लखनऊ : डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (Deputy CM Brajesh Pathak) की पहल ने सरकारी अस्पतालों में दवाओं की गुणवत्ता में और सुधार किया है. घटिया दवाओं को पहले पकड़ने में कामयाबी मिली है. ऐसा ही मामला सामने आया है. एंटीबायोटिक एमॉक्सीसिलिन ट्रॉयहाईड्रेट विद कैल्वीनेट पोटेशियम इंजेक्शन 1.2 एमजी की अस्पताल में आपूर्ति से पहले ही जांच कराई गई. जांच में इंजेक्शन मरीजों के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया.
यूपी के सरकारी अस्पतालों में मेडिकल सप्लाइज काॅरपोरेशन दवा की आपूर्ति करती है. 2 दिसंबर 2021 को अमृतसर की एएनजी लाइफ साइंस इंडिया कंपनी ने एमॉक्सीसिलिन की आपूर्ति की थी. जिसका बैच नम्बर एबी 192054 था. कंपनी ने काॅरपोरेशन के वेयरहाउस में दवा की आपूर्ति की. अस्पतालों में आपूर्ति से पहले ड्रग हाउस से इंजेक्शन के बैच नम्बर 192054 के तीन नमूने लिए गए. इन्हें जांच के लिए तीन लैबों में भेजा गया. तीनों लैब में इंजेक्शन के नमूने फेल पाए गए. इसके बाद काॅरपोरेशन ने सभी ड्रग हाउस को निर्देशित किया कि कंपनी से उक्त बैच का इंजेक्शन न लें.
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डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि दवाओं की गुणवत्ता लगातार जांची जा रही है. खास बात यह है कि ड्रग हाउस में ही दवा के नमूने लेकर जांच कराई जा रही है. इस दौरान दवा की आपूर्ति न करने के निर्देश दिए गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, दवा की आपूर्ति करने के लिए कहा गया है. इससे मरीजों को और सुरक्षित दवा मुहैया कराने में कामयाबी मिल रही है. काॅरपोरेशन की सख्ती के बाद कंपनियां और भी अधिक सतर्क हो गई हैं. पहले के मुताबिक दवाएं कम जांच में फेल हो रही हैं, जबकि नमूनों की संख्या बढ़ा दी गई है.
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