लखनऊ: मेडिकल कॉलेज की मान्यता लेने के लिए मजदूरों को बिना बीमारी अस्पताल में भर्ती करके फर्जी इलाज करने समेत अन्य आरोपों के अभियुक्त एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज के लव शेखर की जमानत अर्जी को भ्रष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश गौरव कुमार ने खारिज कर दिया.
कोर्ट में सरकारी वकील विकास सिंह और आशुतोष बाजपेयी ने बताया कि वादी अंशु कुमार ने 8 फरवरी को ठाकुरगंज में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि एमसी सक्सेना ग्रुप ऑफ कॉलेज के कुछ लोग लेबर अड्डे पर आए और मजदूरों को 500 रुपये और खाने-पीने का लालच देकर कॉलेज ले आए. 70-80 मजदूरों को अस्पताल लाकर अलग-अलग बेड पर लिटा दिया और बिना बीमारी के पर्चे बनाए और वीगो लगाकर इंजेक्शन लगाने लगे. इससे मजदूर डर गए और विरोध किया तो अस्पताल के लोगों ने मजदूरों को डराया धमकाया. वादी का कहना था कि उसे लगा कि आरोपी मजदूरों को बेहोश करके खून और गुर्दा निकाल सकते हैं. इस पर वादी किसी तरह अस्पताल से भाग गया और रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस ने इस सूचना पर आरोपी लव शेखर को गिरफ्तार किया था.
रिटायर्ड आईएएस को नहीं मिली राहत
वहीं एक अन्य मामले में कोर्ट ने रिटायर्ड आईएएस विशम्भर नाथ को राहत देने से इनकार कर दिया. विशम्भर नाथ पर शिकायत का निस्तारण करने गई रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की उपाध्यक्ष के साथ अभद्रता करने का आरोप है. उन्होंने आरोपों से मुक्त करने की मांग वाली अर्जी दाखिल की थी. इसे विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट कैलाश बिहारी श्रीवास्तव ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने अभियुक्त पर आरोप तय करने के लिए 24 मार्च की तारीख तय की है.
पत्रावली के अनुसार वादी शेफाली भार्गव ने गाजीपुर में 9 दिसम्बर 2019 को रिपोर्ट दर्ज करके बताया था कि वह रोहताश एनक्लेव के रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की उपाध्यक्ष है. कहा गया कि एक शिकायती पत्र के निपटारे के लिए शेफाली रोहताश एनक्लेव में रहने वाले विशम्भर नाथ अग्रवाल के फ्लैट पर गई, जहां आरोपी ने उसके साथ अभद्रता की और अपमानजनक भाषा का प्रयोग करके घर से बाहर जाने के लिए कहा.
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आरोपी ने शेफाली के परिवार वालों के लिए अभद्र शब्दों का प्रयोग किया. पुलिस ने मामले की विवेचना के बाद सेवानिवृत्त आईएएस विशम्भर नाथ के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी. इस पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है. कोर्ट में आरोपी विशम्भर नाथ की ओर से आरोपों से मुक्त करने की मांग वाली अर्जी दी गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.
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