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सावधानी बरतिए वरना मौत की नींद सुला देगा जिंदगी देने वाला आक्सीजन सिलिंडर - Health News

रसोई गैस की तरह आक्सीजन गैस का सिलिंडर भी जरा सी असावधानी में जानलेवा साबित हो सकता है. बीते दिनों लखनऊ के ठाकुरगंज क्षेत्र में आक्सीजन सिलिंडर के फटने से एक कर्मचारी की जान चली गई थी. इसके बाद आक्सीजन सिलिंडर के रखरखाव में क्या क्या खामियां और लापरवाही बरती जाती है. देखिए रिपोर्ट

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 18, 2023, 9:58 PM IST

जिंदगी देने की बजाय जान ले सकता है आक्सीजन सिलिंडर. देखें खबर

लखनऊ : हाल ही में ठाकुरगंज क्षेत्र में ऑक्सीजन सिलिंडर के ब्लास्ट होने से एक मजदूर की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद लोगों के ज़हन में ऑक्सीजन सिलिंडर को लेकर दहशत हो गई हैं. विस्फोट इतना भयानक था कि सिलिंडर उतार रहे मजदूर के शरीर के कई अंग भंग हो गए. साथ ही धमाके से करीब 200 मीटर तक की परिधि में जमीन थर्रा गई. घटना के बाद हर कोई यह जानना चाहता था कि आखिरकार ऑक्सीजन सिलिंडर में इतना जबरदस्त विस्फोट कैसे हो गया. हालांकि बताया जा रहा है कि जिस सिलिंडर में विस्फोट हुआ है उसकी अवधि समाप्त हो चुकी थी. यानी सिलिंडर एक्सपायर हो चुका था. इसके बावजूद रीफिल करके बिक्री हो रही थी.

आक्सीजन सिलिंडर के खतरे.
आक्सीजन सिलिंडर के खतरे.

सिविल अस्पताल की सीएमएस डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक ऑक्सीजन सिलिंडर में जाहिर सी बात है कि ऑक्सीजन ही होगी. यह मरीजों के लिए होती है. वो भी ऐसे मरीज जिन्हें सांस लेने में समस्या होती है या फिर मरीज वेंटिलेटर पर होता है तब उसे ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. ऑक्सीजन सिलिंडर का महत्व मरीज की जिंदगी से जुड़ा हुआ है. कभी-कभी यही ऑक्सीजन सिलिंडर मरीज को जिंदगी नहीं, बल्कि उसके किसी सगे संबंधी या कर्मचारी की मौत का कारण बन जाता है. ऑक्सीजन सिलिंडर को उतारते और रखते समय सावधानी जरूरी होती है. हाथ से अगर छूट जाए या जमीन पर तेजी से गिर गया तो विस्फोट होने का खतरा रहता है. कभी बार ऑक्सीजन तेजी से खोलने पर भी हादसा हो जाता है.

आक्सीजन सिलिंडर के खतरे.
आक्सीजन सिलिंडर के खतरे.


डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सिविल अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट है. इसलिए यहां ऑक्सीजन सिलिंडर की आवश्यकता नहीं पड़ती है, लेकिन इमरजेंसी में कभी-कभी मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलिंडर की आवश्यकता पड़ती है. हालांकि यहां पूरी निगरानी में ऑक्सीजन सिलिंडर लाया और मरीज के बेड़ तक पहुंचाया जाता है. इसमें जो ट्रेंड स्टाफ कर्मचारी होते हैं, उन्हीं को यह ड्यूटी सौंपी जाती है कि वह अच्छे से ऑक्सीजन सिलिंडर को लगवाएं ताकि कोई अनहोनी न हो.

आक्सीजन सिलिंडर के खतरे.
आक्सीजन सिलिंडर के खतरे.





कोविड में एक्सपायरी सिलिंडरों की हुई थी आमद : कोविड के समय ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ था. इसका फायदा माफियाओं में उठाया. बड़ी संख्या में एक्सपायरी सिलिंडरों को रीफलिंग करवाकर मनमाने दामों में बेच कर मोटी रकम वसूली गई. कई डीलरों ने तो कबाड़ियों से भी जर्जर सिलिंडरों को खरीद लिया था. पुलिस ने भी छापेमारी में सैकड़ों सिलिंडरों को अलग-अलग जगहों से बरामद किया था.

आक्सीजन सिलिंडर के खतरे.
आक्सीजन सिलिंडर के खतरे.

सरकारी अस्पतालों में लापरवाही : गोलागंज स्थित बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी के पीछे स्थित ऑक्सीजन सप्लाई रूम में मौजूद कोई भी कर्मचारी सिलिंडर के एक्सपायर होने की जानकारी नहीं दे सका. कर्मचारियों ने बताया कि हमें जो सिलिंडर उपलब्ध कराए जाते हैं, उन्हें वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई के लिए लगाए गए नॉजिल से लगा देते हैं. वहीं, रानी अवंतीबाई महिला अस्पताल के ऑक्सीजन सप्लाई रुम में कोई कर्मचारी नहीं मिला. यहां ऑक्सीजन सिलिंडर वार्ड में सप्लाई के लिए लगाए गए नॉजिल में लगे हुए थे. उनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं था.






यह भी पढ़ें : Watch : लखनऊ में आक्सीजन सिलिंडर फटने से ड्राइवर की मौत, हेल्पर की हालत गंभीर

जिंदगी देने की बजाय जान ले सकता है आक्सीजन सिलिंडर. देखें खबर

लखनऊ : हाल ही में ठाकुरगंज क्षेत्र में ऑक्सीजन सिलिंडर के ब्लास्ट होने से एक मजदूर की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद लोगों के ज़हन में ऑक्सीजन सिलिंडर को लेकर दहशत हो गई हैं. विस्फोट इतना भयानक था कि सिलिंडर उतार रहे मजदूर के शरीर के कई अंग भंग हो गए. साथ ही धमाके से करीब 200 मीटर तक की परिधि में जमीन थर्रा गई. घटना के बाद हर कोई यह जानना चाहता था कि आखिरकार ऑक्सीजन सिलिंडर में इतना जबरदस्त विस्फोट कैसे हो गया. हालांकि बताया जा रहा है कि जिस सिलिंडर में विस्फोट हुआ है उसकी अवधि समाप्त हो चुकी थी. यानी सिलिंडर एक्सपायर हो चुका था. इसके बावजूद रीफिल करके बिक्री हो रही थी.

आक्सीजन सिलिंडर के खतरे.
आक्सीजन सिलिंडर के खतरे.

सिविल अस्पताल की सीएमएस डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक ऑक्सीजन सिलिंडर में जाहिर सी बात है कि ऑक्सीजन ही होगी. यह मरीजों के लिए होती है. वो भी ऐसे मरीज जिन्हें सांस लेने में समस्या होती है या फिर मरीज वेंटिलेटर पर होता है तब उसे ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. ऑक्सीजन सिलिंडर का महत्व मरीज की जिंदगी से जुड़ा हुआ है. कभी-कभी यही ऑक्सीजन सिलिंडर मरीज को जिंदगी नहीं, बल्कि उसके किसी सगे संबंधी या कर्मचारी की मौत का कारण बन जाता है. ऑक्सीजन सिलिंडर को उतारते और रखते समय सावधानी जरूरी होती है. हाथ से अगर छूट जाए या जमीन पर तेजी से गिर गया तो विस्फोट होने का खतरा रहता है. कभी बार ऑक्सीजन तेजी से खोलने पर भी हादसा हो जाता है.

आक्सीजन सिलिंडर के खतरे.
आक्सीजन सिलिंडर के खतरे.


डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सिविल अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट है. इसलिए यहां ऑक्सीजन सिलिंडर की आवश्यकता नहीं पड़ती है, लेकिन इमरजेंसी में कभी-कभी मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलिंडर की आवश्यकता पड़ती है. हालांकि यहां पूरी निगरानी में ऑक्सीजन सिलिंडर लाया और मरीज के बेड़ तक पहुंचाया जाता है. इसमें जो ट्रेंड स्टाफ कर्मचारी होते हैं, उन्हीं को यह ड्यूटी सौंपी जाती है कि वह अच्छे से ऑक्सीजन सिलिंडर को लगवाएं ताकि कोई अनहोनी न हो.

आक्सीजन सिलिंडर के खतरे.
आक्सीजन सिलिंडर के खतरे.





कोविड में एक्सपायरी सिलिंडरों की हुई थी आमद : कोविड के समय ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ था. इसका फायदा माफियाओं में उठाया. बड़ी संख्या में एक्सपायरी सिलिंडरों को रीफलिंग करवाकर मनमाने दामों में बेच कर मोटी रकम वसूली गई. कई डीलरों ने तो कबाड़ियों से भी जर्जर सिलिंडरों को खरीद लिया था. पुलिस ने भी छापेमारी में सैकड़ों सिलिंडरों को अलग-अलग जगहों से बरामद किया था.

आक्सीजन सिलिंडर के खतरे.
आक्सीजन सिलिंडर के खतरे.

सरकारी अस्पतालों में लापरवाही : गोलागंज स्थित बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी के पीछे स्थित ऑक्सीजन सप्लाई रूम में मौजूद कोई भी कर्मचारी सिलिंडर के एक्सपायर होने की जानकारी नहीं दे सका. कर्मचारियों ने बताया कि हमें जो सिलिंडर उपलब्ध कराए जाते हैं, उन्हें वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई के लिए लगाए गए नॉजिल से लगा देते हैं. वहीं, रानी अवंतीबाई महिला अस्पताल के ऑक्सीजन सप्लाई रुम में कोई कर्मचारी नहीं मिला. यहां ऑक्सीजन सिलिंडर वार्ड में सप्लाई के लिए लगाए गए नॉजिल में लगे हुए थे. उनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं था.






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