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ऐसे होगी किसानों की आय दोगुनी, डॉ. राजेश वर्मा ने बताया ये तरीका

गंगा किनारे खेती करने वाले किसान नुकसान से परेशान रहते हैं. अब नमामि गंगे मिशन के साथ मिलकर सीएसआईआर-सीमैप ने प्रदेश के 12 जनपदों में गंगा नदी के किनारे की करीब 2 लाख हेक्टेयर जमीन का चयन किया है. इस जमीन पर औषधीय और सुगंधित पौधों का रोपण कर किसानों की आय दोगुनी करने की योजना है.

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Published : Mar 21, 2021, 5:33 PM IST

लखनऊ
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लखनऊः भारत देश कृषि प्रधान देश है. पूरे देश में विभिन्न तरह की खेती होती है. हर क्षेत्र में भूमि भी अपना स्वरूप बदलती है. इस तरह विभिन्न प्रजातियों की भूमि देश में मौजूद है. उसी के हिसाब से किसान फसलों का उत्पादन करता है, लेकिन हमारे देश में नदियों के किनारे की भूमि किसान के लिए फायदे का सौदा कभी नहीं रही है. यह कहना है सीएसआईआर-सीमैप के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेश वर्मा का. उन्होंने बताया कि ऐसे किसानों को फायदा दिलाने के लिए नमामि गंगे मिशन के साथ मिलकर सीएसआईआर-सीमैप ने प्रदेश के 12 जनपदों में गंगा नदी के किनारे की करीब 2 लाख हेक्टेयर जमीन का चयन किया है. इस जमीन पर औषधीय और सुगंधित पौधों का रोपण कर किसानों की आय दोगुनी करने की योजना है.

किसानों की आय दोगुनी

नहीं है जोखिम
डॉ. राजेश वर्मा के अनुसार इस खेती में किसान को किसी भी तरह का जोखिम नहीं है. बाढ़, पानी, सूखा हर परिस्थिति में वैज्ञानिकों के द्वारा चयनित इन औषधीय और सुगंधित पौधों को रोपित किया जा सकता है.

जनपद जो गंगा नदी के किनारे हैं
कानपुर, उन्नाव, बलिया, प्रतापगढ़, फतेहपुर, भदोही, बनारस, गाजीपुर, प्रयागराज सहित तमाम कई और जनपद भी हैं. इन सभी जनपदों की गंगा किनारे की भूमि पर सीएसआईआर सीमेप के वैज्ञानिकों ने किसान की आमदनी बढ़ाने के लिए यह प्रयास किया है.

तटीय क्षेत्र में लगा सकते हैं यह पौधे
सीएसआईआर सीमेप के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने गंगा के किनारे कि करीब 2 लाख हेक्टेयर जमीन में ग्रीन कॉरिडोर बनाने के साथ साथ किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए औषधीय और सुगंध पौधों का चयन किया है. इसमें लेमन ग्रास, तुलसी, खस, हल्दी, अश्वगंधा, पामरोजा, सतावर, कालमेघ, भूई आंवला सहित तमाम प्रजाति वैज्ञानिकों ने चयनित की हैं. जिससे किसान लाभ उठा सकता है.

कम लागत और जोखिम बिल्कुल नहीं
सीएसआईआर के द्वारा चयनित इन पौधों के उत्पादन में बहुत कम लागत आती है. बाढ़, सूखा, पानी या फिर जानवरों का भी कोई डर नहीं है. इसी के साथ कीटनाशक भी इन फसलों में नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं.

इन पौधों से पर्यावरण रहता है सुरक्षित
डॉ. राजेश वर्मा बताते हैं कि गंगा के तटीय क्षेत्र में उत्पादित इन पौधों से पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है. यह औषधीय सुगंधित पौधे मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण, और वायु प्रदूषण को भी शोषित करने की अधिक क्षमता करते हैं. इससे हमारा वातावरण भी शुद्ध होता है.

वर्तमान में 40 से 60 हजार रुपये प्रति एकड़ की आमदनी
वर्तमान में जो किसान गंगा के तटीय क्षेत्र में औषधीय और सुगंधित पौधों का रोपण कर रहे हैं, उन्हें वर्तमान समय में 40 से 60 हजार प्रति एकड़ के हिसाब से आमदनी हो रही है. जो कि इससे पहले एक भी पैसे की आमदनी नहीं होती थी. इसके बाद किसान बेहद खुश हैं.

तेल की सप्लाई
किसानों के द्वारा उत्पादित और सुगंधित तेल को मार्केट में सप्लाई के लिए भी सीएसआईआर प्रयास कर रहा है. किसानों के द्वारा उत्पादित तेल को मार्केट में सप्लाई करने के लिए मार्केटिंग कंपनियों से टाइअप करके किसानों के औषधीय तेल का विक्रय कराएगा.

इसे भी पढ़ेंः संभावनाओं का प्रदेश है उत्तर प्रदेशः योगी आदित्यनाथ

जायद की फसल के साथ भी रोप सकते हैं औषधीय पौधे
डॉ. राजेश वर्मा के अनुसार औषधीय और सुगंधित पौधों को गंगा के तटीय क्षेत्र की भूमि पर सीजन में जायद की फसल के साथ भी रोपित कर सकते हैं. इससे जहां औषधीय पौधे जल्द से जल्द बड़े हो जाएंगे तो वहीं दूसरी ओर जायद की फसलों में भी लागत और सिंचाई कम करनी पड़ेगी.

चला रहे मुहिम
गौरतलब है कि डॉ. राजेश वर्मा प्रदेश में नमामि गंगे मिशन के साथ मिलकर गंगा नदी के तटीय क्षेत्र में ग्रीन कॉरिडोर बनाने की मुहिम निदेशक डा. प्रबोध कुमार द्विवेदी के निर्देशानुसार चला रहे हैं.

लखनऊः भारत देश कृषि प्रधान देश है. पूरे देश में विभिन्न तरह की खेती होती है. हर क्षेत्र में भूमि भी अपना स्वरूप बदलती है. इस तरह विभिन्न प्रजातियों की भूमि देश में मौजूद है. उसी के हिसाब से किसान फसलों का उत्पादन करता है, लेकिन हमारे देश में नदियों के किनारे की भूमि किसान के लिए फायदे का सौदा कभी नहीं रही है. यह कहना है सीएसआईआर-सीमैप के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेश वर्मा का. उन्होंने बताया कि ऐसे किसानों को फायदा दिलाने के लिए नमामि गंगे मिशन के साथ मिलकर सीएसआईआर-सीमैप ने प्रदेश के 12 जनपदों में गंगा नदी के किनारे की करीब 2 लाख हेक्टेयर जमीन का चयन किया है. इस जमीन पर औषधीय और सुगंधित पौधों का रोपण कर किसानों की आय दोगुनी करने की योजना है.

किसानों की आय दोगुनी

नहीं है जोखिम
डॉ. राजेश वर्मा के अनुसार इस खेती में किसान को किसी भी तरह का जोखिम नहीं है. बाढ़, पानी, सूखा हर परिस्थिति में वैज्ञानिकों के द्वारा चयनित इन औषधीय और सुगंधित पौधों को रोपित किया जा सकता है.

जनपद जो गंगा नदी के किनारे हैं
कानपुर, उन्नाव, बलिया, प्रतापगढ़, फतेहपुर, भदोही, बनारस, गाजीपुर, प्रयागराज सहित तमाम कई और जनपद भी हैं. इन सभी जनपदों की गंगा किनारे की भूमि पर सीएसआईआर सीमेप के वैज्ञानिकों ने किसान की आमदनी बढ़ाने के लिए यह प्रयास किया है.

तटीय क्षेत्र में लगा सकते हैं यह पौधे
सीएसआईआर सीमेप के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने गंगा के किनारे कि करीब 2 लाख हेक्टेयर जमीन में ग्रीन कॉरिडोर बनाने के साथ साथ किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए औषधीय और सुगंध पौधों का चयन किया है. इसमें लेमन ग्रास, तुलसी, खस, हल्दी, अश्वगंधा, पामरोजा, सतावर, कालमेघ, भूई आंवला सहित तमाम प्रजाति वैज्ञानिकों ने चयनित की हैं. जिससे किसान लाभ उठा सकता है.

कम लागत और जोखिम बिल्कुल नहीं
सीएसआईआर के द्वारा चयनित इन पौधों के उत्पादन में बहुत कम लागत आती है. बाढ़, सूखा, पानी या फिर जानवरों का भी कोई डर नहीं है. इसी के साथ कीटनाशक भी इन फसलों में नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं.

इन पौधों से पर्यावरण रहता है सुरक्षित
डॉ. राजेश वर्मा बताते हैं कि गंगा के तटीय क्षेत्र में उत्पादित इन पौधों से पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है. यह औषधीय सुगंधित पौधे मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण, और वायु प्रदूषण को भी शोषित करने की अधिक क्षमता करते हैं. इससे हमारा वातावरण भी शुद्ध होता है.

वर्तमान में 40 से 60 हजार रुपये प्रति एकड़ की आमदनी
वर्तमान में जो किसान गंगा के तटीय क्षेत्र में औषधीय और सुगंधित पौधों का रोपण कर रहे हैं, उन्हें वर्तमान समय में 40 से 60 हजार प्रति एकड़ के हिसाब से आमदनी हो रही है. जो कि इससे पहले एक भी पैसे की आमदनी नहीं होती थी. इसके बाद किसान बेहद खुश हैं.

तेल की सप्लाई
किसानों के द्वारा उत्पादित और सुगंधित तेल को मार्केट में सप्लाई के लिए भी सीएसआईआर प्रयास कर रहा है. किसानों के द्वारा उत्पादित तेल को मार्केट में सप्लाई करने के लिए मार्केटिंग कंपनियों से टाइअप करके किसानों के औषधीय तेल का विक्रय कराएगा.

इसे भी पढ़ेंः संभावनाओं का प्रदेश है उत्तर प्रदेशः योगी आदित्यनाथ

जायद की फसल के साथ भी रोप सकते हैं औषधीय पौधे
डॉ. राजेश वर्मा के अनुसार औषधीय और सुगंधित पौधों को गंगा के तटीय क्षेत्र की भूमि पर सीजन में जायद की फसल के साथ भी रोपित कर सकते हैं. इससे जहां औषधीय पौधे जल्द से जल्द बड़े हो जाएंगे तो वहीं दूसरी ओर जायद की फसलों में भी लागत और सिंचाई कम करनी पड़ेगी.

चला रहे मुहिम
गौरतलब है कि डॉ. राजेश वर्मा प्रदेश में नमामि गंगे मिशन के साथ मिलकर गंगा नदी के तटीय क्षेत्र में ग्रीन कॉरिडोर बनाने की मुहिम निदेशक डा. प्रबोध कुमार द्विवेदी के निर्देशानुसार चला रहे हैं.

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