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लखनऊ: किन्नरों का मतदाता सूची में नहीं हैं नाम, कैसे करें मतदान

लखनऊ लोकसभा क्षेत्र में करीब 6,000 किन्नर मतदाता निवास करते हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 185 किन्नर मतदाताओं के नाम सूची में दर्ज हैं. किन्नरों का कहना है कि चुनाव के समय राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार हमारे यहां वोट मांगने पहुंचते हैं, लेकिन चुनाव खत्म हो जाने के बाद कोई उनकी सुध नहीं लेता है.

ईटीवी भारत से बातचीत करतीं किन्नर पायल
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Published : May 3, 2019, 10:49 PM IST

लखनऊ: आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर जिला प्रशासन ने तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा किया है. एक ओर जहां प्रशासन ने इस बार एक लाख से अधिक नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची दर्ज कराए हैं तो वहीं मतदान के लिए जागरुकता अभियान बड़ी सख्या में चलाया गया है. हालांकि इन सबके बीच क्षेत्र में मात्र 185 किन्नर मतदाताओं के नाम सूची में दर्ज हैं, जबकि लगभग 6,000 किन्नर मतदाता लखनऊ में निवास करते हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करतीं किन्नर पायल

क्या कहते हैं किन्नर मतादाता

  • आगामी लोकसभा चुनाव में किन्नर मतदाताओं के मुद्दों के बारे में ईटीवी भारत की टीम ने उनसे बातचीत की.
  • बातचीत में किन्नर समाज ने अपनी विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया.
  • भले ही नियमों के तहत किन्नर समाज को कई अधिकार दिए गए हों, लेकिन हकीकत में इन्हें तमाम सुविधाएं नहीं मिल पाती है.
  • किन्नर समाज के लोगों को अपना आधार कार्ड बनवाने में भी संघर्ष करना पड़ता है.
  • राजधानी लखनऊ में 6,000 से अधिक किन्नर समाज को लोग हैं, लेकिन इसके 10% के पास भी आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र नहीं है.
  • राजधानी लखनऊ में दो लोकसभा सीटें हैं. एक लखनऊ और दूसरी मोहनलालगंज लोकसभी सीट है.
  • सरकारी आंकड़ों की बात करें तो लखनऊ लोकसभा सीट में 185 और मोहनलालगंज में 88 किन्नर मतदाता हैं.
  • हालाांकि दोनों लोकसभा सीटों पर किन्नर मतदाताओं की संख्या हजारों में है.
  • अधिकारियों से इनके नाम मतदाता सूची में जुड़वाने को लेकर किए गए प्रयासों के बारे में जानकारी ली गई.
  • अधिकारियों ने बताया कि किन्नर समाज के लिए कोई अलग से व्यवस्था नहीं की गई है.
  • कार्यक्रम के तहत सभी को मतदाता बनने का मौका उपलब्ध कराया गया है.

किन्नर समाज की मतदाता ने बताई अपनी व्यथा

  • किन्नर पायल ने बताया कि हमारे समाज से जुड़े हुए लोगों के माता-पिता और घर का पता नहीं होता है.
  • जब हम आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र बनाने के लिए प्रयास करते हैं तो हमसे माता-पिता के नाम लाने को कहा जाता है.
  • माता-पिता का नाम न होने के चलते हमारा आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र नहीं बन पाता है.
  • इन्हीं कारणों से हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
  • कई बार शहर से बाहर जाने पर हमें होटलों में कमरे नहीं मिल पाते हैं.
  • पायल ने बताया कि कुछ लोगों के आधार कार्ड पिछले दिनों बनवाए गए थे, लेकिन उसके लिए भी बड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी.

चुनाव के समय राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार हमारे यहां वोट मांगने पहुंचते हैं, लेकिन चुनाव खत्म हो जाने के बाद कोई उनकी सुध नहीं लेता है. आधारभूत सुविधाओं के लिए भी हमें भटकना पड़ता है. हमारे समाज का सिर्फ एक ही मुद्दा है कि हमें भी समाज में बराबरी का हक दिया जाए और हमारे बारे में विचार करते हुए आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं.

-पायल, किन्नर मतदाता

लखनऊ: आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर जिला प्रशासन ने तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा किया है. एक ओर जहां प्रशासन ने इस बार एक लाख से अधिक नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची दर्ज कराए हैं तो वहीं मतदान के लिए जागरुकता अभियान बड़ी सख्या में चलाया गया है. हालांकि इन सबके बीच क्षेत्र में मात्र 185 किन्नर मतदाताओं के नाम सूची में दर्ज हैं, जबकि लगभग 6,000 किन्नर मतदाता लखनऊ में निवास करते हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करतीं किन्नर पायल

क्या कहते हैं किन्नर मतादाता

  • आगामी लोकसभा चुनाव में किन्नर मतदाताओं के मुद्दों के बारे में ईटीवी भारत की टीम ने उनसे बातचीत की.
  • बातचीत में किन्नर समाज ने अपनी विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया.
  • भले ही नियमों के तहत किन्नर समाज को कई अधिकार दिए गए हों, लेकिन हकीकत में इन्हें तमाम सुविधाएं नहीं मिल पाती है.
  • किन्नर समाज के लोगों को अपना आधार कार्ड बनवाने में भी संघर्ष करना पड़ता है.
  • राजधानी लखनऊ में 6,000 से अधिक किन्नर समाज को लोग हैं, लेकिन इसके 10% के पास भी आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र नहीं है.
  • राजधानी लखनऊ में दो लोकसभा सीटें हैं. एक लखनऊ और दूसरी मोहनलालगंज लोकसभी सीट है.
  • सरकारी आंकड़ों की बात करें तो लखनऊ लोकसभा सीट में 185 और मोहनलालगंज में 88 किन्नर मतदाता हैं.
  • हालाांकि दोनों लोकसभा सीटों पर किन्नर मतदाताओं की संख्या हजारों में है.
  • अधिकारियों से इनके नाम मतदाता सूची में जुड़वाने को लेकर किए गए प्रयासों के बारे में जानकारी ली गई.
  • अधिकारियों ने बताया कि किन्नर समाज के लिए कोई अलग से व्यवस्था नहीं की गई है.
  • कार्यक्रम के तहत सभी को मतदाता बनने का मौका उपलब्ध कराया गया है.

किन्नर समाज की मतदाता ने बताई अपनी व्यथा

  • किन्नर पायल ने बताया कि हमारे समाज से जुड़े हुए लोगों के माता-पिता और घर का पता नहीं होता है.
  • जब हम आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र बनाने के लिए प्रयास करते हैं तो हमसे माता-पिता के नाम लाने को कहा जाता है.
  • माता-पिता का नाम न होने के चलते हमारा आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र नहीं बन पाता है.
  • इन्हीं कारणों से हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
  • कई बार शहर से बाहर जाने पर हमें होटलों में कमरे नहीं मिल पाते हैं.
  • पायल ने बताया कि कुछ लोगों के आधार कार्ड पिछले दिनों बनवाए गए थे, लेकिन उसके लिए भी बड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी.

चुनाव के समय राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार हमारे यहां वोट मांगने पहुंचते हैं, लेकिन चुनाव खत्म हो जाने के बाद कोई उनकी सुध नहीं लेता है. आधारभूत सुविधाओं के लिए भी हमें भटकना पड़ता है. हमारे समाज का सिर्फ एक ही मुद्दा है कि हमें भी समाज में बराबरी का हक दिया जाए और हमारे बारे में विचार करते हुए आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं.

-पायल, किन्नर मतदाता

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लखनऊ। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर जिला प्रशासन ने तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावे किए हैं जहां एक और जिला प्रशासन ने इस बार एक लाख से अधिक नए
मतदाताओं को मतदाता सूची मैं दर्ज कराया है वहीं मतदाताओं को मतदान के लिए जागरूक करने के लिए बड़ी संख्या में अभियान चलाया गया। इस सब के बीच मतदाताओं का एक ऐसा वर्ग भी है जिस पर जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया है। हम बात कर रहे हैं अपने ही समाज के एक ऐसे वर्ग की जिसको थर्ड जेंडर के नाम से बुलाया जाता है। लखनऊ लोक सभा सेट में मात्र 185 मतदाता इस समाज से हैं जिनका नाम मतदाता सूची में दर्ज है।जबकि लगभग 6000 थर्ड जेंडर लखनऊ में निवास करते हैं।





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चुनाव से पहले जब थर्ड जेंडर मतदाताओं से आगामी लोकसभा चुनाव में उनके मुद्दों के बारे में जानकारी लेने के लिए ईटीवी भारत की टीम उनसे बातचीत करने पहुंची तो व्यवस्था का एक ऐसा नजारा सामने आया जिससे साबित होता है कि थर्ड जेंडर से हमारे समाज ने ही नही दूरिया बना बना रखीं हैं। हमारी व्यवस्था भी उन से परहेज करती है।

भले ही नियमों और कानूनों के तहत थर्ड जेंडर को तमाम अधिकार दिए गए हो लेकिन वास्तविक जीवन में इन्हें तमाम सुविधाएं नहीं मिल पाती है। आलम यह है कि थर्ड जेंडर के व्यक्ति को अपना आधार कार्ड बनवाने में भी संघर्ष करना पड़ता है राजधानी लखनऊ में 6000 से अधिक थर्ड जेंडर हैं लेकिन 10% के पास भी आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र नहीं है।

थर्ड जेंडर समाज से जुड़ी पायल ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारे समाज से जुड़े हुए लोगों के माता-पिता कांपता नहीं होते हैं ऐसे में जब हम आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र बनाने के लिए प्रयास करते हैं तो हम तो सवाल किया जाता है कि पहले आप माता-पिता का नाम लेकर आइए। ऐसे में माता पिता का नाम न होने के चलते हमारे आधार कार्ड में मतदाता पहचान पत्र नहीं बन पाते हैं। जिससे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है कई बार शहर से बाहर जाने पर हमें होटलों में कमरे नहीं मिल पाते वही पर्याप्त दस्तावेज ना होने के चलते हम हवाई जहाज में भी सफल नहीं कर पाते हैं जरूरतमंदों को सरकारी सुविधाएं भी नहीं मिल पाती हैं। इस दौरान पायल ने बताया कि कुछ लोगों के आधार कार्ड पिछले दिनों बनवाए गए हैं लेकिन उसके लिए भी पड़ी मशक्कत करनी पड़ी है।

पायल ने बताया कि राजनीतिक पार्टियां व उम्मीदवार उनके यहां वोट मांगने तो पहुंचते हैं लेकिन चुनाव खत्म हो जाने के बाद कोई उनकी सुध नहीं लेता। आधारभूत सुविधाओं के लिए भी उन्हें भटकना पड़ता है ऐसे में इनके समाज का सिर्फ एक ही मुद्दा है कि उन्हें भी समाज में बराबरी का हक दिया जाए और उनकी बारे में विचार करते हुए आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए। पायल के साथ मौजूद अन्य थर्ड जेंडर समाज के लोगों ने बताया कि मतदाता सूची में नाम व मतदाता पहचान पत्र ना होने के चलते वह मतदान करने नहीं जा पाते हैं।


Conclusion:राजधानी लखनऊ में दो लोकसभा सीटें हैं एक लखनऊ दूसरी मोहनलालगंज सरकारी आंकड़ों की बात करें तो लखनऊ लोकसभा सीट मैं 185 व मोहनलालगंज लोकसभा सीट में 88 थर्ड जेंडर मतदाता है जबकि दोनों लोकसभा सीट थर्ड जेंडर की संख्या हजारों में है ऐसे में जब अधिकारियों से इनके नाम मतदाता सूची में जुड़वाने को लेकर किए गए प्रयासों के बारे में जानकारी की गई तो उन्होंने बताया कि थर्ड जेंडर के लिए कोई अलग से व्यवस्था नहीं की गई कार्यक्रम के तहत सभी को मतदाता बनने का मौका उपलब्ध कराया गया है।
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