ETV Bharat / state

कीटनाशकों के प्रयोग से मिलेगा छुटकारा, महज 500 रुपये में कीटों का होगा इलाज

author img

By

Published : Feb 6, 2020, 5:15 AM IST

Updated : Feb 10, 2020, 11:40 AM IST

फसलों को कीटों से बचाने के लिए किसानों को हजारों रुपये खर्च करने पड़ते थे, लेकिन सुलतानपुर कृषि वैज्ञानिक ने महज 500 रुपये लागत में ऐसी डिवाइस तैयार की है, जिससे फसलों को कीटों से छुटकारा मिलेगा.

etv bharat
कीटनाशकों के प्रयोग से मिल सकता है छुटकारा

लखनऊ: फसलों में लगने वाले कीड़ों पर नियंत्रण के लिए किसानों को हर साल हजारों रुपये कीटनाशकों पर खर्च करने पड़ रहे हैं. कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से फसलों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है. ऐसे में कृषि विज्ञानिकों ने 500 रुपये की लागत में ऐसा तरीका निकाला है, जिससे कीटनाशगकों के प्रकोप से पूरी तरह बचा जा सकेगा और पेस्टिसाइड के इस्तेमाल की जरूरत भी नहीं होगी.

कीटनाशकों के प्रयोग से मिल सकता है छुटकारा.

500 रुपये की लागत से तैयार देशी मशीन
सब्जियों और फलों में कीटनाशकों के इस्तेमाल से कैंसर समेत अन्य बीमारियों के होने का खतरा है. इसी के मद्देनजर सुलतानपुर के जिला कृषि अधिकारी विनय वर्मा ने महज 500 रुपये की लागत से ऐसी मशीन बनाई है, जो फसलों को कीटनाशकों के प्रकोप से बचाएगी और पेस्टिसाइड के इस्तेमाल की जरूरत भी नहीं होगी. इससे किसानों की फसल उत्पादन में लागत घटने के साथ ही कृषि उत्पाद भी स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह सुरक्षित होंगे.

इसे भी पढ़ें:- यूपी में स्वाइन फ्लू को लेकर अलर्ट, लखनऊ में मिला एक और मरीज

कीटों से फसलों को हो रहा नुकसान
विनय वर्मा ने बताया कि फसलों में दो तरह के कीट अक्सर दिखाई देते हैं. लगभग 70 फीसदी कीट ऐसे हैं, जो रोशनी को देखकर आकर्षित होते हैं और सूरज ढलने के बाद शाम को लगभग दो घंटे के दौरान सक्रिय रहकर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. इन कीटों को नियंत्रित करने के लिए खेत में रोशनी का प्रबंध किया जाना आवश्यक होता है.

कैसे होता है प्रयोग
इसके लिए हमने सौर ऊर्जा चालित एलईडी बल्ब का प्रयोग किया है. इसे एक डिब्बे में लगाया गया है. डिब्बे के निचले हिस्से में पानी भर दिया जाता है, जिसमें नीम का तेल या मिट्टी का तेल डाल दिया जाता है. डिब्बे की दीवारों को आमने-सामने से खुला रखा जाता है, जिससे रोशनी देखकर कीट अंदर प्रवेश करें और पानी में गिर कर खत्म हो जाएं.

दूसरे तरह के कीट रोशनी के बजाय मादा कीट की गंध से आकर्षित होते हैं. ऐसे कीट पर नियंत्रण के लिए मादा कीट के गंध वाली बत्ती बाजार में मिलती है, इसे सोलर लाइट वाली डिवाइस में फिट कर दिया जाता है. ऐसे में दूसरे कीट भी आकर डिब्बे में रखे पानी में गिर कर मर जाते हैं. इस तरह की डिवाइस को तैयार करने में अधिकतम 500 रुपये का खर्च आता है.

इसे भी पढ़ें:- Defence Expo: मार्कोस कमांडो का साहसिक लाइव डेमो, फतह किया 'मिशन'

लखनऊ: फसलों में लगने वाले कीड़ों पर नियंत्रण के लिए किसानों को हर साल हजारों रुपये कीटनाशकों पर खर्च करने पड़ रहे हैं. कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से फसलों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है. ऐसे में कृषि विज्ञानिकों ने 500 रुपये की लागत में ऐसा तरीका निकाला है, जिससे कीटनाशगकों के प्रकोप से पूरी तरह बचा जा सकेगा और पेस्टिसाइड के इस्तेमाल की जरूरत भी नहीं होगी.

कीटनाशकों के प्रयोग से मिल सकता है छुटकारा.

500 रुपये की लागत से तैयार देशी मशीन
सब्जियों और फलों में कीटनाशकों के इस्तेमाल से कैंसर समेत अन्य बीमारियों के होने का खतरा है. इसी के मद्देनजर सुलतानपुर के जिला कृषि अधिकारी विनय वर्मा ने महज 500 रुपये की लागत से ऐसी मशीन बनाई है, जो फसलों को कीटनाशकों के प्रकोप से बचाएगी और पेस्टिसाइड के इस्तेमाल की जरूरत भी नहीं होगी. इससे किसानों की फसल उत्पादन में लागत घटने के साथ ही कृषि उत्पाद भी स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह सुरक्षित होंगे.

इसे भी पढ़ें:- यूपी में स्वाइन फ्लू को लेकर अलर्ट, लखनऊ में मिला एक और मरीज

कीटों से फसलों को हो रहा नुकसान
विनय वर्मा ने बताया कि फसलों में दो तरह के कीट अक्सर दिखाई देते हैं. लगभग 70 फीसदी कीट ऐसे हैं, जो रोशनी को देखकर आकर्षित होते हैं और सूरज ढलने के बाद शाम को लगभग दो घंटे के दौरान सक्रिय रहकर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. इन कीटों को नियंत्रित करने के लिए खेत में रोशनी का प्रबंध किया जाना आवश्यक होता है.

कैसे होता है प्रयोग
इसके लिए हमने सौर ऊर्जा चालित एलईडी बल्ब का प्रयोग किया है. इसे एक डिब्बे में लगाया गया है. डिब्बे के निचले हिस्से में पानी भर दिया जाता है, जिसमें नीम का तेल या मिट्टी का तेल डाल दिया जाता है. डिब्बे की दीवारों को आमने-सामने से खुला रखा जाता है, जिससे रोशनी देखकर कीट अंदर प्रवेश करें और पानी में गिर कर खत्म हो जाएं.

दूसरे तरह के कीट रोशनी के बजाय मादा कीट की गंध से आकर्षित होते हैं. ऐसे कीट पर नियंत्रण के लिए मादा कीट के गंध वाली बत्ती बाजार में मिलती है, इसे सोलर लाइट वाली डिवाइस में फिट कर दिया जाता है. ऐसे में दूसरे कीट भी आकर डिब्बे में रखे पानी में गिर कर मर जाते हैं. इस तरह की डिवाइस को तैयार करने में अधिकतम 500 रुपये का खर्च आता है.

इसे भी पढ़ें:- Defence Expo: मार्कोस कमांडो का साहसिक लाइव डेमो, फतह किया 'मिशन'

Intro:लखनऊ. फसलों में लगने वाले कीड़ों पर नियंत्रण के लिए किसानों को हर साल हजारों रुपए कीटनाशकों पर खर्च करने पड़ रहे हैं . कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से फसलों की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है सब्जियों और फलों में कीटनाशकों के इस्तेमाल से कैंसर समेत अन्य बीमारियों के होने का खतरा भी है ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने महज ₹500 की लागत से ऐसा देसी जुगाड़ तैयार किया है जो फसलों को कीटनाशकों के प्रकोप से पूरी तरह बचाएगा और पेस्टिसाइड के इस्तेमाल की जरूरत भी नहीं होगी. इससे किसानों की फसल उत्पादन लागत तो घटेगी ही साथ ही कृषि उत्पाद भी स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह सुरक्षित होंगे.


Body:उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के अधिकारी श्रवण कुमार और जिला कृषि अधिकारी सुल्तानपुर विनय वर्मा ने एक ऐसी देसी डिवाइस तैयार की है जो फसलों में लगने वाले कीटों को रोकने में पूरी तरह से सक्षम है. ईटीवी भारत को अपनी देसी किट दिखाते हुए विनय वर्मा ने बताया फसलों में दो तरह के कीट असर दिखाते हैं. लगभग 70 फ़ीसदी कीट ऐसे हैं जो रोशनी को देखकर आकर्षित होते हैं और सूरज ढलने के बाद शाम को लगभग 2 घंटे के दौरान सक्रिय रहकर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे की फसलों में छेद कर देते हैं इन कीटों को नियंत्रित करने के लिए खेत में रोशनी का प्रबंध किया जाना आवश्यक होता है इसके लिए हमने सौर ऊर्जा चालित एलईडी बल्ब का प्रयोग किया है इसे एक डिब्बे में लगाया गया है. डिब्बे के निचले हिस्से में पानी भर दिया जाता है. जिसमें नीम का तेल या मिट्टी का तेल डाल दिया जाता है डिब्बे की दीवारों को आमने-सामने से खुला रखा जाता है जिससे रोशनी देखकर कीट अंदर प्रवेश करें और पानी में गिर कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर दें. दूसरे तरह के कीट रोशनी के बजाय मादा कीट की गंध से आकर्षित होते हैं. ऐसे कीट पर नियंत्रण के लिए मादा कीट के गंध वाली बत्ती बाजार में मिलती है इसे सोलर लाइट वाली डिवाइस में फिट कर दिया जाता है ऐसे में दूसरे कीट भी आकर डिब्बे में रखे पानी में गिर कर मर जाते हैं. उन्होंने बताया कि इस तरह की डिवाइस को तैयार करने में अधिकतम ₹500 का खर्च आता है अगर किसान अपने घरों में प्रयोग हो चुके डिब्बे या तेल के टीन का इस्तेमाल करें तो यह खर्चा और कम हो जाएगा.

वन ओ वन /विनय वर्मा जिला कृषि अधिकारी सुल्तानपुर

अखिलेश तिवारी

9653 003408


Conclusion:
Last Updated : Feb 10, 2020, 11:40 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.