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लखनऊ: 2022 में सपा के लिए कितना मुफीद साबित होंगे दलबदलू नेता

2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए लगातार समाजवादी पार्टी में दूसरे दलों से बड़ी संख्या में नेता शामिल हो रहे हैं. समाजवादी पार्टी में शामिल हो रहे इन नेताओं से समाजवादी पार्टी को फायदा मिलेगा इन नेताओं को फायदा मिलेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा. पर जहां इन नेताओं को अपनी चुनावी नैया पार होने का भरोसा है वहीं समाजवादी पार्टी को भी इन दलबदलू नेताओं के भरोसे चुनावी नैया पार होने का भरोसा दिख रहा है.

सपा के लिए कितना मुफीद साबित होंगे दलबदलू नेता
सपा के लिए कितना मुफीद साबित होंगे दलबदलू नेता
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Published : Apr 6, 2021, 8:58 AM IST

लखनऊ: 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगी समाजवादी पार्टी में लगातार बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक दल के बड़ी संख्या में पूर्व विधायक पूर्व सांसद व पूर्व मंत्रियों के शामिल होने का सिलसिला जारी है. ऐसे में जहां यह नेता 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की साइकिल के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगाने की जुगत में लगे हुए हैं. वहीं इन दलबदलू नेताओं से समाजवादी पार्टी को भी बड़ी उम्मीदें हैं.

सपा में शामिल हो रहे अन्य पार्टियों के नेता.
समाजवादी पार्टी में लगातार दूसरे दलों से शामिल होने वाले नेताओं का कारवां लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में जहां दूसरे दलों से आने वाले नेता 2022 के विधानसभा चुनाव से बड़ी उम्मीदें पाल रखे हैं. वहीं समाजवादी पार्टी भी शामिल होने वाले इन नेताओं के सहारे मजबूती से विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कह रही हैं.
इन बड़े नेताओं ने ली समाजवादी पार्टी की सदस्यता
विगत 6 माह में समाजवादी पार्टी में शामिल बड़े नेताओं की बात की जाए तो उनमें प्रमुख रूप से बसपा के संस्थापक सदस्यों में गिने जाने वाले आर के चौधरी, आजमगढ़ के पूर्व सांसद बलिहारी बाबू, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य व पूर्व मंत्री रहे सुल्तानपुर के जय नारायण तिवारी और बसपा सरकार में मंत्री रहे अवधेश वर्मा, पूर्व मंत्री विद्या चौधरी प्रमुख है.
माया के करीबी रहे हैं बलिहारी और आर के चौधरी
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के करीबियों में गिने जाने वाले पूर्व राज्यसभा सांसद बिहारी बाबू और आर के चौधरी बसपा के संस्थापक सदस्यों में से थे. समय के साथ इन नेताओं ने बसपा से दामन छुड़ाना ही बेहतर समझा और यही कारण है कि जहां आजमगढ़ के रहने वाले बलिहारी बाबू बहुजन समाजवादी पार्टी से नाराज होने के बाद 2014 के लोकसभा में कांग्रेस के टिकट पर आजमगढ़ के लालगंज लोकसभा से चुनाव लड़े थे उन्होंने फिर से समाजवादी पार्टी का दामन थामना ही बेहतर समझा. आर के चौधरी पहली बार कौशांबी जनपद की मंझनपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे.उन्होंने बसपा में काफी लंबी पारी भी खेली. इसके बाद वे 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से समझौता कर लखनऊ से सटी मोहनलालगंज की लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़े. 2009 के बाद आर के चौधरी दोबारा बसपा में शामिल हुए और कुछ ही दिनों बाद फिर उन्होंने कांग्रेस की तरफ 2019 के लोकसभा चुनाव में दोस्ती का हाथ बढ़ाया. इसके बाद अब हाल ही में आर के चौधरी ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है.

आर के चौधरी ने बीएस-4 नाम से अपनी पार्टी का भी गठन किया था. जिसके बाद आर के चौधरी जिस भी दल में जाते हैं, इनकी पार्टी के कुछ लोग भी उनके साथ जाते हैं. कुछ ऐसा ही हाल जय नारायण तिवारी का भी है जिन्हें कांग्रेस में एआईसीसी सदस्य बनाया गया और बाद में वे कांग्रेस से हाथ जोड़कर बसपा में शामिल हुए. इसके कुछ दिन बाद वे पुनः कांग्रेस में शामिल हो गए. अब हाल ही में उन्होंने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है. अब देखना यह है कि इन दलबदलू नेताओं के लिए समाजवादी पार्टी कितना संजीवनी साबित होगी. जिससे इन नेताओं की चुनावी नैया पार हो सके.

इसे भी पढ़ें- निषाद समाज का नहीं होने देंगे अहित, सत्ता में आए तो रखेंगे पूरा ध्यान: अखिलेश यादव



क्या कहते हैं सपा प्रवक्ता
समाजवादी पार्टी में लगातार दूसरे दलों से आ रहे पदाधिकारियों के सवाल पर समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अनुराग भदौरिया का कहना है कि प्रदेश की जनता को पता चल चुका है कि समाजवादी पार्टी ही प्रदेश का विकास करती है. यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग समाजवादी पार्टी में शामिल हो रहे हैं. चुनाव के समय भाजपा के लोग भी समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे क्योंकि भाजपा के लोगों को भी पता है कि विकास का काम सिर्फ समाजवादी पार्टी ही करती हैं.

लखनऊ: 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगी समाजवादी पार्टी में लगातार बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक दल के बड़ी संख्या में पूर्व विधायक पूर्व सांसद व पूर्व मंत्रियों के शामिल होने का सिलसिला जारी है. ऐसे में जहां यह नेता 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की साइकिल के सहारे अपनी चुनावी नैया पार लगाने की जुगत में लगे हुए हैं. वहीं इन दलबदलू नेताओं से समाजवादी पार्टी को भी बड़ी उम्मीदें हैं.

सपा में शामिल हो रहे अन्य पार्टियों के नेता.
समाजवादी पार्टी में लगातार दूसरे दलों से शामिल होने वाले नेताओं का कारवां लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में जहां दूसरे दलों से आने वाले नेता 2022 के विधानसभा चुनाव से बड़ी उम्मीदें पाल रखे हैं. वहीं समाजवादी पार्टी भी शामिल होने वाले इन नेताओं के सहारे मजबूती से विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कह रही हैं.
इन बड़े नेताओं ने ली समाजवादी पार्टी की सदस्यता
विगत 6 माह में समाजवादी पार्टी में शामिल बड़े नेताओं की बात की जाए तो उनमें प्रमुख रूप से बसपा के संस्थापक सदस्यों में गिने जाने वाले आर के चौधरी, आजमगढ़ के पूर्व सांसद बलिहारी बाबू, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य व पूर्व मंत्री रहे सुल्तानपुर के जय नारायण तिवारी और बसपा सरकार में मंत्री रहे अवधेश वर्मा, पूर्व मंत्री विद्या चौधरी प्रमुख है.
माया के करीबी रहे हैं बलिहारी और आर के चौधरी
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के करीबियों में गिने जाने वाले पूर्व राज्यसभा सांसद बिहारी बाबू और आर के चौधरी बसपा के संस्थापक सदस्यों में से थे. समय के साथ इन नेताओं ने बसपा से दामन छुड़ाना ही बेहतर समझा और यही कारण है कि जहां आजमगढ़ के रहने वाले बलिहारी बाबू बहुजन समाजवादी पार्टी से नाराज होने के बाद 2014 के लोकसभा में कांग्रेस के टिकट पर आजमगढ़ के लालगंज लोकसभा से चुनाव लड़े थे उन्होंने फिर से समाजवादी पार्टी का दामन थामना ही बेहतर समझा. आर के चौधरी पहली बार कौशांबी जनपद की मंझनपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे.उन्होंने बसपा में काफी लंबी पारी भी खेली. इसके बाद वे 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से समझौता कर लखनऊ से सटी मोहनलालगंज की लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़े. 2009 के बाद आर के चौधरी दोबारा बसपा में शामिल हुए और कुछ ही दिनों बाद फिर उन्होंने कांग्रेस की तरफ 2019 के लोकसभा चुनाव में दोस्ती का हाथ बढ़ाया. इसके बाद अब हाल ही में आर के चौधरी ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है.

आर के चौधरी ने बीएस-4 नाम से अपनी पार्टी का भी गठन किया था. जिसके बाद आर के चौधरी जिस भी दल में जाते हैं, इनकी पार्टी के कुछ लोग भी उनके साथ जाते हैं. कुछ ऐसा ही हाल जय नारायण तिवारी का भी है जिन्हें कांग्रेस में एआईसीसी सदस्य बनाया गया और बाद में वे कांग्रेस से हाथ जोड़कर बसपा में शामिल हुए. इसके कुछ दिन बाद वे पुनः कांग्रेस में शामिल हो गए. अब हाल ही में उन्होंने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की है. अब देखना यह है कि इन दलबदलू नेताओं के लिए समाजवादी पार्टी कितना संजीवनी साबित होगी. जिससे इन नेताओं की चुनावी नैया पार हो सके.

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क्या कहते हैं सपा प्रवक्ता
समाजवादी पार्टी में लगातार दूसरे दलों से आ रहे पदाधिकारियों के सवाल पर समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अनुराग भदौरिया का कहना है कि प्रदेश की जनता को पता चल चुका है कि समाजवादी पार्टी ही प्रदेश का विकास करती है. यही कारण है कि बड़ी संख्या में लोग समाजवादी पार्टी में शामिल हो रहे हैं. चुनाव के समय भाजपा के लोग भी समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे क्योंकि भाजपा के लोगों को भी पता है कि विकास का काम सिर्फ समाजवादी पार्टी ही करती हैं.

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