लखनऊ : मध्य प्रदेश के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पार्टी के अलिखित नियम को किनारे रखकर 75 साल से अधिक उम्र के नेताओं को टिकट दिया है. इसके बाद आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के बुजुर्ग नेताओं को भाजपा का टिकट मिल सकेगा, यह रास्ते खुल गए हैं. कानपुर से सत्यदेव पचौरी, मथुरा से हेमा मालिनी, प्रयागराज से रीता बहुगुणा जोशी और ऐसे ही कई अन्य बुजुर्ग नेता जो इस बार टिकट काटने की आशंका लगाए बैठे थे उनके लिए रास्ता खुल गया है. भारतीय जनता पार्टी के मध्य प्रदेश में 75 के ऊपर नेताओं पर दांव खेलने के बाद अब यह सांसद लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी बात खुलकर रख सकेंगे और पार्टी के पास उनके बुजुर्ग होने का बहाना नहीं होगा.
भारतीय जनता पार्टी लंबे समय से यह दावा करती रही है कि 75 साल से अधिक उम्र के नेताओं को वह प्रमुख जिम्मेदारी नहीं देगी उनका विधायक का टिकट और लोकसभा में संसदीय का टिकट नहीं दिया जाएगा. इसके अलावा मंत्री पद से भी ऐसे बुजुर्ग नेता वंचित रहेंगे, जिसको लेकर अनेक नेताओं को पदों से वंचित किया भी जा चुका है और मार्गदर्शन मंडल में शामिल हो चुके लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भी इसी उदाहरण के तहत पार्टी में साइड लाइन किए गए थे. बहरहाल अब मध्य प्रदेश चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी फंस चुकी है और उसे किसी भी हाल में जीत हासिल करनी है. ऐसे में अनेक नेताओं को टिकट दिया जा रहा है जिनकी उम्र 75 साल से अधिक है. भारतीय जनता पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने हाल ही में जितने भी विधायक को के पद पर टिकट घोषित किए हैं उनमें कम से कम आधा दर्जन नाम ऐसे हैं जिनकी उम्र 75 वर्ष से अधिक हो चुकी है. पार्टी ने इन नेताओं को जीत का प्रबल दावेदार मानते हुए टिकट दे दिया है. ऐसे में नियम टूट चुका है और अन्य राज्यों के बुजुर्ग नेताओं के लिए रास्ते खुल गए हैं.
सत्यदेव पचौरी-कानपुर : सत्यदेव पचौरी पहले 2017 के चुनाव में विधायक बने थे. 2019 के चुनाव में उनका लोकसभा से चुनाव लड़ाया गया जहां उन्होंने जोरदार जीत दर्ज की. सत्यदेव पचौरी की उम्र अधिक है और भारतीय जनता पार्टी के मजबूत नेता विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना उनके प्रतिद्वंदी हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि सतीश महाना अपने प्रभाव का इस्तेमाल कराकर 75 साल से अधिक उम्र होने का तर्क प्रस्तुत कर सत्यदेव पचौरी का टिकट कटवाना चाहते हैं. ऐसे में पचौरी की सीट भी उम्र के इस पचड़े में फंस सकती है.
वीरेंद्र सिंह मस्त -बलिया : बलिया लोकसभा सीट से सांसद वीरेंद्र सिंह 2014 में भदोही लोकसभा सीट से जीते थे. 2019 में सीट बदलकर उनको बलिया भेजा गया, मगर न भदोही की जनता उनसे खुश थी न आज बलिया की जनता उनसे प्रसन्न है. ऐसे में पार्टी 75 साल का दांव खेल कर उनको लोकसभा चुनाव से वंचित करने की इच्छुक है. इसलिए इस बार वीरेंद्र सिंह को टिकट मिलेगा या नहीं इस पर बड़ा सवाल है.
लल्लू सिंह-फैजाबाद : लल्लू सिंह भारतीय जनता पार्टी के अयोध्या में पुराने नेता हैं. राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे हैं. 2012 में भाजपा से विधायक थे, मगर 2017 में समाजवादी पार्टी की लहर के आगे भी टिक नहीं सके और युवा नेता पवन पांडे से पराजित हो गए थे. 2014 में उनका लोकसभा चुनाव लड़ाया गया और उसके बाद 2019 में भी उन्होंने चुनाव लड़ा. दोनों बार शानदार जीत दर्ज की अब उम्र 75 पर हो चुकी है. ऐसे में अयोध्या से नया उम्मीदवार लड़ाए जाने की तैयारी पार्टी कर रही है.
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