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शरई तरीकों, दुनियावी रस्मों और रिवाजों से हट कर मस्जिदों में हो रहे निकाह, जानिए क्यों बदल रहीं रवायतें

मुस्लिम समाज कई प्राचीन और परंपरागत रवायतों से निकल कर मस्जिदों में निकाह की नई धारा में शामिल हो रहा है. इस्माम के जानकारों का कहना है कि यह परंपरा नई नहीं है. शरई तरीकों, दुनियावी रस्मों और रिवाजों से हट कर मस्जिदों में निकाल की रवायत पहले भी थी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 25, 2023, 8:03 PM IST

लखनऊ : निकाह इस्लाम का सबसे बड़ी सुन्नत माना गया है. निकाह जितनी सादगी से हो उतना अफजल माना गया है. इसमें समाज में रहने के सही तरीकों के साथ इस्लाम के तौर तरीके भी शामिल है. इन दिनों लोगों ने शरई तरीके पर रुझान बढ़ा है. जिसमें शादी की कई दुनियावी रस्मों और रिवाजों को हटाकर सादगी से निकाह करने के लिए भी प्रेरित किया है. जिसकी वजह से सुन्नी मस्जिदों में निकाह की संख्या बढ़ी है. अकेले राजधानी की बात की जाए तो वर्ष 2023 सात सौ ज्यादा निकाह मस्जिदों में पढ़ाए गए हैं जो पहले की तुलना में करीब 40 फीसदी बढ़ी है.

मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली.
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली.

इस्लामिक सेंटर और उनसे जुड़ी मस्जिदों में ही करीब 250 निकाह मस्जिदों में हुए हैं. इसके अलावा इदारा ए शर‌इया फिरंगी महल और उनसे जुड़ी मस्जिदों में करीब 170 निकाह और शहर की अन्य मस्जिदों में 90 से ज्यादा निकाह हुए हैं.

सादगी से निकाह करने का संदेश देते मौलाना.
सादगी से निकाह करने का संदेश देते मौलाना.
मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली.
मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली.

शादियों में फिजूलखर्ची से बचें : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी मुस्लिम समाज द्वारा निकाह में फिजूलखर्ची पर रोक लगाने और दहेज प्रथा बंद करने के लिए संकल्प पत्र जारी कर चुका है. इस संकल्प पत्र में मुस्लिम समाज में चल रही कई चीजों पर रोक या कंट्रोल करने की बात कही गई है. बोर्ड ने कहा है कि बड़े जलसा घरों में निकाह करने की बजाय मस्जिदों में निकाह कर के खर्चे कम किए जाएं. इकरारनामे में सिर्फ बाहर से आने वाले मेहमानों व घरवालों के लिए ही दावत का इंतजाम किए जाने का संकल्प लेने को कहा गया है.

यह भी पढ़ें : राजस्थानः शिक्षकों ने पेश की आपसी सौहार्द की मिसाल, विद्यालय कर्मचारियों ने निभाई इशरत बानो के निकाह के बाद की रस्में

कोरोना वायरस का प्रकोप, फोन पर ही अदा हुईं निकाह की सारी रस्में

लखनऊ : निकाह इस्लाम का सबसे बड़ी सुन्नत माना गया है. निकाह जितनी सादगी से हो उतना अफजल माना गया है. इसमें समाज में रहने के सही तरीकों के साथ इस्लाम के तौर तरीके भी शामिल है. इन दिनों लोगों ने शरई तरीके पर रुझान बढ़ा है. जिसमें शादी की कई दुनियावी रस्मों और रिवाजों को हटाकर सादगी से निकाह करने के लिए भी प्रेरित किया है. जिसकी वजह से सुन्नी मस्जिदों में निकाह की संख्या बढ़ी है. अकेले राजधानी की बात की जाए तो वर्ष 2023 सात सौ ज्यादा निकाह मस्जिदों में पढ़ाए गए हैं जो पहले की तुलना में करीब 40 फीसदी बढ़ी है.

मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली.
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली.

इस्लामिक सेंटर और उनसे जुड़ी मस्जिदों में ही करीब 250 निकाह मस्जिदों में हुए हैं. इसके अलावा इदारा ए शर‌इया फिरंगी महल और उनसे जुड़ी मस्जिदों में करीब 170 निकाह और शहर की अन्य मस्जिदों में 90 से ज्यादा निकाह हुए हैं.

सादगी से निकाह करने का संदेश देते मौलाना.
सादगी से निकाह करने का संदेश देते मौलाना.
मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली.
मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली.

शादियों में फिजूलखर्ची से बचें : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी मुस्लिम समाज द्वारा निकाह में फिजूलखर्ची पर रोक लगाने और दहेज प्रथा बंद करने के लिए संकल्प पत्र जारी कर चुका है. इस संकल्प पत्र में मुस्लिम समाज में चल रही कई चीजों पर रोक या कंट्रोल करने की बात कही गई है. बोर्ड ने कहा है कि बड़े जलसा घरों में निकाह करने की बजाय मस्जिदों में निकाह कर के खर्चे कम किए जाएं. इकरारनामे में सिर्फ बाहर से आने वाले मेहमानों व घरवालों के लिए ही दावत का इंतजाम किए जाने का संकल्प लेने को कहा गया है.

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