लखनऊ: योगी कैबिनेट ने मंगलवार को बड़ा फैसला लेते हुए नए मदरसों को ग्रांट इन एड यानी अनुदान नहीं देने का निर्णय लिया है. कैबिनेट बैठक में रखे गए इस प्रस्ताव पर सरकार ने मुहर लगा दी है. पहले से सरकारी अनुदानित मदरसों को ग्रांट मिलती रहेगी लेकिन अब नए मदरसों को इस सूची में शामिल नहीं किया जाएगा. इस फैसले के बाद से यूपी के मदरसे एक बार फिर से सुर्खियों में है. वहीं, दारूल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सूफियान निजामी ने सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है.
अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ मंत्री विभाग ने अरबी-फारसी मदरसों में से वर्ष 2003 तक के आलिया (10वीं) स्तर के स्थायी मान्यता प्राप्त मदरसों को अनुदान सूची पर लिए जाने संबंधी नीति को समाप्त किए जाने का प्रस्ताव कैबिनेट ने अनुमोदित कर लिया. दरअसल, समाजवादी सरकार में इस सूची में शामिल 146 में से 100 मदरसों को शामिल कर लिया गया था. उनका अनुदान भी शुरू कर दिया गया. बाकी 46 मदरसों का प्रकरण अभी लंबित था. जानकारी के मुताबिक ये मदरसे मानक ही पूरा नहीं कर रहे थे. लेकिन अब इस नीति को ही समाप्त कर दिया गया है. ऐसे में नए किसी भी मदरसे को अनुदान की सूची में शामिल नहीं किया जाएगा.
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मामले पर मौलाना सूफियान निजामी का कहना है कि कोई भी ऐसा कदम जो मदरसों को मेन स्ट्रीम से जोड़ने वाला हो या फिर मदरसों को तरक्की की ओर ले जाने के साथ मदरसों में पढ़ रहे बच्चों को आम सहूलियत देने वाला हो, इसपर किसी को भी कोई ऐतराज नहीं है. मौलाना सूफियान निजामी ने कहा कि जो मदरसे फर्जी हैं, उन्हें बंद कर दिया गया है. जो मदरसे गलत तरीके से अनुदान ले रहे हैं, उनकी भी निशानदेही होनी चाहिए लेकिन कैबिनेट के किसी भी नए मदरसे को अनुदान न दिए जाने वाले फैसले पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए.
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