लखनऊ: पुरानी पेंशन बहाली, वेतन विसंगतियां दूर करने, भत्तों की समानता समेत कई मांगों को लेकर राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने आंदोलन की घोषणा कर दी है. आंदोलन की शुरुआत 19 फरवरी से की जाएगी. मांगों के समर्थन में राज्य कर्मचारी सामूहिक उपवास और धरना प्रदर्शन करेंगे. यह फैसला सोमवार को हुई बैठक में लिया गया.
पुरानी पेंशन बहाली समेत तमाम मांगों को लेकर राज्य कर्मचारियों ने उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ बगावती रुख अख्तियार कर लिया है. राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत ने बताया कि प्रदेश के सभी जनपदों में 3 लाख से अधिक कर्मचारी सरकार की योजनाओं में जुड़े हुए हैं. जिनमें आउटसोर्सिंग कर्मचारी, संविदा कर्मचारी व ठेके पर काम करने वाले शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इन कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति बनाने और इनके कैशलेस इलाज पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 2 साल पहले बैठक हुई थी. जिसमें वेतन विसंगतियां एवं वेतन समिति की संस्तुतियों व कर्मचारियों के बचे हुए भत्तों को लेकर वार्ता हुई थी. बैठक के दौरान इन समस्याओं पर निर्णय लेने की बात कही गई थी, लेकिन 2 साल हो चुके हैं. अभी तक कर्मचारियों के अधिकार और उनके हित में निर्णय नहीं लिया.
कर्मचारियों को किया जा रहा शोषण
महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि संविदा व आउटसोर्सिंग पर काम कर रहे कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है. यूपी सरकार की तमाम योजनाओं के विभागों में काम कर रहे कर्मचारियों को बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है. महंगाई भत्ते की तीन किस्तों को फ्रीज कर दिया गया है. इन नीतियों के चलते कर्मचारियों के सामने आर्थिक संकट मंडराने लगा है. उन्होंने बताया कि बैठक में कर्मचारियों के हित में निर्णय लेते हुए केंद्रीय कर्मचारियों के समान राज्य कर्मचारियों को वेतन, भत्ते व अन्य सुविधा देने की मांग की गई है. इसके लिए 18 फरवरी से 27 फरवरी तक उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में काली पट्टी बांधकर विरोध किया जाएगा. 28 फरवरी से 17 मार्च तक समस्त जनपदों के सभी विभागों में गेट मीटिंग की जाएगी.
सामूहिक उपवास पर बैठेंगे राज्य कर्मचारी
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री ने बताया कि आंदोलन की शुरुआत 19 फरवरी से की जाएगी. 17 मार्च तक चलने वाले इस विरोध के बीच यदि कर्मचारियों के हित में सरकार की तरफ से कोई उचित निर्णय नहीं लिया जाता है, तो 18 मार्च को प्रदेश भर के राज्य कर्मचारी सामूहिक उपवास पर रहकर विरोध करेंगे.