लखनऊ: फसलों में लगने वाले कीड़ों पर नियंत्रण के लिए किसानों को हर साल हजारों रुपये कीटनाशकों पर खर्च करने पड़ रहे हैं. कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से फसलों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है. ऐसे में कृषि विज्ञानिकों ने 500 रुपये की लागत में ऐसा तरीका निकाला है, जिससे कीटनाशगकों के प्रकोप से पूरी तरह बचा जा सकेगा और पेस्टिसाइड के इस्तेमाल की जरूरत भी नहीं होगी.
500 रुपये की लागत से तैयार देशी मशीन
सब्जियों और फलों में कीटनाशकों के इस्तेमाल से कैंसर समेत अन्य बीमारियों के होने का खतरा है. इसी के मद्देनजर सुलतानपुर के जिला कृषि अधिकारी विनय वर्मा ने महज 500 रुपये की लागत से ऐसी मशीन बनाई है, जो फसलों को कीटनाशकों के प्रकोप से बचाएगी और पेस्टिसाइड के इस्तेमाल की जरूरत भी नहीं होगी. इससे किसानों की फसल उत्पादन में लागत घटने के साथ ही कृषि उत्पाद भी स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह सुरक्षित होंगे.
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कीटों से फसलों को हो रहा नुकसान
विनय वर्मा ने बताया कि फसलों में दो तरह के कीट अक्सर दिखाई देते हैं. लगभग 70 फीसदी कीट ऐसे हैं, जो रोशनी को देखकर आकर्षित होते हैं और सूरज ढलने के बाद शाम को लगभग दो घंटे के दौरान सक्रिय रहकर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. इन कीटों को नियंत्रित करने के लिए खेत में रोशनी का प्रबंध किया जाना आवश्यक होता है.
कैसे होता है प्रयोग
इसके लिए हमने सौर ऊर्जा चालित एलईडी बल्ब का प्रयोग किया है. इसे एक डिब्बे में लगाया गया है. डिब्बे के निचले हिस्से में पानी भर दिया जाता है, जिसमें नीम का तेल या मिट्टी का तेल डाल दिया जाता है. डिब्बे की दीवारों को आमने-सामने से खुला रखा जाता है, जिससे रोशनी देखकर कीट अंदर प्रवेश करें और पानी में गिर कर खत्म हो जाएं.
दूसरे तरह के कीट रोशनी के बजाय मादा कीट की गंध से आकर्षित होते हैं. ऐसे कीट पर नियंत्रण के लिए मादा कीट के गंध वाली बत्ती बाजार में मिलती है, इसे सोलर लाइट वाली डिवाइस में फिट कर दिया जाता है. ऐसे में दूसरे कीट भी आकर डिब्बे में रखे पानी में गिर कर मर जाते हैं. इस तरह की डिवाइस को तैयार करने में अधिकतम 500 रुपये का खर्च आता है.
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