लखनऊ: आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर जिला प्रशासन ने तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा किया है. एक ओर जहां प्रशासन ने इस बार एक लाख से अधिक नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची दर्ज कराए हैं तो वहीं मतदान के लिए जागरुकता अभियान बड़ी सख्या में चलाया गया है. हालांकि इन सबके बीच क्षेत्र में मात्र 185 किन्नर मतदाताओं के नाम सूची में दर्ज हैं, जबकि लगभग 6,000 किन्नर मतदाता लखनऊ में निवास करते हैं.
क्या कहते हैं किन्नर मतादाता
- आगामी लोकसभा चुनाव में किन्नर मतदाताओं के मुद्दों के बारे में ईटीवी भारत की टीम ने उनसे बातचीत की.
- बातचीत में किन्नर समाज ने अपनी विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया.
- भले ही नियमों के तहत किन्नर समाज को कई अधिकार दिए गए हों, लेकिन हकीकत में इन्हें तमाम सुविधाएं नहीं मिल पाती है.
- किन्नर समाज के लोगों को अपना आधार कार्ड बनवाने में भी संघर्ष करना पड़ता है.
- राजधानी लखनऊ में 6,000 से अधिक किन्नर समाज को लोग हैं, लेकिन इसके 10% के पास भी आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र नहीं है.
- राजधानी लखनऊ में दो लोकसभा सीटें हैं. एक लखनऊ और दूसरी मोहनलालगंज लोकसभी सीट है.
- सरकारी आंकड़ों की बात करें तो लखनऊ लोकसभा सीट में 185 और मोहनलालगंज में 88 किन्नर मतदाता हैं.
- हालाांकि दोनों लोकसभा सीटों पर किन्नर मतदाताओं की संख्या हजारों में है.
- अधिकारियों से इनके नाम मतदाता सूची में जुड़वाने को लेकर किए गए प्रयासों के बारे में जानकारी ली गई.
- अधिकारियों ने बताया कि किन्नर समाज के लिए कोई अलग से व्यवस्था नहीं की गई है.
- कार्यक्रम के तहत सभी को मतदाता बनने का मौका उपलब्ध कराया गया है.
किन्नर समाज की मतदाता ने बताई अपनी व्यथा
- किन्नर पायल ने बताया कि हमारे समाज से जुड़े हुए लोगों के माता-पिता और घर का पता नहीं होता है.
- जब हम आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र बनाने के लिए प्रयास करते हैं तो हमसे माता-पिता के नाम लाने को कहा जाता है.
- माता-पिता का नाम न होने के चलते हमारा आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र नहीं बन पाता है.
- इन्हीं कारणों से हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
- कई बार शहर से बाहर जाने पर हमें होटलों में कमरे नहीं मिल पाते हैं.
- पायल ने बताया कि कुछ लोगों के आधार कार्ड पिछले दिनों बनवाए गए थे, लेकिन उसके लिए भी बड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी.
चुनाव के समय राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार हमारे यहां वोट मांगने पहुंचते हैं, लेकिन चुनाव खत्म हो जाने के बाद कोई उनकी सुध नहीं लेता है. आधारभूत सुविधाओं के लिए भी हमें भटकना पड़ता है. हमारे समाज का सिर्फ एक ही मुद्दा है कि हमें भी समाज में बराबरी का हक दिया जाए और हमारे बारे में विचार करते हुए आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं.
-पायल, किन्नर मतदाता