लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने देश के विभिन्न राज्यों में पार्टी संगठन को गति और मजबूती प्रदान करने के लिए रविवार को बैठक की. मायावती ने पश्चिमी भारत के दो राज्यों गुजरात और महाराष्ट्र के साथ ही दक्षिण भारत के कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु स्टेट पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक कर विचार-विमर्श किया. इस दौरान केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा.
बैठक में मायावती ने इन राज्यों के ताजा राजनीतिक हालात, कानून व्यवस्था, जातिवादी व सांप्रदायिक माहौल, चुनावी तैयारियों और पार्टी संगठन के कार्यकलापों जनाधार को बढ़ाने के लिए सक्रियता के बारे में गहन चर्चा और समीक्षा की. उन्होंने इन कार्यों को तीव्रता प्रदान करने के लिए कुछ जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए.
अपनी कार्यशैली पर विचार करे केंद्र सरकार
बैठक को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा कि दैनिक उपयोग के खाने-पीने की जरूरी वस्तुओं पर भी जिस प्रकार से ताजा जीएसटी टैक्स थोप दिया गया है, यह सरकार की गरीब विरोधी नीति का ही जीता जागता प्रमाण है. कुछ मुट्ठी भर अमीरों को छोड़कर देश के अधिकतर लोगों की आमदनी अठन्नी रह गई है. जबकि महंगाई के कारण वे रुपये खर्च करने को मजबूर हैं. भारतीय रुपये का भाव भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी के साथ रिकॉर्ड स्तर पर गिर रहा है. जोकि व्यापारी वर्ग को हताश और देश के लोगों का मनोबल गिराने वाला है, इसलिए उस मुद्दे पर भी केंद्र को सही से गंभीर व चिंतित होने की जरूरत है. वैश्विक समस्या का तर्क अपने आपको झूठी तसल्ली देना है. भारतीय रुपया अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिस प्रकार से गिरकर मनोबल तोड़ रहा है, उसकी चर्चा हो रही है, इसलिए केंद्र अपनी आर्थिक नीतियों व कार्यशैली पर भी पुनर्विचार करे.
कई राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल
बैठक में मायावती ने खासकर गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में आगामी विधानसभा आम चुनाव में मिशनरी सोच वालों पर ज्यादातर भरोसा करने की हिदायत दी, जिससे घोर स्वार्थी, विश्वासघाती और बिकाऊ सोच रखने वाले लोगों को पार्टी व मूवमेंट से थोड़ी मुक्ति मिल सके. मायावती ने कहा कि वैसे यह समस्या हर पार्टी में पैदा हो गई है, जिस कारण देश के विभिन्न राज्यों में सत्ता पलट और राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है और धनबल का गंदा खेल जारी है.
मायावती ने कहा कि ऐसे समय में जब राजनीति में घोर स्वार्थी, जातिवादी, सांप्रदायिक व आपराधिक तत्वों का नकारात्मक बोलबाला जगजाहिर तौर पर काफी बढ़ गया है. ऐसे में खासकर व्यापक जनहित और सामाजिक व आर्थिक उन्नति के मामले में लोगों के लिए बीएसपी के चर्चित आत्मसम्मान और स्वाभिमान का एकमात्र विकल्प बचा है. महाराष्ट्र, गुजरात आदि राज्यों में तो इसकी सबसे ज्यादा जरूरत नजर आ रही है, जिससे संवैधानिक मूल्यों आदर्शों और कानून के राज की सही से रक्षा हो सके. उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों के घटनाक्रम इस बात के गवाह हैं कि देश की राजनीति व शासन प्रशासन में बहुजन समाज में से खासकर दलित और पिछड़ों और धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों का सामूहिक तौर पर उपेक्षा और शोषण हुआ. इस संकट के दौर में बीएसपी उपेक्षित वर्गों का एकमात्र सहारा बनकर सामने आई, उन्हें शक्ति दी.
इसे भी पढ़ें-गोवा बार विवाद : अमेठी में स्मृति ईरानी और उनकी बेटी के खिलाफ चस्पा किए गए पोस्टर
यूपी में शासन व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई
मायावती ने कहा कि यूपी बीजेपी सरकार काफी पहले से ही भारी अंतर्कलह और जातिवादी आंतरिक बिगाड़ का शिकार है जिससे शासन व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है. आम जनहित काफी प्रभावित है. जगजाहिर तौर पर अधिक खर्चीला सरकारी विज्ञापनों, प्रोपेगेंडा के साथ-साथ सांप्रदायिक और धार्मिक विवादों के माध्यम से इन पर पर्दा डालने का प्रयास होता रहा है. यूपी में हर स्तर पर जारी भारी भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता ने अब यह भी देख लिया कि सरकारी ट्रांसफर पोस्टिंग में किस प्रकार का भ्रष्टाचार का खेल हुआ है. ट्रांसफर पोस्टिंग धंधा बन गया है और जिसका खुलासा राज्य सरकार को मजबूर होकर खुद ही करना पड़ा है. हालांकि इस खेल में बड़ी मछलियों को बचाने का प्रयास अभी भी लगातार जारी है. यूपी भाजपा सरकार में जातिवाद, सांप्रदायिकता भ्रष्टाचार और नेताओं के आपसी घमासान से जनहित व विकास न जाने कब तक और कितना लंबा प्रभावित होता रहेगा. इनके विकास के दावे का यह हाल है कि नया बहुचर्चित बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे चार दिन में ही धंस गया.