लखनऊ: प्रवासी श्रमिकों, बेरोजगारों और किसानों के मुद्दे पर बहुजन समाज पार्टी ने आज एक बार फिर केंद्र व राज्य सरकार पर हमला बोला है. केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े करते हुए बसपा अध्यक्ष ने कहा कि इन सभी के हितों के लिए किए जा रहे दावों का मीडिया या अन्य माध्यमों से प्रचार-प्रसार करने की बजाय उन्हें जमीन पर लागू करने की सख्त जरूरत है. उन्होंने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार की कार्यप्रणाली को गरीब विरोधी करार दिया है.
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि जब प्रवासी श्रमिक बड़े पैमाने पर बस और ट्रेन के जरिए उत्तर प्रदेश आ रहे थे तो राज्य सरकार की ओर से कुछ मंत्रियों और अधिकारियों का समूह बनाकर इस बात पर जोर दिया गया कि अन्य राज्यों से आने वाले सभी लोगों की यहां हर संभव मदद की जाएगी. उनको रोजी-रोटी के साधन उपलब्ध कराए जाएंगे.
डिग्री होल्डर खोद रहे गड्ढे
मायावती ने कहा कि असल में यहां इन लोगों की बहुत खराब हालत है. हालात इतने दयनीय हैं कि बड़ी-बड़ी डिग्री रखने वाले प्रवासी कामगारों को मनरेगा के तहत खुदाई करनी पड़ रही है. पिछले कुछ दिनों से मैंने इन हालातों को देखा है कि लोग कैसे गड्ढे खोद रहे हैं. ऐसे में उनके मां-बाप क्या सोचते होंगे, जिन्होंने मेहनत-मजदूरी करके उनको पढ़ाया लिखाया? राज्य सरकार को भी सोचना चाहिए कि जब बड़ी-बड़ी डिग्री लेकर लोग गड्ढे खोदेंगे तो इसका शिक्षा के ऊपर कितना बुरा प्रभाव पड़ेगा. लोग सोचने को मजबूर होंगे कि पढ़ने लिखने का क्या फायदा है, जब गड्ढे ही खोदने हैं.
प्रवासियों के सामने रोजगार की बड़ी समस्या
मायावती ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों से हमारी पार्टी का यह कहना कि उनकी नीतियों के कारण पहले से स्थापित छोटे-बड़े उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं और बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो रहे हैं. इसका ताजा उदाहरण गाजियाबाद और कन्नौज जैसे शहरों में देखने को मिला है. ऐसे में नए उद्योगों को स्थापित करने में अभी बहुत समय लगेगा, तब तक प्रवासी श्रमिकों के सामने रोजगार की बड़ी समस्या है.
दूसरे राज्यों पर भी उठाए सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि यूपी के अलावा अन्य राज्यों में भी हमें यही स्थिति देखने को मिल रही है, जिसके कारण पहले से स्थापित उद्योगों से बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो रहे हैं. प्रवासी श्रमिकों को वापस बुलाने के लिए तैयार पंजाब के अलावा उन सभी राज्यों को उस समय सोचना चाहिए था, जब कोरोना की वजह से लॉकडाउन की घोषणा हुई. छोटे बड़े उद्योगों के मालिकों ने मजदूरों से अपना हाथ खींचकर उन्हें उनके हाल पर भूखे मरने को छोड़ दिया था.
राज्य सरकारों ने पूरी नहीं की अपनी जिम्मदारी
मायावती ने कहा कि अगर उस समय इन प्रवासी श्रमिकों का ध्यान रखा गया होता तो यह लोग अपने-अपने राज्यों में वापस आने को मजबूर नहीं होते. उस समय राज्य सरकारों की जिम्मेदारी बनती थी कि यदि उद्योग धंधों के मालिकों के पास पैसे की समस्या आ गई थी तो सरकारें उन्हें अलग-अलग तरीकों से आर्थिक मदद मुहैया करातीं. इससे गरीब और मजदूरों के साथ खिलवाड़ नहीं होता. सरकारों को इन सभी के साथ ऐसा मजाक नहीं करना चाहिए था.