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आखिर क्यों यूपी माध्यमिक शिक्षा विभाग गंवा रहा है तेज तर्रार अफसरों को ? - UP Secondary Education Department

यूपी में माध्यमिक शिक्षा विभाग के कुछ तेजतर्रार अफसर अपने विभागों को छोड़ कर जा रहे हैं. जानिए आखिर क्यों इस विभाग को लेकर अपनों में ही बढ़ रही है बेरुखी.

यूपी माध्यमिक शिक्षा विभाग.
यूपी माध्यमिक शिक्षा विभाग.
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Published : Jul 5, 2022, 12:36 PM IST

Updated : Jul 5, 2022, 1:39 PM IST

लखनऊ: जिला विद्यालय निरीक्षक बरेली डॉ. मुकेश कुमार सिंह, DIOS अलीगढ़ धर्मेन्द्र शर्मा, अपर सचिव माध्यमिक सुधीर कुमार यह शिक्षा विभाग के वह नगीने हैं, जिनकी गिनती काबिल और तेजतर्रार अफसरों में की जाती है. इन्होंने माध्यमिक शिक्षा विभाग में अपने कार्यकाल के दौरान बड़े-बड़े बदलाव किए हैं.

डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने लखनऊ में रहते हुए शिक्षा माफिया की कमर तोड़ दी तो धर्मेंद्र शर्मा ने बतौर डीआईओएस अलीगढ़ अतरौलिया बोर्ड और उसका संचालन करने वाले शिक्षा माफियाओं को खत्म कर दिया. गौरतलब है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के इतने काबिल अफसर भी अब इस विभाग में नहीं रहना चाहते हैं. बड़ा सवाल है कि क्यों ईमानदार और तेजतर्रार अफसर माध्यमिक शिक्षा विभाग को छोड़ रहे हैं.

दरअसल, माध्यमिक शिक्षा विभाग की तरफ से 30 जून को तबादले की सूची जारी की गई थी. इसमें विभाग के 6 बड़े अफसरों को बेसिक शिक्षा विभाग में जाने की सहमति दे दी गई.

डीआईओएस बरेली मुकेश कुमार सिंह: वर्तमान में बेसिक शिक्षा विभाग में एडी बेसिक लखनऊ मंडल की जिम्मेदारी दी गई है. लखनऊ में रहते हुए अब तक के सबसे बड़े फर्जी नियुक्ति घोटाले का खुलासा किया. लखनऊ से नकल माफिया खत्म कर व्यवस्था को पटरी पर लेकर आए.

सुधीर कुमार: अपर सचिव माध्यमिक के पद पर तैनात रहे सुधीर कुमार को बेसिक में वरिष्ठ विशेषज्ञ समग्र शिक्षा के पद पर तैनात किया गया है. कहा जाता है कि बतौर रामपुर में भी ऐसे पद पर रहने के दौरान एक बड़े नेता ने इन पर अनुचित कार्य के लिए दबाव बनाया. सुधीर कुमार ने वह जिला छोड़ दिया, लेकिन नियम विरुद्ध कार्य करने के लिए तैयार नहीं हुए.

धर्मेन्द्र शर्मा: जिला विद्यालय निरीक्षक अलीगढ़ के पद तैनात रहे धर्मेन्द्र शर्मा को गौतमबुद्ध नगर डॉयट का प्राचार्य बनाया गया है. धर्मेंद्र शर्मा अलीगढ़ में अपनी तैनाती के दौरान नकल माफिया का गढ़ कहे जाने वाले अतरौलिया को सुधारने के लिए जाने जाते हैं.

राजेश वर्मा: जिला विद्यालय निरीक्षक बाराबंकी के पद पर तैनात रहे राजेश वर्मा को मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक कानपुर बनाया गया है. इनकी ईमानदार और तेजतर्रार अधिकारी की छवि रही है.

जितेन्द्र कुमार मलिक: मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक आगरा के पद पर तैनात रहे जितेन्द्र कुमार मलिक को हापुड़ का डॉयट प्राचार्य बनाया गया है. विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों में से है. अपनी तेजतर्रार छवि के लिए पूरे विभाग में चर्चित रहे हैं.

माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में सहायक शिक्षा निदेशक के पद पर तैनात रहे राजकुमार को सहायक शिक्षा निदेशक, साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा एवं सचिव बेसिक शिक्षा परिषद का भी कार्य देखेंगे. इस पद पर सचिव प्रताप सिंह बघेल अपनी सेवाएं दे रहे थे.

कार्य पद्धति पर उठ रहे सवाल
अपनों की इस बेरुखी से माध्यमिक शिक्षा विभाग और उसकी कार्यपद्धती सवालों के घेरे में है. नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में माध्यमिक शिक्षा विभाग की कार्य पद्धति पूरी तरह से पटरी से उतरी हुई है. लखनऊ में तस्वीर तब भी थोड़ी बहुत ठीक है लेकिन, जिलों में स्थिति बेहद खराब है. संसाधनों की हालत यह है कि कई जिलों में तो जिला विद्यालय निरीक्षक को विभाग की तरफ से वाहन तक उपलब्ध नहीं कराए गए. जहां वाहन है वहां तेल का पैसा तक उपलब्ध नहीं है. इन हालातों में शासन स्तर पर बैठे हुए अधिकारियों की तरफ से बिना किसी व्यवस्था और कार्ययोजना के फील्ड में काम करने के लिए दबाव बनाया जाता है. इतना ही नहीं बड़े-बड़े कार्यक्रम के लिए संसाधन जुटाने की जिम्मेदारी जिला स्तर के अधिकारियों पर डाल दी जाती है.

इसे भी पढे़ं- डॉ. मुकेश कुमार सिंह की लखनऊ में वापसी, नियुक्ति फर्जीवाड़े का किया था खुलासा

लखनऊ: जिला विद्यालय निरीक्षक बरेली डॉ. मुकेश कुमार सिंह, DIOS अलीगढ़ धर्मेन्द्र शर्मा, अपर सचिव माध्यमिक सुधीर कुमार यह शिक्षा विभाग के वह नगीने हैं, जिनकी गिनती काबिल और तेजतर्रार अफसरों में की जाती है. इन्होंने माध्यमिक शिक्षा विभाग में अपने कार्यकाल के दौरान बड़े-बड़े बदलाव किए हैं.

डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने लखनऊ में रहते हुए शिक्षा माफिया की कमर तोड़ दी तो धर्मेंद्र शर्मा ने बतौर डीआईओएस अलीगढ़ अतरौलिया बोर्ड और उसका संचालन करने वाले शिक्षा माफियाओं को खत्म कर दिया. गौरतलब है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के इतने काबिल अफसर भी अब इस विभाग में नहीं रहना चाहते हैं. बड़ा सवाल है कि क्यों ईमानदार और तेजतर्रार अफसर माध्यमिक शिक्षा विभाग को छोड़ रहे हैं.

दरअसल, माध्यमिक शिक्षा विभाग की तरफ से 30 जून को तबादले की सूची जारी की गई थी. इसमें विभाग के 6 बड़े अफसरों को बेसिक शिक्षा विभाग में जाने की सहमति दे दी गई.

डीआईओएस बरेली मुकेश कुमार सिंह: वर्तमान में बेसिक शिक्षा विभाग में एडी बेसिक लखनऊ मंडल की जिम्मेदारी दी गई है. लखनऊ में रहते हुए अब तक के सबसे बड़े फर्जी नियुक्ति घोटाले का खुलासा किया. लखनऊ से नकल माफिया खत्म कर व्यवस्था को पटरी पर लेकर आए.

सुधीर कुमार: अपर सचिव माध्यमिक के पद पर तैनात रहे सुधीर कुमार को बेसिक में वरिष्ठ विशेषज्ञ समग्र शिक्षा के पद पर तैनात किया गया है. कहा जाता है कि बतौर रामपुर में भी ऐसे पद पर रहने के दौरान एक बड़े नेता ने इन पर अनुचित कार्य के लिए दबाव बनाया. सुधीर कुमार ने वह जिला छोड़ दिया, लेकिन नियम विरुद्ध कार्य करने के लिए तैयार नहीं हुए.

धर्मेन्द्र शर्मा: जिला विद्यालय निरीक्षक अलीगढ़ के पद तैनात रहे धर्मेन्द्र शर्मा को गौतमबुद्ध नगर डॉयट का प्राचार्य बनाया गया है. धर्मेंद्र शर्मा अलीगढ़ में अपनी तैनाती के दौरान नकल माफिया का गढ़ कहे जाने वाले अतरौलिया को सुधारने के लिए जाने जाते हैं.

राजेश वर्मा: जिला विद्यालय निरीक्षक बाराबंकी के पद पर तैनात रहे राजेश वर्मा को मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक कानपुर बनाया गया है. इनकी ईमानदार और तेजतर्रार अधिकारी की छवि रही है.

जितेन्द्र कुमार मलिक: मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक आगरा के पद पर तैनात रहे जितेन्द्र कुमार मलिक को हापुड़ का डॉयट प्राचार्य बनाया गया है. विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों में से है. अपनी तेजतर्रार छवि के लिए पूरे विभाग में चर्चित रहे हैं.

माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में सहायक शिक्षा निदेशक के पद पर तैनात रहे राजकुमार को सहायक शिक्षा निदेशक, साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा एवं सचिव बेसिक शिक्षा परिषद का भी कार्य देखेंगे. इस पद पर सचिव प्रताप सिंह बघेल अपनी सेवाएं दे रहे थे.

कार्य पद्धति पर उठ रहे सवाल
अपनों की इस बेरुखी से माध्यमिक शिक्षा विभाग और उसकी कार्यपद्धती सवालों के घेरे में है. नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में माध्यमिक शिक्षा विभाग की कार्य पद्धति पूरी तरह से पटरी से उतरी हुई है. लखनऊ में तस्वीर तब भी थोड़ी बहुत ठीक है लेकिन, जिलों में स्थिति बेहद खराब है. संसाधनों की हालत यह है कि कई जिलों में तो जिला विद्यालय निरीक्षक को विभाग की तरफ से वाहन तक उपलब्ध नहीं कराए गए. जहां वाहन है वहां तेल का पैसा तक उपलब्ध नहीं है. इन हालातों में शासन स्तर पर बैठे हुए अधिकारियों की तरफ से बिना किसी व्यवस्था और कार्ययोजना के फील्ड में काम करने के लिए दबाव बनाया जाता है. इतना ही नहीं बड़े-बड़े कार्यक्रम के लिए संसाधन जुटाने की जिम्मेदारी जिला स्तर के अधिकारियों पर डाल दी जाती है.

इसे भी पढे़ं- डॉ. मुकेश कुमार सिंह की लखनऊ में वापसी, नियुक्ति फर्जीवाड़े का किया था खुलासा

Last Updated : Jul 5, 2022, 1:39 PM IST
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