लखनऊ : महिला अस्पताल में कई बार ऐसे केस सामने आते हैं, जिसमें नॉर्मल डिलीवरी के चक्कर में महिलाएं व उनके परिजन काफी घंटों इंतजार के बाद अस्पताल पहुंचते हैं. ऐसे में कई बार एंबुलेंस या रास्ते में ही प्रसव हो जाता है. यह काफी खतरनाक साबित हो सकता है. इस बात को समझने की आवश्यकता है. हाल ही में कुछ ऐसे केस सामने आए, जिसमें अस्पताल पहुंचने से पहले या अस्पताल के द्वार पर ही महिला का प्रसव हो गया. इस तरह के कई केस सामने आते हैं. जिसमें जच्चा-बच्चा की जान का खतरा बना रहता है.
हजरतगंज स्थित वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल की सीएमएस (वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ) डॉ. निवेदिता कर के मुताबिक अस्पताल में रोजाना इस तरह की कई केस सामने आते हैं. हाल ही में एक मामला हुआ था, जिसमें ऑटो से गर्भवती महिला को उसके पड़ोसी ला रहे थे. इसी दौरान अस्पताल के द्वार पर ही महिला का प्रसव हो गया. दरअसल महिला को पहले से ही प्रसव पीड़ा शुरू हो गई थी. दरअसल महिलाओं को इस बात का डर रहता है कि अस्पताल आने के बाद कहीं उनका सिजेरियन प्रसव न कराया जाए. जबकि ऐसा नहीं होता है. यह सरकारी अस्पताल है. यह काम अन्य अस्पतालों में होता होगा, लेकिन यहां पर नहीं होता है. पूरी कोशिश होती है कि अगर नॉर्मल प्रसव हो रहा है तो नॉर्मल डिलीवरी ही कराई जाए.
डॉ. निवेदिता कर के मुताबिक झलकारी बाई महिला अस्पताल में रोजाना ढाई सौ से 300 गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए आती हैं. इनमें रोजाना 10 से 15 सिजेरियन प्रसव होते हैं. इसके अलावा लगभग 25 से 30 नार्मल प्रसव होता है. इसलिए यह कहा जा सकता है कि सिजेरियन प्रसव का आंकड़ा नॉर्मल प्रसव से कम होता है. इसलिए महिला अस्पताल में आने में लोगों को इतना नहीं सोचना चाहिए. लोगों को गलतफहमी है कि अस्पताल में सिजेरियन प्रसव अधिक कराया जाता है. इस गलतफहमी से गर्भवती महिलाओं को बाहर आना चाहिए. विशेषज्ञ डॉक्टर आपकी जांच के अनुसार प्रसव कराती हैं. इसीलिए विशेषज्ञ डॉक्टर समय-समय पर महत्वपूर्ण जांच गर्भावस्था के दौरान करने के लिए बोलते हैं. ताकि गर्भ में पल रहे शिशु के बारे में सभी जानकारी रिपोर्ट में रहे. यह रिपोर्ट बहुत मायने रखती है क्योंकि इस रिपोर्ट के मुताबिक ही गर्भवती महिला का प्रसव कराया जाता है.
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