लखनऊ: राजधानी में CAA, NPR और NRC के खिलाफ मुमताज डिग्री कॉलेज में रविवार को एक बड़ी बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में बड़ी तादाद में शिया और सुन्नी धर्मगुरुओं के अलावा बुद्धिजीवी वर्ग से जुड़े कई लोग मौजूद रहे. साथ ही बैठक में नागरिकता कानून के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए जाने और इसके खिलाफ आवाज उठाए जाने की बात कही गई.
CAA के खिलाफ बैठक का आयोजन
केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन कानून और NRC को पूरे भारत में लागू किए जाने के एलान के बाद से बड़े पैमाने पर छात्रों के साथ मुस्लिम औरतें, समाज सेवी संगठन के अलावा विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं. इसके तहत दिल्ली और यूपी समेत भारत के कई राज्यों में लोग बड़ी तादाद में धरना प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं. इसी कड़ी में रविवार को लखनऊ में भी एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश भर से मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ तमाम बुद्धिजीवी वर्ग के लोग बड़ी तादाद में शामिल हुए.
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आजादी के बाद सबसे विशाल प्रदर्शन
इस बैठक में शामिल बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश की आजादी के बाद शायद यह पहला मौका है कि देश के हर कोने में देशवासी इतनी बड़ी तादाद में सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा हुकूमत संविधान को नजरअंदाज करते हुए कानून बना रही है, जो हरगिज जायज नहीं है.
'बांटो और शासन करो' की नीति अपना रही सरकार
CAA, NRC के बारे में देशवासियों को गुमराह करने की सरकारी कोशिशों के बावजूद भी लोग यह बात जान रहे हैं कि यह कानून जनता को बांटने की सियासत है. इससे लोकतंत्र को बहुत खतरा होगा. इस दौरान बैठक में मौजूद लोगों ने मुल्क के मौजूदा हालात पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि 'बांटो और शासन करो' की यह नीति गिरती अर्थव्यवस्था को और नीचे ले जाएगी.
CAA के खिलाफ होगा आंदोलन
बैठक में सीनियर एडवोकेट और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी, शिया चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास और जमीयत-ए-अहले-हदीस के अध्यक्ष मौलाना शबीउद्दीन ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया के सरकार की इन नीतियों और लोगों को बांटने वाले क़ानून के खिलाफ कमेटी गठन कर आंदोलन चलाया जाएगा.