लखनऊ: कांग्रेस पार्टी देश की 26 पार्टियों को साथ लाकर इंडिया (INDIA) नाम का संगठन बनाने में सफल जरूर हुई, लेकिन कांग्रेस को एक पार्टी का और साथ मिलने की उम्मीद थी जो अब फिलहाल धूमिल हो गई है. कांग्रेस चाहती थी कि अगर बहुजन समाज पार्टी भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा हो जाए तो फिर देश भर में इंडिया गठबंधन को बड़ा फायदा मिल सकता है. खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में तो बीजेपी से मजबूती से लड़ा जा सकता है, लेकिन बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती (Bahujan Samaj Party President Mayawati) ने बुधवार को एक बार फिर जोर देकर यह बात कह दी कि बहुजन समाज पार्टी अकेले दम ही मैदान में उतरेगी. किसी के साथ कोई गठबंधन नहीं किया जाएगा. इससे अब कांग्रेस पार्टी की उम्मीदों को जोरदार झटका (Mayawati shattered Congress dream) लगा है.
दरअसल, बसपा सुप्रीमो ने गठबंधन न करने के पीछे अपने पुराने अनुभवों से सबक लिया है. बुधवार को उन्होंने पार्टी मुख्यालय पर अपने पदाधिकारी को संबोधित करते हुए कहा है कि पूर्व में बहुजन समाज पार्टी ने विभिन्न पार्टियों के साथ गठबंधन किया, लेकिन इसका बहुजन समाज पार्टी को कोई खास फायदा नहीं मिला. बसपा के वोट तो दूसरी पार्टियों को ट्रांसफर हो गए, लेकिन दूसरी पार्टियों के वोट बसपा को नहीं मिले. बसपा के कार्यकर्ता और मतदाता एक आवाज पर ही दूसरे दल के प्रत्याशी को जिताने के लिए अपना मतदान कर देते हैं, लेकिन दूसरे दलों के नेताओं में वह क्षमता ही नहीं है कि वह अपने वोट बसपा के खाते में ट्रांसफर करा सकें.
इसका बसपा को नुकसान उठाना पड़ा है. लिहाजा, अब बहुजन समाज पार्टी किसी भी दल से गठबंधन करने के बजाय अपने दम पर ही लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) लड़ेगी. बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था और बीएसपी 10 सीटें जीतने में सफल हुई थी. बीएसपी सुप्रीमो के अकेले चुनाव लड़ने के बयान के बाद अब कांग्रेस पार्टी की उन उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है, जिसकी कांग्रेस पार्टी ने कल्पना नहीं की थी. कांग्रेस नेताओं को लग रहा था कि लोकसभा चुनाव से पहले अन्य पार्टियों की तरह ही बहुजन समाज पार्टी को भी गठबंधन का हिस्सा बना लेंगे.
बीएसपी से बात न हो पाने पर कांग्रेस ने बदल दिया अध्यक्ष: अभी कुछ दिन पहले ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने अपने अध्यक्ष बृजलाल खाबरी को हटा दिया था. सियासी गलियारों में यह चर्चा तेजी से फैली थी कि कांग्रेस पार्टी की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी को एक टास्क दिया गया था, जिसके तहत बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन की बातचीत को सफल बनाना था. कहा जा रहा है कि बृजलाल खाबरी बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन करने में सफल नहीं हुए. इससे नाराज पार्टी हाई कमान ने उन्हें अध्यक्ष पद से ही हटा दिया.
जब खाबरी को मायावती से बातचीत न हो पाने के चलते हटाए जाने का सवाल किया गया, तो उनका जवाब था कि अगर इस वजह से उन्हें हटाया गया है, तो कांग्रेस पार्टी को शुभकामनाएं. फिलहाल अब कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की कमान अजय राय के हाथों में सौंपी है. अब मायावती के इस बयान के बाद अजय राय भी बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन की बात कैसे कर पाएंगे, यह अपने आप में बड़ा सवाल है.
कैंपों का आयोजन करने का दिया संदेश: अब जब बसपा सुप्रीमो मायावती ने अकेले दम ही चुनाव लड़ने का एलान (BSP shattered Congress dream) कर दिया है, तो उन्होंने बुधवार को समीक्षा बैठक के दौरान अपनी पार्टी के पदाधिकारियों को संदेश दिया कि वह गांव गांव जाएं. छोटे-छोटे कैंप का आयोजन करें. लोगों को अपने साथ जोड़े, जिससे आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी को मजबूती मिल सके. पार्टी प्रत्याशी जीतने में सफल हो सकें. (UP Politics News)