है. उन्हें 84 दिन बाद दोबारा स्लॉट बुक करा कर अपडेट कराने का हवाला दिया जा रहा है.

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यूपी में वैक्सीन का संकट छाया हुआ है. अचानक केंद्र बंद होने से सेंटर पर पहुंचे लोगों ने हंगामा किया. बीते मंगलवार को 4887 केंद्रों पर टीका लगा. बुधवार को घटकर 2904 केंद्र रह गए, गुरुवार को फिर 4227 केंद्र हुए, शुक्रवार को 3669 सेंटरों पर टीकाकरण हुआ. शनिवार को 2996 केंद्रों पर टीकाकरण शुरू किया गया. आम दिनों में 6 हजार केंद्रों पर टीका लगता था. वैक्सीन संकट के चलते 45 पार के लोगों का ऑन द स्पॉट पंजीकरण बंद कर दिया गया है. शनिवार को 4 करोड़ टीका लगाने का रिकॉर्ड पार कर दिया गया. 12 बजे तक 4 करोड़ 13 हजार लोगों को डोज दी गई. शुरुआत में कोविन पोर्टल में भी दिक्कत थी. ऐसे में कई लोगों का रिकॉर्ड ऑनलाइन अपडेट नहीं हो सका. ऐसे कितने लोग हैं, इसका अभी कोई रिकॉर्ड नहीं है. हालांकि यह लोग दोबारा तय समय में स्लॉट बुक करके रिकॉर्ड अपडेट करा सकते हैं.

राजधानी में कोवैक्सीन केवल सिविल अस्पताल, लोकबंधु अस्पताल और आरएलबी में ही लगती है. बाकि अन्य सेंटर्स पर कोविशील्ड लगती है. यहां तक कि ऐशबाग ईदगाह में भी कोविशील्ड लगाई जाती है. लेकिन, ऐसे कई मामले सामने आ रहे है जहां सर्टिफिकेट में दूसरे सेंटर का नाम लिखा आ रहा है. पहले तो बिना वैक्सीन लगे ही वैक्सीन लगने के मैसेज की शिकायतें आ रही थी. सिविल अस्पताल में कार्यरत एक कर्मचारी ने बताया कि इस तरह के करीब 10-12 मामले आ चुके हैं, जिसमें कोवैक्सीन की सेकेंड डोज तो सिविल में लगी है लेकिन, सर्टिफिकेट में ऐशबाग ईदगाह लिखा आ रहा है. वो भी कोवैक्सीन लगाने का, जबकि वहां पर केवल कोविशील्ड ही लगती है.

इस मामले को लेकर वैक्सीनेशन नोडल इंचार्ज डॉ. एमके सिंह ने बताया कि कई बार पोर्टल पर डोज का डाटा अपडेट नहीं होता है. चूंकि पोर्टल पर बैक डेट में एंट्री नहीं हो सकती, इसलिए कई मामलों में डेट आगे-पीछे हो जाती है. लेकिन, अगर सेंटर बदल गया और एक सेंटर को लेकर मामले ज्यादा आ रहे हैं, तो मामले को दिखाया जायेगा.

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