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लखनऊ से था महात्मा गांधी का खास जुड़ाव, फरंगी महल में आज भी है गांधी का कमरा

महात्मा गांधी की जयंती यानि 2 अक्टूबर के मौके पर ईटीवी भारत लखनऊ से महात्मा गांधी के गहरे नाते के बारे में बताने जा रहा है. महात्मा गांधी से लखनऊ का जुड़ाव 1921 में उस समय शुरू हुआ, जब मोहम्मद अली जौहर ने लखनऊ में मौलाना अब्दुल बारी फरंगी महली को एक टेलीग्राम लिखकर यह बताया कि महात्मा गांधी लखनऊ आ रहे हैं.

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Published : Oct 2, 2020, 2:34 AM IST

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फरंगी महल से गांधी जी का रिश्ता

लखनऊः 2 अक्टूबर के दिन पूरा देश महात्मा गांधी की जयंती मना रहा है. इस खास मौके पर ईटीवी भारत की टीम ने लखनऊ से महात्मा गांधी के गहरे नाते से जुड़ी यादों को ताजा करने की कोशिश की. महात्मा गांधी से लखनऊ का जुड़ाव 1921 में उस समय शुरू हुआ जब मोहम्मद अली जौहर ने मौलाना अब्दुल बारी फरंगी महली को एक टेलीग्राम लिखकर यह बताया कि महात्मा गांधी लखनऊ आ रहे हैं. इसके बाद महात्मा गांधी जब भी लखनऊ पहुंचे तो उन्होंने मौलाना अब्दुल बारी फरंगी महली के घर को ही अपना ठिकाना बनाया.

फरंगी महल से गांधी जी का रिश्ता.

आज मौलाना अब्दुल बारी की चौथी पीढ़ी इस मकान में रहती है जो महात्मा गांधी के उस कमरे को दिखाकर भावुक हो जाती है, जिसमें महात्मा गांधी रहा करते थे. अब्दुल बारी के पर नवासे फैजान अली घर की देखरेख करते हैं. फरंगी महल का यह घर भले ही जर्जर हो गया हो, लेकिन उन्होंने आज भी गांधीजी के इस कमरे को संभाल कर रखा है. मौलाना अब्दुल बारी के वंशज फैजान अली के मुताबिक आज भी उनके पास गांधी जी द्वारा भेजे गए मूल टेलीग्राम मौजूद हैं.

फैजान बताते हैं कि हमने उन टेलीग्राम को बहुत कायदे से संभाल कर रखा है. फैजान ने बताया कि गांधी जी लगभग तीन बार फरंगी महल में रुके हैं. फैजान अली ने वह कमरा भी दिखाया जहां पर गांधी जी रुका करते थे. एक छोटे से कमरे में जहां धन्नी की छत पड़ी थी, वहां गांधी जी की यादों को उनके परिवार ने आज भी सजा कर रखा है. फैजान बताते हैं कि उनके नाना उन्हें बताते थे कि गांधी जी जब भी यहां आते थे, उनके साथ हमेशा एक बकरी होती थी. बकरी को कमरे के बाहर लगे एक पेड़ से बांधकर रखा जाता था.

उन्होंने बताया कि गांधी जी के लिए हमारे पर नाना मौलाना बारी एक खास रसोइया का भी इंतजाम करते थे जो गांधी जी के लिए शुद्ध शाकाहारी खाना बनाया करता था. गांधी जी हमेशा बकरी का ही दूध पीते थे.

हालांकि इमारत अब बहुत जर्जर हो चुकी है लेकिन फिर भी जैसे-तैसे परिवार वाले गांधी जी की इस अमानत को संभाल कर रखे हैं. फैजान गांधी जी के बारे में बताते हुए यादों में खो जाते हैं. वह कहते हैं कि उनके नाना उन लोगों को यह समझाते थे कि किस तरह लखनऊ में आजादी की लड़ाई के दौरान फरंगी महल ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने जब आजादी की लड़ाई के लिए अब्दुल बारी फरंगी महली को कहा था तो उन्होंने मुसलमानों से इस लड़ाई में मदद के लिए जकात के पैसे को देने की बात कही थी. जिसके बाद उन पैसों से आजादी की लड़ाई लड़ी गई. फैजान ने बताया कि सिर्फ गांधी जी ही नहीं जवाहरलाल नेहरू समेत तमाम नेता यहां फरंगी महल में आते रहे हैं. मकान पुराना होने के बावजूद फैजान और उनका परिवार आज भी गांधी जी की यादों को संजोए तंग गलियों में रहता है.

लखनऊः 2 अक्टूबर के दिन पूरा देश महात्मा गांधी की जयंती मना रहा है. इस खास मौके पर ईटीवी भारत की टीम ने लखनऊ से महात्मा गांधी के गहरे नाते से जुड़ी यादों को ताजा करने की कोशिश की. महात्मा गांधी से लखनऊ का जुड़ाव 1921 में उस समय शुरू हुआ जब मोहम्मद अली जौहर ने मौलाना अब्दुल बारी फरंगी महली को एक टेलीग्राम लिखकर यह बताया कि महात्मा गांधी लखनऊ आ रहे हैं. इसके बाद महात्मा गांधी जब भी लखनऊ पहुंचे तो उन्होंने मौलाना अब्दुल बारी फरंगी महली के घर को ही अपना ठिकाना बनाया.

फरंगी महल से गांधी जी का रिश्ता.

आज मौलाना अब्दुल बारी की चौथी पीढ़ी इस मकान में रहती है जो महात्मा गांधी के उस कमरे को दिखाकर भावुक हो जाती है, जिसमें महात्मा गांधी रहा करते थे. अब्दुल बारी के पर नवासे फैजान अली घर की देखरेख करते हैं. फरंगी महल का यह घर भले ही जर्जर हो गया हो, लेकिन उन्होंने आज भी गांधीजी के इस कमरे को संभाल कर रखा है. मौलाना अब्दुल बारी के वंशज फैजान अली के मुताबिक आज भी उनके पास गांधी जी द्वारा भेजे गए मूल टेलीग्राम मौजूद हैं.

फैजान बताते हैं कि हमने उन टेलीग्राम को बहुत कायदे से संभाल कर रखा है. फैजान ने बताया कि गांधी जी लगभग तीन बार फरंगी महल में रुके हैं. फैजान अली ने वह कमरा भी दिखाया जहां पर गांधी जी रुका करते थे. एक छोटे से कमरे में जहां धन्नी की छत पड़ी थी, वहां गांधी जी की यादों को उनके परिवार ने आज भी सजा कर रखा है. फैजान बताते हैं कि उनके नाना उन्हें बताते थे कि गांधी जी जब भी यहां आते थे, उनके साथ हमेशा एक बकरी होती थी. बकरी को कमरे के बाहर लगे एक पेड़ से बांधकर रखा जाता था.

उन्होंने बताया कि गांधी जी के लिए हमारे पर नाना मौलाना बारी एक खास रसोइया का भी इंतजाम करते थे जो गांधी जी के लिए शुद्ध शाकाहारी खाना बनाया करता था. गांधी जी हमेशा बकरी का ही दूध पीते थे.

हालांकि इमारत अब बहुत जर्जर हो चुकी है लेकिन फिर भी जैसे-तैसे परिवार वाले गांधी जी की इस अमानत को संभाल कर रखे हैं. फैजान गांधी जी के बारे में बताते हुए यादों में खो जाते हैं. वह कहते हैं कि उनके नाना उन लोगों को यह समझाते थे कि किस तरह लखनऊ में आजादी की लड़ाई के दौरान फरंगी महल ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने जब आजादी की लड़ाई के लिए अब्दुल बारी फरंगी महली को कहा था तो उन्होंने मुसलमानों से इस लड़ाई में मदद के लिए जकात के पैसे को देने की बात कही थी. जिसके बाद उन पैसों से आजादी की लड़ाई लड़ी गई. फैजान ने बताया कि सिर्फ गांधी जी ही नहीं जवाहरलाल नेहरू समेत तमाम नेता यहां फरंगी महल में आते रहे हैं. मकान पुराना होने के बावजूद फैजान और उनका परिवार आज भी गांधी जी की यादों को संजोए तंग गलियों में रहता है.

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