लखनऊ: हाईकोर्ट (Nainital High Court) ने आज विधायक महेंद्र भाटी हत्याकांड (mahendra bhati murder case) में अहम फैसला सुनाया. नैनीताल हाईकोर्ट ने भाटी हत्याकांड मामले में आरोपी अंतिम और चौथे अभियुक्त परनीत भाटी की अपील पर फैसला सुनाया. सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त करते हुए परनीत भाटी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिलने की बात कहते हुए उसे रिहा करने के आदेश दिए हैं.
गौरतलब है कि नैनीताल हाईकोर्ट ने साल 1992 में गाजियाबाद के दादरी विधायक महेंद्र भाटी की हत्या में सीबीआई कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए गये परनीत भाटी की अपील पर फैसला सुनाते हुए बरी कर दिया है. सीबीआई अदालत द्वारा परनीत भाटी को आजीवन कारावास की सजा दिए जाने के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिस पर कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.
मामले को सुनने के बाद कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त करते परनीत भाटी के खिलाफ कोई ठोस सुबूत नहीं मिलने की बात कही. हाईकोर्ट ने परनीत भाटी को रिहा करने के आदेश दिए हैं. खंडपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि ट्रायल के दौरान सीबीआई इनके खिलाफ पर्याप्त सुबूत जुटाने में असमर्थ रही. जो भी सुबूत जुटाए गए थे उनमें भी विरोधाभास रहा है. खंडपीठ ने परनीत भाटी को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर रिहा करने के आदेश दिए हैं. वहीं खण्डपीठ ने इनकी सजा को बढ़ाये जाने को लेकर दायर नीतीश भाटी की याचिका को भी निरस्त कर दिया है. जबकि मुख्य आरोपी डीपी यादव, लक्कड़ पाल व करन यादव पहले ही इस केस से दोषमुक्त हो चुके हैं.
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1992 में हुई थी महेंद्र भाटी की हत्या: बता दें कि 13 सितम्बर 1992 को गाजियाबाद के विधायक महेंद्र भाटी की हत्या हुई थी. डीपी यादव, परनीत भाटी, करन यादव व पाल सिंह उर्फ लक्कड़ पाला इस मामले में आरोपी बनाए गए थे. 15 फरवरी 2015 को देहरादून की सीबीआई कोर्ट ने चारों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनवाई थी. इस आदेश को चारों अभियुक्तों द्वारा हाईकोर्ट में अलग-अलग अपील दायर कर चुनौती दी गयी थी. इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट तीन आरोपियों को पहले ही दोषमुक्त कर चुका है, जबकि चौथे आरोपी को आज दोषमुक्त कर रिहा करने के निर्देश दिए हैं.
ये है पूरा मामलाः 13 सितंबर 1992 को गाजियाबाद के दादरी रेलवे क्रॉसिंग पर तत्कालीन विधायक महेंद्र भाटी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. दरअसल, 13 सितंबर, 1992 को गाजियाबाद में तत्कालीन विधायक भाटी अपने समर्थकों के साथ बंद रेलवे फाटक के खुलने का इंतजार कर रहे थे. इस दौरान एक वाहन में सवार हथियारबंद बदमाशों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. इसमें भाटी व उनके साथी उदय प्रकाश की मौत हो गई थी. कुछ लोग घायल हुए थे.
जांच के दौरान इस हत्याकांड में यूपी के बाहुबली नेता व पूर्व सांसद डीपी यादव, परनीत भाटी, करन यादव व पाला उर्फ लक्कड़ पाल के नाम सामने आए थे. पुलिस ने हत्या के दौरान इस्तेमाल की गई गाड़ी भी बरामद की थी. 15 फरवरी, 2015 को देहरादून की सीबीआई कोर्ट ने चारों को आजीवन कारावास की सजा सुनवाई थी. इस आदेश को चारों अभियुक्तों ने फिर हाईकोर्ट में चुनौती दी.
तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से विधायक महेंद्र भाटी की हत्या के मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को ट्रांसफर किया गया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस केस को साल 2000 में सीबीआई को सौंप दिया था. सुप्रीम कोर्ट को आशंका थी कि डीपी यादव यूपी का बाहुबली और बड़ा नेता है, ऐसे में यूपी में उसके खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हो पाएगी. केस को उत्तराखंड ट्रांसफर किया गया.