लखनऊ : बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने गुरुवार को बयान जारी कर बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. मायावती ने कहा कि भाजपा शासनकाल में उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार से हर प्रकार का अपराध बढ़ा है, उससे यहां पूरी तरह से जंगलराज कायम बो गया है. यूपी में फैली अराजकता किसी से भी छिपा नहीं है. ये सब समाजवार्दी पार्टी (सपा) के पिछले शासनकाल जैसा है. इसी कारण पहले जिला पंचायत अध्यक्ष और फिर ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव में सपा की तरह ही भाजपा ने भी धनबल, बाहुबल व सत्ता के घोर दुरुपयोग सहित अन्य अनेकों हथकंडे अपनाकर अधिकतर सीटें जीतने का दावा किया है, जो जनता की बेचैनी बढ़ाने तथा एक बार फिर यहां लोकतंत्र की सही स्थापना के बजाय जनतंत्र को शर्मसार करने वाला है, यह अति-दुःखद, दुर्भाग्यपूर्ण, निन्दनीय व सभी के लिए अति-चिन्ताजनक भी है.
बसाप सुप्रीमो ने कहा कि इस प्रकार पूर्व में चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार रही हो अथवा सपा की तथा अब वर्तमान में भाजपा की सरकार हो इनकी लोकतंत्र-विरोधी सोच, जनविरोधी रवैयों व कार्यकलापों आदि के अनुभवों के आधार पर लोगों में यह धारणा प्रबल है कि इन विरोधी पार्टियों के राज में जनहित व जनकल्याण की तरह स्वंय जनता के सम्मान व स्वाभिमान का न तो कोई मान-महत्त्व है और ना ही इनकी सरकारों को मानवीय व लोकतांत्रिक मूल्यों-मर्यादाओं आदि की कोई परवाह है तो फिर ऐसे में कानून का सम्मान व कानून के राज की स्थापना का सवाल ही कहां पैदा होता है.
'पंचायत चुनाव में सत्ता का हुआ दुरुपयोग'
मायावती ने कहा कि सत्ता को जैसे-तैसे तथा किसी भी कीमत पर हथियाने की भूख और 'संइयाँ भये कोतवाल अब भय काहे का' की कहावत को चरितार्थ करते हुए उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के दौरान जिस प्रकार से धनबल, बाहुबल तथा पुलिस एवं सरकारी मशीनरी के घोर दुरूपयोग आदि के साथ-साथ व्यापक धांधली, अपहरण, हत्या व महिलाओं के साथ अभद्रता-अश्लीलता आदि की घटनायें घटित हुई हैं. वे लोकतांत्रिक सोच व व्यवस्थाओं को आघात पहुंचाती हैं, उन्हें शर्मसार करती हैं.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि इन मामलों में बीएसपी का अनुभव हमेशा ही काफी कड़वा रहा है. कौन भूल सकता है कि सन् 1993 में सपा के साथ गठबंधन की सरकार होने के बावजूद जब बीएसपी के कार्यकर्ताओं के साथ हिंसक बर्ताव करते हुए उनका अपहरण आदि करके उन्हें नामांकन भरने तक से भी रोका गया और अन्ततः एक चर्चित मामले में महिला कार्यकर्ता का फैजाबाद में अपहरण कर लेने के फलस्वरूप जब अति हो गई तो अन्य कारणों के साथ-साथ इसके विरोध में भी बीएसपी ने जून 1995 में सपा से गठबंधन तोड़ना ही बेहतर समझा और अपना समर्थन वापस ले लिया. जिस कारण तब की सपा सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी. तब उस समय सन् 1995 में सपा सरकार के कार्यकलापों से सभी विरोधी पार्टियां उसी प्रकार से दुःखी व पीड़ित थीं, जिस प्रकार से आज भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों व लोकतन्त्र-विरोधी कार्योंं से आज सभी लोग काफी दुःखी व त्रस्त हैं, किन्तु कोई उचित रास्ता नहीं पाने के कारण अब आगामी विधानसभा आमचुनाव की राह बड़ी बेचैनी से देख रहे हैं.
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'बसपा सरकार आने का इंतजार'
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता ने भाजपा को भी अब पूरी तरह से आजमा कर देख लिया है, लेकिन इनके दुःख-दर्द का निवारण होने के बजाय भाजपा सरकार की संकीर्ण सोच, गलत नीतियों व द्वेषपूर्ण कार्यकलापों आदि के कारण इनकी दिन-प्रतिदिन की तकलीफें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. यहां यूपी में केवल बीएसपी की ही ऐसी सरकार व उसका ऐसा अति-उत्तम शासनकाल रहा है जिसमें जनहित व जनकल्याण को पहली प्राथमिकता देते हुए लोकतांत्रिक नियमों व मान-मर्यादाओं का भी पूरा-पूरा ध्यान रखकर यहां छोटा हो या बड़ा कोई भी चुनाव हो पूरी तरह से स्वतंत्र व निष्पक्ष ढंग से कराये गये हैं।उन्होंने कहा कि अब चुनाव के समय में लुभावने वादों, धार्मिक भावनाओं व शिलान्यास आदि के बहकावे में नहीं आना है अर्थात अपने परिवार, समाज व प्रदेश के व्यापक हित में ही सही फैसला लेना है.