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शिवरात्रि पर एक साथ करें भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन

राजधानी लखनऊ के सदर इलाके में स्थित मंदिर का प्रधान शिवाला करीब 170 साल पुराना है. इस मंदिर में भगवान शिव के अलग-अलग 12 ज्योतिर्लिंग हैं. इस शिवरात्रि आप इन सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन आसानी से कर सकते हैं.

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द्वादश ज्योतिर्लिंग.
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Published : Feb 20, 2020, 11:59 AM IST

लखनऊ: भगवान शिव का जहां वास हो उसे ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से सभी पाप कट जाते हैं. भारत में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जो देश के कोने-कोने में स्थित हैं. अगर आप हर जगह जाकर इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं तो राजधानी लखनऊ में इन सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन आसानी से हो जाएंगे. शिवरात्रि के मौके पर ईटीवी भारत आपको इनके दर्शन कराएगा.

द्वादश ज्योतिर्लिंग.

170 साल पुराना है मंदिर

सदर इलाके में स्थित मंदिर का प्रधान शिवाला करीब 170 साल पुराना है. जैसे ही आप मंदिर में प्रवेश करेंगे वैसे ही आपको प्रधान शिवाला दिखाई देगा. यहीं पर सभी देवी-देवताओं के भी दर्शन होंगे.

पहली मंजिल पर 12 ज्योतिर्लिंग

प्रधान शिवाला के ऊपर पहली मंजिल पर 12 ज्योतिर्लिंग के भव्य दर्शन होंगे. इसकी सबसे खास बात यह है कि बारहों ज्योतिर्लिंगों के गर्भ गृह और शिखर का स्वरूप उसके मूल रूप में है. मतलब जैसे दर्शन आपको काशी विश्वनाथ या त्रंबकेश्वर में होते हैं, ठीक वही स्वरूप और वास्तु के दर्शन इस मंदिर में होंगे.

जलपात्र लाने की जरूरत नहीं

इस ज्योतिर्लिंग मंदिर की सबसे खास बात यह है कि सभी शिवलिंग पर बकायदा फव्वारे लगाए गए हैं, इससे एक फायदा यह होता है कि आपको यहां जल पात्र लाने की जरूरत नहीं पड़ती. फव्वारे से ही जल चढ़ाया जा सकता है.

ऐसे हुई मंदिर की स्थापना

द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर के मुख्य संयोजक राजेश अग्रवाल बताते हैं कि यहां का प्रधान शिवाला करीब 170 साल पुराना है. उन्होंने संकल्प किया था कि यहां पर द्वादश ज्योतिर्लिंग स्थापित हो. 12 फरवरी 2014 को उनका यह संकल्प पूरा हुआ. इसकी खास बात यह है कि इस ज्योतिर्लिंग में सभी मंदिरों के जल शामिल किये गए हैं.

पूजा-अर्चना के साथ ही यहां जल संरक्षण के सामाजिक सरोकार का भी पूरा ध्यान रखा गया है. ज्योतिर्लिंग और प्रधान शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल बेकार नहीं जाता. मंदिर के अंदर ही वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गई है कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल दोबारा धरती के गर्भ में संरक्षित हो जाता है.

लखनऊ: भगवान शिव का जहां वास हो उसे ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से सभी पाप कट जाते हैं. भारत में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जो देश के कोने-कोने में स्थित हैं. अगर आप हर जगह जाकर इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं तो राजधानी लखनऊ में इन सभी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन आसानी से हो जाएंगे. शिवरात्रि के मौके पर ईटीवी भारत आपको इनके दर्शन कराएगा.

द्वादश ज्योतिर्लिंग.

170 साल पुराना है मंदिर

सदर इलाके में स्थित मंदिर का प्रधान शिवाला करीब 170 साल पुराना है. जैसे ही आप मंदिर में प्रवेश करेंगे वैसे ही आपको प्रधान शिवाला दिखाई देगा. यहीं पर सभी देवी-देवताओं के भी दर्शन होंगे.

पहली मंजिल पर 12 ज्योतिर्लिंग

प्रधान शिवाला के ऊपर पहली मंजिल पर 12 ज्योतिर्लिंग के भव्य दर्शन होंगे. इसकी सबसे खास बात यह है कि बारहों ज्योतिर्लिंगों के गर्भ गृह और शिखर का स्वरूप उसके मूल रूप में है. मतलब जैसे दर्शन आपको काशी विश्वनाथ या त्रंबकेश्वर में होते हैं, ठीक वही स्वरूप और वास्तु के दर्शन इस मंदिर में होंगे.

जलपात्र लाने की जरूरत नहीं

इस ज्योतिर्लिंग मंदिर की सबसे खास बात यह है कि सभी शिवलिंग पर बकायदा फव्वारे लगाए गए हैं, इससे एक फायदा यह होता है कि आपको यहां जल पात्र लाने की जरूरत नहीं पड़ती. फव्वारे से ही जल चढ़ाया जा सकता है.

ऐसे हुई मंदिर की स्थापना

द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर के मुख्य संयोजक राजेश अग्रवाल बताते हैं कि यहां का प्रधान शिवाला करीब 170 साल पुराना है. उन्होंने संकल्प किया था कि यहां पर द्वादश ज्योतिर्लिंग स्थापित हो. 12 फरवरी 2014 को उनका यह संकल्प पूरा हुआ. इसकी खास बात यह है कि इस ज्योतिर्लिंग में सभी मंदिरों के जल शामिल किये गए हैं.

पूजा-अर्चना के साथ ही यहां जल संरक्षण के सामाजिक सरोकार का भी पूरा ध्यान रखा गया है. ज्योतिर्लिंग और प्रधान शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल बेकार नहीं जाता. मंदिर के अंदर ही वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गई है कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल दोबारा धरती के गर्भ में संरक्षित हो जाता है.

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