लखनऊ : निकाह इस्लाम का सबसे बड़ी सुन्नत माना गया है. निकाह जितनी सादगी से हो उतना अफजल माना गया है. इसमें समाज में रहने के सही तरीकों के साथ इस्लाम के तौर तरीके भी शामिल है. इन दिनों लोगों ने शरई तरीके पर रुझान बढ़ा है. जिसमें शादी की कई दुनियावी रस्मों और रिवाजों को हटाकर सादगी से निकाह करने के लिए भी प्रेरित किया है. जिसकी वजह से सुन्नी मस्जिदों में निकाह की संख्या बढ़ी है. अकेले राजधानी की बात की जाए तो वर्ष 2023 सात सौ ज्यादा निकाह मस्जिदों में पढ़ाए गए हैं जो पहले की तुलना में करीब 40 फीसदी बढ़ी है.
इस्लामिक सेंटर और उनसे जुड़ी मस्जिदों में ही करीब 250 निकाह मस्जिदों में हुए हैं. इसके अलावा इदारा ए शरइया फिरंगी महल और उनसे जुड़ी मस्जिदों में करीब 170 निकाह और शहर की अन्य मस्जिदों में 90 से ज्यादा निकाह हुए हैं.
शादियों में फिजूलखर्ची से बचें : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी मुस्लिम समाज द्वारा निकाह में फिजूलखर्ची पर रोक लगाने और दहेज प्रथा बंद करने के लिए संकल्प पत्र जारी कर चुका है. इस संकल्प पत्र में मुस्लिम समाज में चल रही कई चीजों पर रोक या कंट्रोल करने की बात कही गई है. बोर्ड ने कहा है कि बड़े जलसा घरों में निकाह करने की बजाय मस्जिदों में निकाह कर के खर्चे कम किए जाएं. इकरारनामे में सिर्फ बाहर से आने वाले मेहमानों व घरवालों के लिए ही दावत का इंतजाम किए जाने का संकल्प लेने को कहा गया है.
कोरोना वायरस का प्रकोप, फोन पर ही अदा हुईं निकाह की सारी रस्में