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जर्जर भवन में भविष्य गढ़ रहीं बेटियां, कुंभकर्णी नींद में जिम्मेदार - Made the library a classroom

राजधानी लखनऊ के मलिहाबाद का एक मात्र बालिका इंटर कॉलेज बदहाली पर आंसू बहा रहा है. कॉलेज की छत कई जगह से टूट चुकी है और दीवारों का प्लास्टर गिर रहा है, लेकिन जिम्मेदार कुंभकर्णी नींद सो रहे हैं.

malihabad girls inter college
मलिहाबाद बालिका विद्यालय.
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Published : Jan 27, 2021, 5:37 PM IST

लखनऊः एक ओर बालिकाओं की शिक्षा को लेकर प्रदेश और केंद्र सरकार हर संभव प्रयास कर रही है, वहीं मलिहाबाद का एक मात्र बालिका इंटर कॉलेज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. कॉलेज के जर्जर भवन में होनहार बेटियां अपना भविष्य गढ़ने को मजबूर हैं. कॉलेज के भवन की छत कई जगह से टूट चुकी है, दीवारों का प्लास्टर गिर रहा है, जिससे बेटियों पर हर समय खतरा मंडराता रहता है. प्रधानाचार्य का कक्ष और लैब की छत कई जगह से टूटी और चिटकी हुई है. इसको लेकर कई बार जिम्मेदारों से गुहार लगाई गई लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला.

मलिहाबाद बालिका विद्यालय.

छात्रा इरमा ने 2015 में बुलंद की थी जर्जर भवन की आवाज
मलिहाबाद के सैयद बाडा निवासी छात्रा इरमा फातिमा बालिका इंटर कॉलेज झंड़ातला मलिहाबाद में कक्षा 11 की छात्रा है. वर्ष 1940 में निर्मित कॉलेज के जर्जर भवन मरम्मत करने के लिए फातिमा ने 2015 से आवाज बुलंद करने की शुरुआत की थी. सबसे पहले एसडीएम से शिकायत की थी, लेकिन समय बीतने के साथ आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. इशके बावजूद इरमा के इरादे कमजोर नहीं हुए और वह जर्जर भवन के पुनः निर्माण के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा से उनके आवास पर मिली. इरमा ने डीएम से कॉलेज के जर्जर भवन पर ध्यानाकर्षण करने के लिए निवेदन किया किया.

सरकारी फाइलों में अटक कर रह गया बजट
आखिरकार इरमा की मेहनत रंग लाई और 2019 में कॉलेज के पुनः निर्माण के लिए 4 करोड़ 55 लाख का बजट मंजूर हुआ. इरमा के अनुसार जर्जर भवन में पढ़ने वाली छात्राओं को आए दिन बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. जिसकी वजह से कॉलेज के निर्माण करवाने के लिए मुहिम शुरू की. इस लड़ाई में उसके साथ पढ़ने वाली और छात्राओं के साथ ही पिता सैयद खलील अहमद पूरी मदद की. शासन तक अपनी बात को पहुंचाया लेकिन पास हुआ बजट सराकरी फाइलों में अटक गया. अब तक कई सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट चुके हैं लेकिन कोई नतीजा नही निकला.

स्कूल छत का प्लास्टर टूटकर है गिरता
इरमा बताती हैं कि जब पढ़ने के लिए बैठते हैं तो ऊपर से प्लास्टर टूट कर गिरता है. इसकी शिकायत मलिहाबाद उपजिलाधिकारी और लखनऊ के जिलाधिकारी से की थी. उन लोगो ने आश्वशन तो दिया मगर आज तक कुछ कार्य नहीं हुआ. स्कूल में टीन शेड चंदे को पैसों से पड़ी है, जो धूप में बहुत तपती है. कम्प्यूटर हमारे खराब पड़े हुए हैं. अब कंप्यूटर कक्ष में टीचर्स बैठती है और लंच करती हैं.

लाइब्रेरी को बना दिया क्लासरूम
स्कूल की लाइब्रेरी अब कोई बालिका नहीं जाती है क्यों कि यहां अब फर्स्ट ईयर की क्लासेस चलती है. पीछे आठवीं और नौवीं की क्लासेज चलती हैं, जहां पीछे से कभी भी साप बिछु आ जाते हैं.

दो बार बना एस्टीमेट लेकिन कागजों तक ही सीमित
समाजसेवी खलील अहमद ने बताया कि जर्जर स्कूल की मरम्मत को लेकर साशन से प्रशासन तक गुहार लगाई जा चुकी है. जिसके चलते पूर्व जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा और पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष राम निवास यादव की मदद से कॉलेज के लिए दो बार एस्टीमेट तो बना मगर पैसा रिलीज नहीं हुआ. उपजिलाधिकारी मलिहाबाद अजय कुमार राय ने बताया कि बालिका विद्यालय के नए भवन के लिए शासन स्तर पर कार्यवाही अंतिम दौर में है. एस्टीमेट तैयार हो चुका है, जल्द ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.

लखनऊः एक ओर बालिकाओं की शिक्षा को लेकर प्रदेश और केंद्र सरकार हर संभव प्रयास कर रही है, वहीं मलिहाबाद का एक मात्र बालिका इंटर कॉलेज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. कॉलेज के जर्जर भवन में होनहार बेटियां अपना भविष्य गढ़ने को मजबूर हैं. कॉलेज के भवन की छत कई जगह से टूट चुकी है, दीवारों का प्लास्टर गिर रहा है, जिससे बेटियों पर हर समय खतरा मंडराता रहता है. प्रधानाचार्य का कक्ष और लैब की छत कई जगह से टूटी और चिटकी हुई है. इसको लेकर कई बार जिम्मेदारों से गुहार लगाई गई लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला.

मलिहाबाद बालिका विद्यालय.

छात्रा इरमा ने 2015 में बुलंद की थी जर्जर भवन की आवाज
मलिहाबाद के सैयद बाडा निवासी छात्रा इरमा फातिमा बालिका इंटर कॉलेज झंड़ातला मलिहाबाद में कक्षा 11 की छात्रा है. वर्ष 1940 में निर्मित कॉलेज के जर्जर भवन मरम्मत करने के लिए फातिमा ने 2015 से आवाज बुलंद करने की शुरुआत की थी. सबसे पहले एसडीएम से शिकायत की थी, लेकिन समय बीतने के साथ आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. इशके बावजूद इरमा के इरादे कमजोर नहीं हुए और वह जर्जर भवन के पुनः निर्माण के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा से उनके आवास पर मिली. इरमा ने डीएम से कॉलेज के जर्जर भवन पर ध्यानाकर्षण करने के लिए निवेदन किया किया.

सरकारी फाइलों में अटक कर रह गया बजट
आखिरकार इरमा की मेहनत रंग लाई और 2019 में कॉलेज के पुनः निर्माण के लिए 4 करोड़ 55 लाख का बजट मंजूर हुआ. इरमा के अनुसार जर्जर भवन में पढ़ने वाली छात्राओं को आए दिन बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. जिसकी वजह से कॉलेज के निर्माण करवाने के लिए मुहिम शुरू की. इस लड़ाई में उसके साथ पढ़ने वाली और छात्राओं के साथ ही पिता सैयद खलील अहमद पूरी मदद की. शासन तक अपनी बात को पहुंचाया लेकिन पास हुआ बजट सराकरी फाइलों में अटक गया. अब तक कई सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट चुके हैं लेकिन कोई नतीजा नही निकला.

स्कूल छत का प्लास्टर टूटकर है गिरता
इरमा बताती हैं कि जब पढ़ने के लिए बैठते हैं तो ऊपर से प्लास्टर टूट कर गिरता है. इसकी शिकायत मलिहाबाद उपजिलाधिकारी और लखनऊ के जिलाधिकारी से की थी. उन लोगो ने आश्वशन तो दिया मगर आज तक कुछ कार्य नहीं हुआ. स्कूल में टीन शेड चंदे को पैसों से पड़ी है, जो धूप में बहुत तपती है. कम्प्यूटर हमारे खराब पड़े हुए हैं. अब कंप्यूटर कक्ष में टीचर्स बैठती है और लंच करती हैं.

लाइब्रेरी को बना दिया क्लासरूम
स्कूल की लाइब्रेरी अब कोई बालिका नहीं जाती है क्यों कि यहां अब फर्स्ट ईयर की क्लासेस चलती है. पीछे आठवीं और नौवीं की क्लासेज चलती हैं, जहां पीछे से कभी भी साप बिछु आ जाते हैं.

दो बार बना एस्टीमेट लेकिन कागजों तक ही सीमित
समाजसेवी खलील अहमद ने बताया कि जर्जर स्कूल की मरम्मत को लेकर साशन से प्रशासन तक गुहार लगाई जा चुकी है. जिसके चलते पूर्व जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा और पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष राम निवास यादव की मदद से कॉलेज के लिए दो बार एस्टीमेट तो बना मगर पैसा रिलीज नहीं हुआ. उपजिलाधिकारी मलिहाबाद अजय कुमार राय ने बताया कि बालिका विद्यालय के नए भवन के लिए शासन स्तर पर कार्यवाही अंतिम दौर में है. एस्टीमेट तैयार हो चुका है, जल्द ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.

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